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…..तो क्या आगामी विधान सभा चुनाव मे डबल इंजन सरकार का नारा देकर पुनः सत्ता हथियाने मे सफल हो पायेगी बीजेपी ?

कबीर बस्ती न्यूज:

2014 लोकसभा चुनाव में प्रचंड मोदी लहर पर सवार बीजेपी ने पहली बार बहुमत हासिल कर केंद्र की सत्‍ता प्राप्‍त की। 2014 लोकसभा चुनाव के करीब छह महीने बाद हरियाणा और महाराष्‍ट्र में विधानसभा चुनाव आए तो नरेंद्र मोदी और अमित शाह के नेतृत्‍व वाली बीजेपी एकदम नई रणनीति के साथ नए कलेवर में नजर आई। पार्टी ने हरियाणा और महाराष्‍ट्र के चुनाव प्रचार में पहली बार ‘डबल इंजन सरकार’ का नारा दिया। बीजेपी नेताओं ने वोटर्स से केंद्र और राज्‍य में एक ही पार्टी की सरकार लाने की अपील की। इसके बाद त्रिपुरा, असम, पश्चिम बंगाल और हाल ही में उत्‍तर प्रदेश, गोवा के अंदर भी पीएम मोदी ने डबल इंजन सरकार लाने के लिए वोटर्स से अपील की है। उत्‍तर प्रदेश और गोवा में फरवरी-मार्च 2022 में चुनाव होने हैं।

2014 लोकसभा चुनाव के बाद से अब तक देश में कुल 40 विधानसभा चुनाव हुए हैं। Lokniti-CSDS ने इनमें से 31 विधानसभा चुनावों में वोटिंग से पहले और नतीजों के बाद सर्वे करवाए, इनमें से 22 सर्वेक्षणों में मतदाताओं से ‘डबल इंजन सरकार’ के बारे में प्रश्‍न पूछा गया। लोगों से पूछा गया, ‘क्‍या वे ऐसा मानते हैं कि उनके राज्‍य के विकास के लिए केंद्र और राज्‍य में एक ही पार्टी की सरकार होनी जरूरी है?’ Lokniti-CSDS के डेटा के जरिए जानते हैं इस मुद्दे पर क्‍या रही जनता की राय:

यूपी की जनता का मूड भांप पाना बड़ा मुश्किल

Lokniti-CSDS के इन 22 चुनावी सर्वेक्षणों में से, जिन चार राज्‍यों में बीजेपी और सहयोगियों की सरकार रही, उनके नाम हैं- पंजाब, राजस्‍थान, गोवा और असम। इन 22 में से 12 राज्‍यों में बीजेपी और उसके सहयोगी सत्‍ता पाने में सफल रहे। गोवा और असम भी इनमें शामिल हैं, जहां पर 2017 और 2021 में बीजेपी दोबारा सत्‍ता पाने में सफल रही। पंजाब (2017) और राजस्‍थान (2018) में बीजेपी विपक्षियों के हाथों सत्‍ता गंवानी पड़ी। दोनों ही राज्‍यों में कांग्रेस ने बीजेपी से सत्‍ता हथिया ली। जिन राज्‍यों में बीजेपी ने सरकार बनाई, इनमें ज्‍यादातर वही राज्‍य शामिल हैं, जहां पर सर्वे के दौरान डबल इंजन सरकार को बेहतर मानने वाले लोगों की संख्‍या ज्‍यादा थी। इनमें कुछ राज्‍य अपवाद भी रहे, जहां पर डबल इंजन सरकार को तो जनता बहुत बेहतर नहीं माना, लेकिन बीजेपी इन राज्‍यों को जीतने में सफल रही। उत्‍तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, मेघालय कुछ ऐसे ही राज्‍य हैं।

