पोषण पुनर्वास केन्द्र में 1380 बच्चों को मिला नया जीवन
– कुपोषित बच्चों का किया जाता है इलाज, होता है नियमित फॉलोअप
– विशेष आहार और दवाओं के जरिए बच्चों को किया जाता है सुपोषित
कबीर बस्ती न्यूज:
संतकबीरनगर। जिला अस्पताल में बने एनआरसी ( पोषण पुनर्वास केन्द्र ) में कुपोषण के चलते बीमारियों की चपेट में आए अल्प विकसित बच्चों को नया जीवन मिल रहा है। यहां पर बच्चों की बीमारी के आधार पर विटामिन व खनिज तत्वों से युक्त भोजन देकर बच्चों में मौजूद कमियों को दूर किया जाता है। केन्द्र में अब तक 1380 बच्चों को नया जीवन मिल चुका है तथा उनका नियमित फॉलोअप किया जाता है।
केन्द्र की चिकित्सक डॉ नम्रता चौधरी बताती हैं कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अनिरुद्ध सिंह व मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ ओ पी चतुर्वेदी के निर्देशन में एनआरसी में 5 वर्ष तक की आयु के कुपोषित बच्चों को भर्ती किया जाता है तथा 14 दिन तक एनआरसी में रखकर उनका इलाज किया जाता है और उन्हें विशेष आहार दिये जाते हैं, आहार में बच्चे के लिए उचित मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन और खनिज तत्व होते हैं। केंद्र की डायटिशियन जहीरा खातून के निेर्देशन में कुक कम केयरटेकर गुडिया आहार तैयार करती हैं तथा बच्चों को शुरुआती दौर में दो – दो घण्टे के अन्तराल पर देती हैं। यहां की स्टाफ नर्स तृप्ति श्रीवास्तव बच्चों की नियमित देखभाल करती हैं। सेण्टर में अभी 8 कुपोषित बच्चों का इलाज चल रहा है। 2015 में एनआरसी की स्थापना के बाद से ही निरन्तर बच्चे सुपोषित किये जा रहे हैं।
एनआरसी में निशुल्क हैं सभी सुविधाएं
डॉ नम्रता बताती हैं कि एनआरसी में सारी सुविधाएं निःशुल्क हैं। बच्चे को भर्ती करने के बाद बच्चे को निःशुल्क पोषक आहार तो दिया ही जाता है, बच्चे के साथ रहने वाले किसी एक अभिभावक के लिए भी निःशुल्क भोजन की व्यवस्था है। इस दौरान बच्चा जितने दिन एनआरसी में भर्ती रहता है उसके हिसाब से अभिभावक को प्रतिदिन के 50 रुपए तथा फालोअप पर आने के लिए अभिभावक को 150 रुपए दिए जाते हैं।
आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को भी प्रोत्साहन राशि
एनआरसी के प्रभारी डॉ. डी. पी. सिंह बताते हैं कि यदि कोई आशा कार्यकर्ता या आंगनबाड़ी कार्यकर्ता किसी बच्चे को लेकर एनआरसी में भर्ती कराती है तो उसे भी 100 रुपए दिए जाते हैं तथा चार फालोअप पर प्रति फालोअप के हिसाब से 400 रुपए प्रदान किए जाते हैं। उन्होंने अपील की कि आंगनबाड़ी व आशा कार्यकर्ता कुपोषित बच्चों की पहचान के बाद उन्हें एनआरसी में भर्ती कराएं। अगर उन्हें किसी प्रकार की समस्या होगी तो उसका निदान किया जाएगा।
बच्चों को एनआरसी में भर्ती करने के मानक
डॉ नम्रता के अनुसार बच्चों को एनआरसी में दो वर्गों में भर्ती किया जाता है। 6 माह से 5 वर्ष तक के बच्चों के मानक के अंतर्गत बच्चों की लंबाई के अनुपात में वजन (-3) एसडी से कम हो। बच्चों की मिडल अप्पर आर्म का माप -11.5 सेंटीमीटर से कम हो।(एक विशेष प्रकार के फीते के द्वारा हाथ के ऊपरी हिस्से की माप ली जाती है) । बच्चों के दोनों पैर में पिटिंग एडिमा होने पर। वहीं 6 माह से कम उम्र के बच्चों को भर्ती कराने के मानक यह है कि बच्चे की लंबाई के अनुपात में वजन (-3) एसडी से कम (45 सेंटीमीटर से अधिक के लिए) । बच्चे के दोनों पैरों में पिटिंग एडिमा होने पर। इसके अतिरिक्त अन्य कई मानक निर्धारित किए गए हैं।
इससे पहले बच्चे नहीं होते हैं डिस्चार्ज
एनआरसी से बच्चे को डिस्चार्ज करने के भी मानक हैं। बच्चे के वजन में 15 प्रतिशत की वृद्धि होने पर। शरीर पर सूजन ना होने पर । बच्चों के अन्दर बीमारियों के लक्षण के उपचार हो जाने पर तथा 5 ग्राम प्रति किलोग्राम प्रति दिन की वृद्धि लगातार तीन दिन होने पर ही बच्चों को डिस्चार्ज किया जाता है।
अपने पैरों पर चलने में समर्थ हुई जया
नाथनगर ब्लाक क्षेत्र के भिनखिनी गांव की निवासी ढाई साल की जया ठीक से चल नहीं पाती थी। उसके पिता जितेन्द्र जब उसे जिला अस्पताल ले गए तो चिकित्सक ने उसके लक्षणों को देखते हुए एनआरसी ले जाने की सलाह दी। 23 जून 2022 को उसे एनआरसी में भर्ती कराया गया। उसकी मां मालावती उसके साथ थीं। मालावती बताती हैं कि इस दौरान बच्ची को दवा व भोजन के साथ ही दिव्यांग पुनर्वास केन्द्र में ले जाकर फिजियोथैरेपी कराई गयी। 7 जुलाई को बच्ची वहां से अपने पैरों पर खड़ी होकर आई। कुछ कसरत बताया गया है उसे कराया जा रहा है। उसकी हालत पहले से बेहतर है। चिकित्सक डॉ नमता बताती हैं कि हम उसके परिजनों से फालोअप ले रहे हैं। उसको डिसयूज एट्राफी की शिकायत है। शीघ्र ही उसको बेहतर लाभ मिलेगा।