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सुरक्षित गर्भ समापन के लिये करना होगा साझा प्रयास

ग्राम प्रधान, महिला समूहों को अभियान से जोडना समय की मांग-सीडीओ राजेश प्रजापति

कबीर बस्ती न्यूज,बस्ती।उ0प्र0।

सुरक्षित गर्भ समापन एक बड़ी चुनौती है, इस दिशा में चिकित्सकों, स्वास्थ्यकर्मियों के साथ ही सामाजिक संगठनों, जागरूक लोगों, ग्राम प्रधानों को अपनी भूमिका निभानी होगी। यह विचार मुख्य विकास अधिकारी राजेश प्रजापति ने व्यक्त किया। वे बुधवार को विकास भवन  के सभागार में पंचायती राज अधिकारियों के साथ एक दिवसीय कार्यशाला को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित कर रहे थे। कहा कि गरीबी और अज्ञानता के कारण आज भी कई प्रसूतायें दम तोड़ देती हैं, यदि उन्हें समुचित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराया जाय तो दो उनकी जिन्दगी बचाया जा सकता है।

ग्रामीण विकास सेवा संस्था और साझा प्रयास नेटवर्क के सहयोग आयोजित कार्यशाला में सुरक्षित गर्भ समापन के विभिन्न विन्दुओं पर व्यापक विचार विमर्श कर निर्णय लिया गया कि ग्राम पंचायत स्तर पर ग्राम प्रधानों से भी सहयोग प्राप्त किया जाय।  पी.डी. कमलेश कुमार सोनी ने कहा कि समूह की बैठकों में भी सुरक्षित गर्भपात की जानकारी दिया जाय।
कार्यशाला में डी.पी.आर.ओ. शिवशंकर सिंह,  विभिन्न ब्लाकांे के बी0डी0ओ, ए0डी0ओ पंचायत, प्रधान प्रतिनिधि,  सांझा प्रयास नेटवर्क से सुश्री रत्ना शर्मा, विवेक अवस्थी, यू.पी.वी.एच.ए. पंकज , सीनियर रिसर्च एंड ट्रेनिंग प्रोग्राम ऑफिसर आदि ने प्रतिभाग और “प्रजनन स्वास्थ्य व सुरक्षित गर्भसमापन” विषय पर अपने विचार रखे। कार्यक्रम का शुभारंभ रिसर्च एंड ट्रेनिंग प्रोग्राम ऑफिसर रमा यादव द्वारा किया गया। बताया कि यह नेटवर्क बिहार व उत्तर प्रदेश में 20 स्वयंसेवी संस्थाओं का नेटवर्क है जो कि महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य विशेषकर सुरक्षित गर्भसमापन सेवाओं को सुद्रढ़ करने व समुदाय में जागरुकता बढ़ाने का कार्य करता है। कहा कि  बस्ती में साझा प्रयास नेटवर्क विभिन्न हितधारकों जैसे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों, पंचायत प्रतिनिधि, लोकल एन.जी.ओ.  सेवा प्रदाताओं आदि के साथ कार्य कर रहा हैं जिससे समुदाय के लोगों में सुरक्षित गर्भसमापन व परिवार नियोजन विषय पर जागरूकता बढ सके ।
रतना शर्मा ने बताया कि  ‘‘भारत में अनुमानित प्रतिवर्ष 1.56 करोड़ गर्भ समापन होते है, जिनमें लगभग 50 प्रतिशत गर्भ धारण अनचाहे होते हैं। भारत में मातृ मृत्यु दर में असुरक्षित गर्भसमापन का योगदान 8 प्रतिशत है। उत्तर प्रदेश में प्रति वर्ष होने वाले कुल 31 लाख गर्भपात में से सिर्फ 11 प्रतिशत ही स्वास्थ्य संस्थाओं  में होते हैं, उन्होने एम.टी.पी. एक्ट के बारे में विस्तार से बताया कि हमारे देश में गर्भपात हेतु मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट, 1971 चिकित्सीय गर्भसमापनअधिनियम लागू है लेकिन गर्भ समापन सम्बन्धी कानूनी जानकारी का लोगों में अभाव है। चूँकि स्वैच्छिक संस्था के प्रतिनिधियों की भी स्थानीय स्तर पर सेवादाताओं की निगरानी की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। इन मुद्दों पर संस्था प्रतिनिधियों के संवेदीकरण से समुदाय में बेहतर जागरूकता लाने में मदद मिलेगी तथा असुरक्षित गर्भ समापन के कारण हो रही महिला मृत्युदर में कमी लायी जा सकेगी।

कार्यशाला में पंकज, प्रिन्स शुक्ल, राम दुलारे, संजय कुमार नायक, उपेन्द्र कुमार गुप्ता, मृत्युजय सिंह,  राम रेखा सरोज, मनीष कुमार सिंह, विमला चौधरी, दयाराम, हसनराम, रामचन्द्र वर्मा, आनन्द सिंह, अतुल आनन्द, प्रभाशंकर चौधरी, गिरजेश कुमार श्रीवास्तव, अवधेश कुमार, चन्द्रभान, मनोज कुमार आदि शामिल रहे।