दूध में मिलावट का मामलाः 35 वर्ष बाद मिला रामलौट को न्याय
रंग लायी लीगल एड डिफेन्स काउन्सिल सिस्टम की पहल
कबीर बस्ती न्यूज।
बस्ती। रामलौट को 35 वर्ष बाद न्याय मिला तो उसके चेहरे पर मुस्कान थी। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष, जिला एवं सत्र न्यायाधीश कुलदीप सक्सेना एवं प्राधिकरण के सचिव , अपर जिला जज रजनीश मिश्रा के दिशा निर्देश में गरीब व निसहाय लोगों को कानूनी सहायता दिये जाने के लिये स्थापित लीगल एड डिफेन्स काउन्सिल के संयुक्त प्रयास से अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट-प्रथम उमेश यादव ने खाद्य पदार्थ अपमिश्रण मामले में वाल्टरगंज थाना क्षेत्र के रघुनाथपुर निवासी राम लौट को 35 साल बाद मुकदमा लड़ने के बाद दोषमुक्त कर दिया। वर्तमान समय में रामलौट की उम्र लगभग 80 वर्ष हो चुकी है। उन्हें आंख से दिखाई भी कम पड़ता है तथा चलने-फिरने में भी असमर्थ है।
अभियोजन कथानक के अनुसार 8-3-1980 को समय 12.45 बजे खाद्य निरीक्षक सुरेश चन्द्र अवस्थी ने सियरापार चौराहे पर चेकिंग के दौरान रामलौट पुत्र राममुदित मल्लाह जब भैंस का दूध बेचने ले जा रहे थे तो उसका नमूना लिया था उक्त नमूने को जन विश्लेषक कार्यालय लखनऊ परीक्षण के लिये भेजा गया जिसमे जन विश्लेषक ने अपनी रिपोर्ट दिनाँक 1-4-1980 दूध के नमूने में मिलावट पाया। तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी व स्थानीय स्वास्थ्य प्राधिकारी ए. के. बनर्जी ने 1-9-1987 को राम लौट के विरुद्ध अपमिश्रण निवारण अधिनियम 1954 की धारा 7 (1) (3) (5) के अधीन नियमावली का उल्लंघन मानते हुये धारा 16(1) (ं3) (प) (पप) के तहत अभियोजन कार्यवाही करने की संस्तुति प्रदान किया। अभियुक्त रामलौट के विरुद्ध अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट राजेन्द्र सिंह के द्वारा 19-02-2007 को आरोप तय किया गया। आरोप तय किये जाने के पश्चात् पत्रावली निरन्तर साक्ष्य के लिये चलती रही। परिवादी खाद्य निरीक्षक एस एन त्रिपाठी ने न्यायालय में अपना साक्ष्य अंकित कराया लेकिन आरोप तय होने के पश्चात बचाव पक्ष के द्वारा प्रतिपरीक्षा किये जाने के पूर्व ही उनकी मृत्यु हो गयी। न्यायालय द्वारा राम लौट के अनुपस्थित हो जाने के कारण उनके विरुद्ध गैर जमानती वारन्ट जारी किया गया। जिस पर वाल्टरगंज पुलिस ने 24-7-2023 को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया। अभियुक्त रामलौट की अस्वस्थता एवं उनकी तरफ से कोई अधिवक्ता न होने के कारण न्यायालय ने लीगल एड डिफेन्स काउन्सिल को निःशुल्क कानूनी सहायता दिए जाने का निर्देश दिया । अभियुक्त रामलौट की ओर से असिस्टेंट लीगल एड डिफेन्स काउन्सिल नितीश कुमार श्रीवास्तव के द्वारा जमानत प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया। न्यायालय द्वारा जमानत स्वीकृति के पश्चात् उसे रिहा किया गया। अभियोजन द्वारा साक्ष्य न प्रस्तुत किये जाने की दशा में अभियुक्त का बयान अंकित किया गया। न्यायालय द्वारा बचाव पक्ष की ओर से चीफ लीगल एड डिफेन्स कॉउन्सिल कौशल किशोर श्रीवास्तव, डिप्टी लीगल एड डिफेन्स काउन्सिल शैलजा कुमार पाण्डेय द्वारा अभियुक्त को रंजिश के कारण मुकदमे में फंसाये जाने का तर्क प्रस्तुत किया और कहा के परिवादी को साक्ष्य का पर्याप्त अवसर दिये जाने के बाद भी न्यायालय में कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया। विद्वान मजिस्ट्रेट ने दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने एवं पत्रावली का अवलोकन करने के पश्चात् राम लौटे को दोष मुक्त कर दिया। असिस्टेट लीगल एड काउन्सिल दीप्ती पाण्डेय के द्वारा दं०प्र०सं० की धारा 437 (ए) की कार्यवाही पूरी की गयी। राम लौट न्यायालय द्वारा दोषमुक्त के पश्चात काफी राहत महसूस कर रहा था।