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कालानमक के खेती का अफसरों नें लिया जायजा

कबीर बस्ती न्यूज,बस्ती।

विश्व प्रसिद्ध काला नमक धान की जैविक खेती को लेकर जनपद में व्यापक लेवल पर कवायद शुरू की गई  है। बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (बी.एम.जी.एफ), कृषि विभाग और कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा सिद्धार्थ एफपीसी से जुड़े किसानों के जरिये जैविक तरीके काला नमक धान की खेती को बढ़ावा देने के लिए ‘जेंडर एंड न्यूट्रीशन सेंसिटिव एग्रीकल्चर’ प्रोग्राम के तहत तकनीकी जानकारी के साथ-साथ जरुरी बॉमलाइफ द्वारा इनपुट भी मुहैया कराया जा रहा है।
इस सम्बन्ध में शनिवार को यूपी गवर्मेंट के तकनीकी सहायता यूनिट के अफसरों साथ कृषि विभाग के उपनिदेशक कृषि डॉ संजय त्रिपाठी सहित कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक राघवेन्द्र विक्रम सिंह सदर ब्लाक के महसों में कालानमक की जैविक खेती कर रहे प्रगतिशील किसान राघवेन्द्र बहादुर पाल व चिलवनियाँ में राम सिंह के खेतों में का निरीक्षण किया। इस दौरान कालानमक की खेती के लिए सिंचाई जैव उर्वरकों के प्रयोग से बेहतर उत्पादन सहित जोखिम को कम किये जाने की संभावनाएं तलाशी गईं।
अफसरों की टीम ने कालानमक की खेती कर रहे किसानों के खेतों के मिट्टी के नमूने लेने के साथ ही खेत के मिट्टी की जलधारण क्षमता, पिछले वर्षों में फसलों में लगे कीट बिमारियों की जानकारी के साथ, खेती के रकबे आदि विंदुओं पर जानकारी एकत्र की। इस मौके पर उपनिदेशक कृषि डॉ. संजय त्रिपाठी नें कहा कि काला नमक धान लम्बे अवधि की फसल है इस लिए भरपूर मात्रा में पानी की जरूरत होती है। अगर किसान कालानमक धान की खेती  में जैव उर्वरकों का उपयोग करते हैं तो फसल की गुणवत्ता और स्वाद में इजाफा होने के साथ ही खेत की जलधारण क्षमता भी बढती है इससे सिंचाई के खर्चे में कमी लाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि टेक्निकल टीम के साथ कृषि विभाग कृषि विज्ञान केंद्र व सिद्धार्थ एफपीसी संयुक्त रूप से चर्चा कर कार्ययोजना तैयार करें तो इसके और अच्छे परिणाम होंगे।
कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञ प्रसार राघवेन्द्र विक्रम सिंह नें कहा की केवीके बस्ती द्वारा कालानमक धान की खेती करने वाले किसानों को नर्सरी डालने से लेकर फसल के कटाई तक लगातार सहयोग किया जाएगा । जिससे फसल को बीमारियों और नुकसान से बचाने में मदद मिलेगी। कहा की जनपद में अधिकांश किसानों को केवीके बस्ती द्वारा कालानमक का उन्नत बीज मुहैया कराया गया है जो अधिक पैदावार देने में सक्षम है। कहा की जनपद में कालानमक का रकबा काफी बढ़ा है इससे जाहिर होता है की किसानों की रूचि कालानमक की खेती की तरफ बढ़ रही है.
तकनीकी टीम की प्रिया राय नें कहा की जेंडर एंड न्यूट्रीशन सेंसिटिव एग्रीकल्चर’ प्रोग्राम के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार एपीओ के जरिये बेहतर अवसर उपलब्ध कराने के संकल्पबद्ध हैं।  बोमलाइफ के सी.ई.ओ अमलान दत्ता ने कहा, उनकी तकनीकी से जैव-जैविक समाधानों के उपयोग सहित निवारक उपायों के समय पर उपयोग करने से फसलों में कीट और रोग प्रबंधन में मदद मिलती है। गोरखपुर कलस्टर के रजनीश नें कहा की बस्ती जिले को कालानमक की जैविक खेती के लिए पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चुना गया है। सुरूपा चक्रवती नें कहा किसानों को संगठित होकर अपने उत्पादों को बेंचने के लिए आगे आना होगा जिससे उन्हें उत्पादों का मार्केट में अच्छा रेट मिलेगा।
इस मौके पर राघवेन्द्र बहादुर पाल, राम सिंह, सर्जन डॉ. लालमनी पाल, सिद्धार्थ एफपीसी से राममूर्ति मिश्र, बृहस्पति पाण्डेय, प्रगतिशील किसान अशोक सिंह, राममनि पाण्डेय, सचिन्द्र शुक्ला सहित अनेकों किसानों नें कालानमक के जैविक खेती के तकनीकी को समझा.