39 अस्तित्वहीन मदरसों के नाम पर शासकीय धन के गबन का आरोप, 7 जिम्मेदारों पर दर्ज हुआ मुकदमा
एसआइटी के जांच मे खुला विभागीय अधिकारियों के करतूतों का राज
आजमगढ़ में कागजों पर 219 मदरसे चलाने का प्रकरण
कबीर बस्ती न्यूज।
लखनऊ: आजमगढ़ में कागजों पर 219 मदरसे चलाने के प्रकरण में राज्य एसआईटी ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के रजिस्ट्रार, तीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी, लिपिक, वक्फ निरीक्षक समेत सात अधिकारियों एवं कर्मचारियों के खिलाफ धोखाधड़ी, सरकारी धन का गबन, आपराधिक साजिश रचने, सुबूत नष्ट करने समेत कई धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। इन सभी पर फर्जी मदरसों के नाम पर शासकीय धन के गबन का आरोप है।
दरअसल, आजमगढ़ में मदरसा पोर्टल पर अपलोड मदरसों के सत्यापन के दौरान मानक के विपरीत संचालित हो रहे 313 मदरसों की जांच करायी गई थी। इनमें से 219 अस्तित्वहीन मदरसों के दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा करके मान्यता देने, जांच से संबंधित दस्तावेजों को गायब करने और इनको पुरोनिधानित मदरसा आधुनिकीकरण योजना के अंतर्गत भुगतान करके शासकीय धन का गबन करने वाले अधिकारी एवं कर्मचारियों के जांच में दोषी पाए जाने पर शासन को रिपोर्ट साैंपी गयी थी। प्रमुख सचिव गृह की ओर से 19 दिसंबर 2022 को राज्य एसआईटी को इस प्रकरण में दोषी पाए गए अधिकारियों एवं कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया गया था।
एसआईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में उल्लेख किया कि आजमगढ़ में 39 अस्तित्वहीन मदरसों के जरिए शासकीय धन का गबन किया गया। साथ ही, समस्त 219 अस्तित्वहीन मदरसों को मान्यता देने में विभागीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने घोर लापरवाही और अनियमितता बरती। जांच के दायरे में आए मदरसों को दिए गये मानदेय का पूरा विवरण उपलब्ध नहीं कराया गया। जांच के दौरान केवल आठ मदरसों की मान्यता के दस्तावेज ही दिए गये।
इनके खिलाफ दर्ज हुआ मुकदमा
आजमगढ़ के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के रजिस्ट्रार जावेद असलम, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी लालमन, अकील अहमद व प्रभात कुमार, लिपिक सरफराज, वक्फ निरीक्षक मुन्नर राम, लिपिक वक्फ ओमप्रकाश पांडेय व अज्ञात अधिकारी एवं कर्मचारी।