चिडियाघर मे सिपाही की गुण्डई: सिपाही की करतूत वरिष्ठजनों पर पड रहा है भारी, प्रशासन बेखबर
सचिवालय मे ऐसे फेंक दिया जाता है प्रेस आई कार्ड — सिपाही
सिपाही के कृत्यों की जांच करा कर की जायेगी उचित कार्यवाही— निदेशक
कबीर बस्ती न्यूज:
लखनऊ: लखनऊ चिडियाघर गेट पर वर्षों से तैनात विभागीय सिपाही किसी को भी अपमानित करने मे पीछे नही है। वह वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा वरिष्ठ पत्रकारों को भी अपमानित करने का मास्टर डिग्री प्राप्त कर चुका है। ऐसी घटनाएं आये दिन चिडियाघर गेट पर प्राय: देखने व सुनने को मिल रही हैं। लगातार घट रही ऐसी घटनाओं को चिडियाघर प्रशासन नजर अन्दाज करता आ रहा है। उक्त सिपाही के दुरव्यवहार से पीडित लोगों ने बताया कि गैट पर तैनात सिपाही कई वर्षों से उसी जगह पर जमा हुआ है। अनकों बार उसके कृत्यों की शिकायत निदेशक तक पहुंचा लेकिन मामले को दबा दिया गया। यही कारण है कि सिपाही का विपरीत आचरण प्रस्तुत करने का मनोबल काफी बढ गया। यदि समय रहते चिडियाघर प्रशासन ने कडा कदम नही उठाया तो कभी भी गंभीर परिणाम देखने को मिल सकते हैं। उक्त सिपाही का यह अशोभनीय आचरण चिडियाघर प्रशासन के छबि को लगातार धूमिल करने से बाज नही आ रहा है। ऐसा ही वाकया बृहस्पतिवार को दोपहर करीब दो बजे घटित हुआ। समाचार संकलन के उद्वदेश्य से निदेशक कार्यालय जा रहे एक वरिष्ठ पत्रकार को उक्त सिपाही ने अपमानित करने मे कोई कोर कसर नही छोडा। वरिष्ठ पत्रकार ने समूचे घटनाक्रम से चिडियाघर के निदेशक अशोक कुमार को अवगत कराया है। अब देखना यह है कि चिडिया घर प्रशासन क्या कार्रवाई करता है।
आईए जानते हैं घटनाक्रम—
दिन व समय— बृहस्पतिवार, करीब दो बजे
एक वरिष्ठ पत्रकार समाचार संकलन के उद्वदेश्य से निदेशक कार्यालय जा रहे थे। गेट पर तैनात सिपाही को अपना परिचय बताया लेकिन सिपाही संतुष्ट नही हुआ उसने परिचय पत्र मांगा तो पत्रकार ने प्रेस आई कार्ड भी उसे थमा दिया।
सिपाही ने दागा पत्रकार से सवाल— कहा कि कभी सचिवालय गये हो तो पत्रकार ने कहा कि हां कई बार गये हैं फिर मुंह बिचकाते हुए बडे तैश से कहा कि ऐसे प्रेस आई कार्ड वहां ऐसे फेंक दिये जाते हैं।
सिपाही ने फिर कहा कि मै आपको नही जानता, एक समाचार पत्र कार्यालय के सामने सडक पर बैठने वाले सभी पत्रकार हमें जानते पहचानते हैं। इस पर पत्रकार ने कहा कि हम सडक पर बैठने वाले पत्रकार नही हैं और बहुत कम कवरेज पर निकल पाते हैं। उक्त सिपाही अपनी वर्दी का धौंस और रसूख् का हवाला देकर पत्रकार को अपने प्रभाव मे लेना चाह रहा था लेकिन इसका कोई प्रभाव पत्रकार पर नही पडा।
बेअन्दाज सिपाही पत्रकार से संतुष्ट नही हुआ और कहा कि अगर पत्रकार हो तो डायरेक्टर से बात कराओ, फिर पत्रकार ने डायरेक्टर को फोन मिला दिया लेकिन फोन रिसीव नही हुआ। सिपाही को विश्वास नही हुआ, सिपाही ने पत्रकार से कहा कि डायरेक्टर का नम्बर दिखाओ, पत्रकार ने डायरेक्टर का नम्बर भी दिखा दिया। अन्त मे पत्रकार ने जब सिपाही से पीआरओ अनूप चतुर्वेदी से बात कराया तब जाकर सिपाही शांत हुआ और पत्रकार आगे बढ गया।
उक्त सिपाही के विपरीत आचरण को क्यों बर्दाश्त कर रहा है चिडियाघर प्रशासन—
यहां जनकारों का कहना है उक्त सिपाही का गुण्डई आये दिन देखने को मिलता है। लोग आये दिन अपमानित होते रहते हैं। उसकी उंची रसूख् और चिडियाघर प्रशासन का संरक्षण ही उसका मनोबल बढा रहा है।
जानकारों का कहना है कि अक्सर वरिष्ठजन अपने परिवारों के साथ चिडियाघर आते हैं जिसमें अधिकारी लोग भी होते हैं। उन्हें भी अपमान का सामना करना पडता है। लेकिन परिवार साथ मे होने के कारण लोग प्रतिरोध नही कर पाते जिसके कारण इस सिपाही का मनोबल बढा हुआ है। कुछ लोगों का तो यह कहना है कि यह सिपाही पिछले कई वर्षों से यहीं तैनात है और चिडियाघर प्रशासन का चहेता है।
चिडियाघर के निदेशक अशोक कुमार ने कहा कि सिपाही का ऐसा आचरण नही होना चाहिए अगर वरिष्ठजनों व पत्रकार बन्धुओं के साथ सिपाही द्वारा ऐसा आचरण प्रदर्शित किया गया है तो यह एक गंभीर बात हैं। उन्होेने कहा कि उक्त सिपाही के कृत्यों की जांच करा कर उचित कार्यवाही की जायेगी।