बैट्री चोर गिरोह का सरगना गिरफ्तार, 12 बैट्रियां बरामद
चार अन्य साथियों का नाम सामने आया
कबीर बस्ती न्यूजः
बस्ती। मंडल के बस्ती और सिद्धार्थनगर जिले में घूम-घूमकर मोबाइल टावरों से बैट्री चोरी करने वाले गिरोह के सरगना को जिले की रुधौली पुलिस और स्वॉट टीम के संयुक्त अभियान में पकड़ लिया गया। आरोपी के कब्जे से साढ़े तीन लाख रुपये कीमत की 12 बैट्री और एक बाइक बरामद की गई है।
पूछताछ में उसके चार अन्य सहयोगियों का नाम प्रकाश में आया है। उनकी तलाश में पुलिस टीमें जुटी हैं। पुलिस के मुताबिक, आरोपी पहले बाइक से टावरों की रेकी करते थे और मौका मिलने पर वहां से चुराई बैट्रियां पिकअप पर लादकर उठा ले जाते थे।
प्रभारी निरीक्षक ने बताया कि मंगलवार को वह व प्रभारी स्वॉट टीम उमाशंकर त्रिपाठी की टीम के साथ बीते छह दिसंबर की रात धरैला गांव के टॉवर से बैट्री बैंक व पावर केबिल चोरी की घटना में प्रकाश में आए आरोपी जलाल अहमद की तलाश में निकले थे। मुखबिर की सूचना पर सुबह करीब 11 बजे थाना क्षेत्र के आमी नदी के पुल के पास से जलाल अहमद निवासी पिछौरा बर्डपुर थाना जिला सिद्धार्थनगर को गिरफ्तार कर लिया।
उन्होंने बताया कि जलाल के खिलाफ बांसी सिद्धार्थनगर, सोनहा, वाल्टरगंज, नगर व रुधौली थाने में बैट्री चोरी के मुकदमे दर्ज हैं। आरोपी की निशानदेही पर आमी नदी के किनारे पुल के पास झाड़ी में छिपाकर रखी 12 बैट्रियां बरामद हुईं।
जलाल ने पुलिस को बताया कि वह राशिद व टिपू निवासी बनके गांव सिद्धर्थनगर, सफी मोहम्मद व अब्दुल हक के साथ मिलकर टावर की बैट्री चोरी करता है। बरामद बाइक राशिद की बताई जा रही है। जलाल ने बताया कि 20 दिन पहले उन लोगों ने रुधौली बखिरा रोड के किनारे टावर से 22 बैट्री, बांसी बेलौहा रोड के टावर से 22 बैट्री चोरी की थी।
उसने बताया कि महोरवा तितौली रोड पर पोखरे के किनारे गन्ने के पास छह दिन पहले रात में टावर से 22 बैट्री चोरी की थी। 20 दिन पहले भानपुर के पास टावर पर गए थे, लेकिन रास्ता सही न होने के कारण केवल बीटीएस मशीन चुराकर लौट गए। गौरा चौराहे के आगे से रात में टावर से 21 बैट्री चोरी की घटना भी उसने स्वीकार किया।
उसने बताया कि नगर थाना क्षेत्र में करहली खुर्द स्थित टावर से तीन महीने पहले 16 बैट्री चुराए थे। जलाल ने बताया कि राशिद के कहने पर वे लोग टावर से बैटरियों को पिकअप पर लदवा देता था। उसे लेकर राशिद व टीपू बेचने चले जाते थे। बेचने के बाद उसको उसका हिस्सा दे देते थे। अब तक कुल 22 हजार पांच सौ रुपये मिल चुका है।