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बिना पंजीकरण के चल रहा शिवा हॉस्पिटल सील, दर्ज होगा मुकदमा

– बिना डाक्टर के संचालित हो रहा था अस्पताल
– विभागीय संरक्षण मे जिले मे अभी भी बिना लाईसेन्स के संचालित हो रहे हैं सैकडों अस्पताल

बस्ती। स्थानीय प्रशासन फर्जी और स्वास्थ्य सेवाओं के बदले कई गुना कीमत वसूल करने वाले अस्पतालों के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्यवाही कर रहा है। रविवार को उप जिलाधिकारी आशाराम वर्मा ने टोल प्लाजा स्थित शिवा हॉस्पिटल पर छापेमारी कर अस्पताल को सील कर दिया। मौके पर यहां न कोई डिग्रीधारक डाक्टर मिला और न ही अस्पताल के कागजात वैध पाये गये।
मनमानी का आलम यह देखा गया कि यहां सांस फूलने की समस्या से गंभीर रूप से पीड़ित संतकबीर नगर की महिला ज्ञानमती को भर्ती कर उसका इलाज किया जा रहा था। औचक छापेमारी से अस्पताल में घण्टा भर अफरा तफरी मची रही। एसडीएम आशाराम वर्मा के पूछने पर तीमारदारों ने बताया कि अस्पताल ने उनसे आईसीयू के नाम पर 18 हजार रूपये प्रतिदिन लिया है। पूछने पर ढंग से डाक्टर का नाम भी नही बता पा रहे थे। एसडीएम ने अस्पताल को फर्जी बताते हुये कहा अस्पताल को सील किया जा रहा है, यहां इलाज करा रही महिला को ओपेक अस्पताल कैली में भर्ती कराया जा रहा है। सवाल ये उठता है कि स्वास्थ्स महकमे के जिम्मेदारों को आखिरकार इस फर्जीवाड़े की जानकारी क्यों नही है? कहीं ऐसा तो नहीं मोटी रकम लेकर मरीजों की जान से खेलने की अनुमति दी जाती है। जब तक खेल चलता रहता है, रकम मिलती रहती है और कोई प्रशासनिक अधिकारियों से शिकायत करता है तो उनकी आय का जरिया रूक जाता है ? चाहे हैपी हॉस्पिटल हो, आस्था या फिर शिवा, यहां छापेमारी शिकायतों को सज्ञान में लेकर की जा रही है।
प्रशासनिक अधिकारी सपना नही देख रहे कि अचानक उसी अस्पताल पर पहुंचते हैं जहां फर्जीवाड़ा चल रहा है और शिकायत भी स्वास्थ्य महकमे से न करके प्रशासनिक अधिकारियों से की जाती है। क्या शिकायतकर्ता को ये मालूम है कि स्वास्थ्य महकमा इस फर्जीवाड़े पर कोई ठोस कदम नही उठायेगा ? फिलहाल समय समय पर आपको इन सवालों के जवाब मिलते रहेंगे, लेकिन ये सच है कि जनपद में फर्जी अस्पतालों का जाल बिछा हुआ है। मरीजों को इसमे फंसकर स्वास्थ्य सेवाओं के बदले मुंहमागी कीमत चुकानी पड़ रही है।
मजे की बात ये है कि स्वास्थ्य विभाग को इसकी कोई जानकारी नही है। एसडीएम की ताबडतोड़ छापेमारी में फर्जी अस्पतालों के खुलासे हो रहे हैं। जबकि सभी फर्जी अस्पतालों का कोई न कोई आका स्वास्थ्य विभाग में है। यही कारण है कि फर्जी अस्पतालों के खिलाफ कार्यवाही के बजाय उन्हे संरक्षण प्रदान किया जा रहा है। अभी कुछ ही दिन पहले हैप्पी एवं आस्था हॉस्पिटल में छापेमारी हुई थी। न कोई डिग्रीधारक मिला और नही अस्पताल मानक पर मिला। मरीजों से अवैध वसूली इन अस्पतालों पर भारी पड़ रही है। स्वास्थ्य विभाग को रजिस्टर्ड अस्पतालों की सूची जारी करते हुये फर्जीवाड़ा कर रहे सभी अस्पतालों के खिलाफ ठोस कदम उठाना चाहिये। जिसके पास अच्छा पैसा है, हर कोई अस्पताल खोलना चाहता है, लेकिन मानक पर केवल 20 फीसदी अस्पताल होंगे। ऐसे में स्वास्थ्य महकमे के जिम्मेदार और प्रशासनिक अधिकारी सतर्क नही हुये तो मरीजों से ज्यादा अस्पताल खुल जायेंगे असमय मौतें सामान्य बात हो जायेंगी।
अभी हाल ही मे प्रशासन ने बिना लाईसेंस के संचालित हो रहे हैप्पी हास्पिटल को सील कर उसके विरूद्व कार्यवाही किया। यदि देखा जाय तो जिले सैकडों की संख्या मे विभिन्न नामों से हास्पिटल विभागीय संरक्षण मे चल रहे है।