डबल इंजन सरकार को लेकर वोटर्स की ओपिनियन को अगर साल दर साल के हिसाब से देखा जाए तो 2014 लोकसभा चुनाव के बाद कुछ समय बाद ही हरियाणा, महाराष्‍ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव हुए। अब इन राज्‍यों में वोटर्स की ओपिनियन पर एक नजर डालते हैं। हरियाणा में 45 प्रतिशत लोगों ने माना कि केंद्र और राज्‍य में एक ही पार्टी सरकार होनी चाहिए। इसी तरह से महाराष्‍ट्र में 29 प्रतिशत और झारखंड में 41 प्रतिशत वोटर्स ने डबल इंजन सरकार को बेहतर विकल्‍प माना। इन तीनों राज्‍यों में क्रमश: 11,10 और 7 प्रतिशत लोगों ने पूरी तरह से यह माना कि डबल इंजन सरकार का विकल्‍प एकदम बेकार है।

2015 में दिल्‍ली ने जैसी ओपिनियन दी, वैसा ही आया नतीजा

2015 में दिल्‍ली के 36 प्रतिशत मतदाताओं ने डबल इंजन सरकार के विकल्‍प को एकदम नकार दिया। यही कारण रहा कि 2015 में आम आदमी पार्टी को दिल्‍ली की जनता का प्रचंड बहुमत मिला। अब 2016 के डेटा पर नजर डालते हैं। इस वर्ष पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, और केरल में विधानसभा चुनाव हुए। असम में करीब 46 प्रतिशत लोगों ने माना कि डबल इंजन सरकार का विकल्‍प एकदम सही है। इसी का परिणाम रहा कि असम में बीजेपी सत्‍ता में आई। पश्चिम बंगाल में 29 प्रतिशत लोगों ने डबल इंजन सरकार को बेहतर विकल्‍प माना, जबकि 40 प्रतिशत ने इसका जवाब ही नहीं दिया। केरल और तमिलनाडु में भी वोटर्स ने डबल इंजन सरकार को अच्‍छा माना, लेकिन इन राज्‍यों में बीजेपी सत्‍ता हासिल करने में सफल नहीं रही।

2017 से 2020 के बीच डबल इंजन सरकार के विकल्‍प को पंजाब, मेघालय, हिमाचल प्रदेश, नगालैंड और उत्‍तर प्रदेश में बेहतर नहीं माना गया। वहीं, त्रिपुरा, राजस्‍थान, दिल्‍ली और उत्‍तराखंड में डबल इंजन सरकार को बेहतर मानने वालों का प्रतिशत काफी ज्‍यादा रहा। अब यहां गौर करने वाली बात यह रही कि दिल्‍ली और राजस्‍थान में वोटर्स ने डबल इंजन को बेहतर तो माना, लेकिन नतीजे इसके उलट आए।

पिछले चुनावों में डबल इंजन सरकार को बेहतर विकल्‍प मानने वालों की संख्‍या गिरी

असम, केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में कुछ महीने पहले ही संपन्‍न हुए चुनावों की बात करें तो यहां डबल इंजन सरकार के विकल्‍प को बेहतर मानने वालों में कमी देखी गई। केरल में 54 प्रतिशत लोगों ने डबल इंजन को नकार दिया। इसके बाद तमिलनाडु में 40 प्रतिशत लोगों ने इसे नकार दिया। वहीं, पश्चिम बंगाल में 33 प्रतिशत लोगों ने डबल इंजन को नकारा। इन सभी राज्‍यों में 2016 में डबल इंजन विकल्‍प को नकारने वालों की संख्‍या इतनी ज्‍यादा नहीं थी। यहां तक कि असम में बीजेपी दोबारा सत्‍ता में आई, लेकिन यहां भी डबल इंजन सरकार के विकल्‍प को बेहतर मानने वालों की संख्‍या में कमी देखी गई।

उत्‍तर प्रदेश 2022 चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है, यहां पर ऑलरेडी डबल इंजन की सरकार चल रही है। यहां पर देखना रोचक होगा कि डबल इंजन को लोग यहां कैसे देखते हैं। यहां महत्‍वपूर्ण बात यह भी है कि उत्‍तर प्रदेश में बीजेपी सत्‍ता में है और वापसी के लिए लड़ रही है। सत्‍ता में वापसी के वक्‍त क्‍या डबल इंजन के विकल्‍प पर जनता मुहर लगाती है या नहीं, देखना रोचक होगा।