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हुमायूंपुर शहरी स्वास्थ्य केंद्र पर फाइलेरिया नियंत्रण इकाई की टीम ने लगाया शिविर

फाइलेरिया के बारे में दी जानकारी, लिये गये रक्त के नमूने
कबीर बस्ती न्यूज।
गोरखपुर: हुमायूंपुर शहरी स्वास्थ्य केंद्र पर मंगलवार की रात में फाइलेरिया जनजागरूकता शिविर लगाया गया और उपस्थित 34 लोगों के बीच नाइट ब्लड सर्वे भी किया गया । फाइलेरिया नियंत्रण इकाई की टीम ने शिविर का आयोजन किया । इस मौके पर हाथीपांव के एक दर्जन मरीज भी पहुंचे थे जिन्हें रुग्णता प्रबन्धन एवं दिव्यांगता निवारण (एमएमडीपी) के बारे में जानकारी दी गयी । मरीजों को बताया गया कि महानगर के असुरन चौराहे के निकट लालकोठी स्थित फाइलेरिया नियंत्रण इकाई के कार्यालय से प्रत्येक गुरूवार को एमएमडीपी किट दी जाती है । मरीज अपने परिजनों के साथ आकर यह किट प्राप्त कर सकते हैं ।
जिला मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह ने बताया कि फाइलेरिया नियंत्रण इकाई की टीम प्रत्येक सप्ताह दो साइट्स पर नाइट ब्लड सर्वे करती है । इसके अलावा गुरूवार की रात में भी नाइट ब्लड सर्वे किया जाता है । इसका उद्देश्य यह पता लगाना होता है कि कहीं फाइलेरिया का समुदाय में प्रसार तो नहीं हो रहा है । फाइलेरिया के कारण होने वाले हाथीपांव का कोई इलाज नहीं है लेकिन इसकी समय से पहचान हो जाने पर प्रबन्धन के जरिये इसे जटिल होने से रोका जा सकता है। हाथीपांव की साफ सफाई और नियमित व्यायाम से मरीज को काफी आराम मिलता है । जिले में इस समय फाइलेरिया ग्रसित मरीजों की संख्या 1983 है। इसी कड़ी में हुमायूंपुर शहरी स्वास्थ्य केंद्र पर प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ नुपूर आनंद की देखरेख में यह कार्यक्रम आयोजित हुआ। मरीजों को जुटाने में सीफार संस्था का सहयोग प्राप्त किया गया।
शिविर की प्रतिभागी व महानगर की पुर्दिलपुर निवासी 60 वर्षीय लता पॉल ने बताया कि नाइट ब्लड सर्वे में उनके भी रक्त का नमूना लिया गया । उनके दोनों पैरों में पिछले पांच वर्षों से हाथीपांव की समस्या है । शिविर में उन्हें बताया गया कि साल भर में एक बार सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम के दौरान परिवार समेत फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन करना है । दो साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और गंभीर बीमारी से ग्रसित को छोड़कर सभी को इस दवा का सेवन लगातार पांच साल तक करना है। हाथीपांव एक लाइलाज बीमारी है जो मच्छर काटने से होती है। इससे बचाव के लिए दवा के सेवन के साथ साथ मच्छरों से बचाव के सभी उपाय भी करने चाहिए।
इस अवसर पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से अजय कुमार पांडेय, सतीश कुमार मिश्रा, अंजनी कुमार मिश्रा, अभय वर्मा, प्रभात रंजन, आशा कार्यकर्ता आभा, संध्या देवी, प्रतिमा, सुधा, माया और संगीता प्रमुख तौर पर मौजूद रहीं।
ऐसे करना है हाथीपांव प्रबन्धन
शिविर में पहुंचे हाथीपांव के मरीजों को बताया गया कि मरीज को टब में अपना प्रभावित अंग रखना होता है और फिर मग से धीरे धीरे पानी डालकर अंग को भिगोना होता है। पानी न तो ठंडा हो और न ही गरम हो। साबुन को प्रभावित अंग पर सीधे नहीं लगाना है । साबुन को हाथों में लेकर झाग बना लेना है और फिर उसी झाग को प्रभावित अंग पर लगाना है और अंग को धुलना है । इसके बाद साफ कॉटन के तौलिये से बिना रगड़े हल्के हाथ से अंग को साफ करना है। अगर प्रभावित अंग कहीं कटा है या इंफेक्टेड है तो वहां पर क्रीम भी लगाना है। प्रतिदिन ऐसा करने से हाथीपांव से प्रभावित अंग सुरक्षित रहते हैं और आराम भी मिलता है । इसके अलावा एड़ियों के सहारे खड़ा होकर प्रतिदिन व्यायाम करना है। इस पूरी प्रक्रिया के लिए एमएमडीपी किट विभाग द्वारा सरकारी प्रावधानों के अनुसार प्रदान किया जाता है ।