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जिले मे नाजायज अल्ट्रासाउंड सेन्टरों का भरमार यहां यमराज करते हैं मरीजों का अल्ट्रासाउंड श्रमजीवी पत्रकार यूनियन पदाधिकारियों को दिलाया शपथ, दायित्वों पर खरा उतरें पत्रकार-डा. वी.के. वर्मा निजी डायग्नोस्टिक सेन्टरों पर रजि0 चिकित्सकों के स्थान पर मुन्ना भाई करते हैं अल्ट्रासाउंड भाजपा की सरकार में उपेक्षित हैं विश्वकर्मा समाज के लोग-राम आसरे विश्वकर्मा 700 से अधिक वादकारियों ने सीएम को भेजा पत्र, त्वरित न्याय प्रदान करने के लिए प्रभावी कार्रवाई कराने ... जयन्ती पर याद किये गये पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. चौधरी अजित सिंह कुपोषण और एनीमिया से बचाव के लिए कृमि मुक्ति की दवा का सेवन अनिवार्य-सीएमओ पूजन अर्चन के साथ भगवान श्रीराममय हुआ कैली का डायलसिस यूनिट योगी सरकार के जीरो टेलरेंस नीति पर खौलता पानी डाल रही है बस्ती पुलिस सम्पूर्ण समाधान दिवस में 98 मामलें में 06 का निस्तारण

जिले मे नाजायज अल्ट्रासाउंड सेन्टरों का भरमार यहां यमराज करते हैं मरीजों का अल्ट्रासाउंड

  • पीसीपीएनडीटी लाइसेन्स प्राप्त सेन्टरों से पंजीकृत चिकित्सक नदारद, 25 से 30 हजार रूपये महीने मे होता है खेल
  • अवैध अल्ट्रासाउंड सेन्टरों पर नियंत्रण मेरे अधिकार से बाहर, सीएमओ देते हैं लाइसेन्स- डा0 अभय कुमार सिंह
  • टीम गठित कर किया जायेगा छापेमारी, दोषियों पर होगी कठोर कार्यवाही, मरीजों के जान से खिलवाड कत्तई बर्दाश्त नही- सीएमओ

