हाइजीन और सुरक्षात्मक उपायों से रोका जा सकता है सर्वाइकल कैंसर का खतरा
फलों और सब्जियों का करें सेवन, कम उम्र में बच्चा प्लान न करें
कबीर बस्ती न्यूज।
संतकबीरनगर। जिला संयुक्त चिकित्सालय के स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ रवि पांडेय ने कहा है कि हाइजीन और सुरक्षात्मक उपायों को अपनाकर सर्वाइकल कैंसर के खतरे को टाला जा सकता है। समय से जानकारी होने पर इसका उपचार भी हो सकता है। वर्तमान में इसके लिए ह्यूमन पैपीलोमा वायरस ( एचपीवी ) वैक्सीन भीउपलब्ध है। यह महिलाओं में इस कैंसर के खतरे को कम कर देती है। देश में जल्द ही इसकी स्वदेशी वैक्सीन भी उपलब्ध हो जाएगी। महिलाएं अगर धूम्रपान करती हैं तो इसे बंद कर दें, इससे सर्वाइकल कैंसर के साथ कई अन्य प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम हो सकता है।
यह बातें उन्होने जिला चिकित्सालय के मातृ शिशु स्वास्थ्य विंग ( एमसीएच ) विंग में सर्वाइकल कैसर जागरुकता विषय पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहीं। इस अवसर पर स्त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ रक्षा रानी चतुर्वेदी ने कहा कि सर्वाइकल कैंसर एक गंभीर कैंसर है जो महिलाओं में ही होता है। इस दौरान डॉ सीताराम कन्नौजिया ने कहा कि यह ह्यूमन पैपीलोमा वायरस ( एचपीवी ) से फैलता है। यह वायरस इतना आम है कि ज़्यादातर लोग अपनी ज़िंदगी में इससे ज़रूर संक्रमित होते हैं। इसके संक्रमण के किसी तरह के लक्षण नज़र नहीं आते हैं। कई बार इससे संक्रमित होने के बाद भी पता नहीं चल पाता है।आमतौर पर महिलाओं में इस वायरस के संक्रमण का असर अपने आप खत्म भी हो जाता है , लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ तो समय के साथ यह सर्वाइकल कैंसर का रूप ले लेता है।
र्वाइकल कैंसर के प्रकार
स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा: 80 से 90 प्रतिशत सर्वाइकल कैंसर के मामले स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा की वजह से होते हैं, जो गर्भाशय ग्रीवा के निचले भाग में परतदार, सपाट कोशिकाओं में होता है।
एडेनोकार्सिनोमा: जब कैंसर के ट्यूमर ग्रीवा के ऊपरी हिस्से में ग्लैंड्स की कोशिकाओं में विकसित होते हैं, तब इसे एडेनोकार्सिनोमा कहा जाता है।
मेटास्टेटिक सर्वाइकल कैंसर: जब सर्वाइकल कैंसर ग्रीवा के अलावा शरीर के कई हिस्सों में फैल जाता है, तो इसे मेटास्टेटिक सर्वाइकल कैंसर कहा जाता है।
यह है इस गंभीर बीमारी के कारण
सर्वाइकल कैंसर का कारण एचआईवी ( हयूमन इम्युनोडिफिशिएंसी वायरस ) , यौन जनित रोग क्लैमाइडिया, धूम्रपान, मोटापा, अनुवांशिक रुप से पारिवारिक इतिहास, फलों और सब्जियों का कम सेवन करना, तीन पूर्ण गर्भधारण के बाद अतिरिक्त गर्भधारण, 17 साल से कम आयु में गर्भवती होना है। इसके अतिरिक्त प्रतिबंधित गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन भी इसका कारण हो सकता है।