कबीर बस्ती न्यूज

बस्ती। जिले मे गैर कानूनी धंधा अपने चरम पर है और जहां यह धंधा स्वास्थ्य सेवाओं से जुडा हुआ हो वहां स्थिति और भी गंभीर व चिन्ताजनक हो जाता है। जिला व स्वास्थ्य प्रशासन ऐसे अवैध धंधों पर लगाम लगा पाने मे पूरी तरीके से नाकाम हैं इसकी वजह यहां अवैध वसूली है जिससे अधिकारियों को नाजायज धंधों से गहरा लगाव हैं। ऐसे नाजायज धंधों को संरक्षण देने मे सत्तादल के नेताओं का भी गहरा योगदान है। जिसें कारण नाजायज धंधों पर लगाम लगा पाने मे प्रशासन पूरी तरीके से नाकाम है। हम बात कर रहे हैं जिले मे बिना पीसीपीएनडीटी के संचालित अन्ट्रासाउण्ड सेन्टरों का। जहां निरीह मरीजों के जान का खतरा लगातार बना रहता है। संचालित अन्ट्रासाउण्ड सेन्टर सीएचसी, पीएचसी पर तैनात डाक्टरों के संरक्षण मे होता है। ऐसे अन्ट्रासाउण्ड सेन्टरों की रिर्पोट मरीज के जान का खतरा बनता है। ऐसे कितने मरीज होंगें जो गलत व भ्रामक रिर्पोट से इस दुनियां से कूच कर गये होंगे जो प्रेस के नजर मे नही आ पाये। प्रकरण परिजनों के समझ मे न आने के कारण दबे के दबे रह गये। उपराक्त तथ्य कबीर बस्ती न्यूूज व तारकेश्वर टाइम्स के स्थलीय रिर्पोटिंग मे चौंकाने वाले मामले प्रकाश मे आये।
जिले के कप्तानगंज सीएचसी के सामने स्थित ए.डी. डायग्नोटिक एवं सत्य अल्ट्रासाउंड सेन्टर मरीजों के जान पर भारी पड रहे हैं। इन दोनों सेन्टरों को पीसीपीएनडीटी का लाइसेन्स तो प्रशासन ने दे दिया है लेकिन इन सेन्टरों पर रजिस्टर्ड चिकित्सकों द्वारा अल्ट्रासाउड नही किया जाता है बल्कि उनके स्थान पर अप्रशिक्षित झोलाछाप लोग अल्ट्रासाउड करके मरीजों के जीवन से खुलेआम खिलवाड करते नजर आ रहे हैं। यहां चिन्ता का विषय यह है कि कप्तानगंज सीएचसी पर तैनात प्रभारी चिकित्साधिकारी डा0 अभय कुमार सिंह पूरे मामले से पल्ला झाडते हुए कहते है कि पीसीपीएनडीटी का लाइसेन्स सीएमओ देते हैं अगर करीं गलत हो रहा है तो उसको नियंत्रित करने की जिम्मेदारी सीएमओ की है।
इधर रूधौली सीएचसी अन्तर्गत 9 अल्ट्रासाउंड सेन्टर संचालित हैं जिसमे तीन अल्ट्रासाउंड सेन्टर पीसीपीएनडीटी से अच्छादित हैं इनमे जे.पी. अल्ट्रासाउंड सेन्टर, सार्थक हास्पिटल एवं लाइफ लाइन अल्ट्रासाउंड सेन्टर का नाम शामिल है। शेष 6 अल्ट्रासाउंड सेन्टर नाजायज रूप से जिम्मेदारों के रहमोकरम पर संचालित हो रहे हैं। इनमे जी.सी. अल्ट्रासाउंड सेन्टर, आइडियल अल्ट्रासाउंड सेन्टर, केयर हेल्थ अल्ट्रासाउंड सेन्टर, ग्लोबल हास्पिटल एवं सिटी हास्पिटल के नाम शामिल हैं। इन सेन्टरों पर चोरी छिपे तथा मरीजों को गुमराह कर बिना सक्षम चिकित्सक के अल्ट्रासाउंड किये जाते हैं इन अल्ट्रासाउंड सेन्टरों का रेट 500 से 600 तक मरीजों से वसूला जाता है। ऐसा नही है कि विभागीय अधिकारी इन नाजायज अल्ट्रासाउंड सेन्टरों के संचालन की जानकारी नही है जानकारी उन्हें सब है लेकिन महीने की बंधी बधाई रकम जिम्मेदारों के पास पहंुच जाता है। सूत्र बताते हैं कि पीसीपीएनडीटी प्राप्त अल्ट्रासाउंड सेन्टरों मे पंजीकृत चिकित्सक तो कभी मौजूद नही होते हैं लेकिन उनका पंपर लगने के कारण संचालक का प्रतिमाह 25 से 30 हजार रूपये पहुंचाने पडते हैं। यह गारखधन्धा आज से नही बल्कि कई सालों से चलता चला आ रहा है। इस विभागीय अधिकारी भी भली भांति जानते हैं।
रूधौली सीएचसी अन्तर्गत जी.सी. अल्ट्रासाउंड सेन्टर का हैरत अंगेज कारनामा सामान्य महिला को बना दिया 8 सप्ताह का गर्भवती –
दिनांक 17 मार्च 2025 को जी.सी. अल्ट्रासाउंड सेन्टर के संचालक ने एक 32 वर्षीय पूजा नाम की महिला का अल्ट्रासाउंड किया जिसमें रिर्पोट मे मरीज पूजा को 10 सप्ताह 1 दिन का गर्भवती होना दर्शाया गया। जब इसकी जानकारी महिला मरीज को हुई तो वह हैरान परेशान हो गयी उसके जानकारी के मुताबिक उसके पेट मे बच्चा था ही नही। शिकायत सिर्फ पेट दर्द का था। उसने इसका इलाज कराने के बजाय बस्ती मे एक प्रशिक्षित चिकित्सक से अल्ट्रासाउंड करवाया तो पता चता कि आंत मे पथरी होने के कारण पेट मे दर्द था। दूसरा घटना इसी सेन्टर मे दूसरी महिला मरीज नेहा के साथ घटित हुआ उसके दिनांक 19 फरवरी 2025 की अल्ट्रासाउंड रिर्पोट मे महिला मरीज को 10 सप्ताह 4 दिन का प्रेग्नेंन्सी का रिर्पोट थमा दिया गया। हैरान परेशान महिला बस्ती शहर के लाइफ लाइन अल्ट्रासाउंड क्लीनिक पर पुनः दिनांक 20 फरवरी 2025 को कराया जहां के रिर्पोट मे प्रेग्नेंन्सी की झूठी पायी गयी। लगातार इन घटनाओं को लेकर क्षेत्र मे चर्चाएं आम है। लोग ऐसे फर्जी रिर्पोट को लेकर जिम्मेदार अधिकारियों को कोसते नजर आ रहे हैं। यदि मरीज ऐसे रिर्पोट पर विश्वास कर इलाज कराती तो उसके स्वास्थ्य पर कितना बुरा असर पडता जान भी जा सकती थी।
सम्पूर्ण प्रकरण मे मुख्य चिकित्साधिकारी डा0 राजीव निगम से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि प्रकरण अत्यन्त गंभीर है। ऐसे सेन्टरों पर औचक छापेमारी कर कठोर कार्यवाही करने हेतु टीमों का गठन किया गया है। शीघ्र ही दोषियों पर कार्यवही करते हुए अल्ट्रासाउंड सेन्टरों को सील किया जायेगा।