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रोग की गम्भीरता व दवा के फायदे बताए तो दवा खाने को हो गए राजी

– स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गौर ब्लॉक के नरथरी गांव में खिलवाई दवा

– उदासीन परिवारों पर स्वास्थ्य विभाग व सहयोगी संस्थाओं का रहा फोकस

– अभियान का मॉप अप राउंड 29 अगस्त से दो सितम्बर तक चलेगा

– अभियान के दौरान 24.16 लाख लोगों ने किया फाइलेरिया की दवा का सेवन

कबीर बस्ती न्यूज।

बस्ती। फाइलेरिया उन्मूलन के लिए चलाए गए एमडीए (मॉस ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य विभाग की टीम ने घर-घर जाकर लोगों को फाइलेरिया रोधी दवा खिलाई है। दवा सेवन के प्रति उदासीन परिवारों पर विभाग व उसकी सहयोगी संस्थाओं का विशेष फोकस रहा है। ऐसे परिवारों से मिलकर टीम ने सबसे पहले रोग की गम्भीरता के बारे में विस्तार से समझाती है, इसके बाद दवा खाने के फायदे बताए और उन्हें दवा खाने के लिए राजी किया। डीएमओ आईइए अंसारी ने बताया कि सोमवार तक एमडीए कार्यक्रम संचालित हुआ है। 28 अगस्त तक चले अभियान के दौरान 24.16 लाख लोगों को दवा का सेवन कराया जा चुका है। 28 लाख लोगों को दवा खिलाने का लक्ष्य है, इसमें 11 प्रतिशत दवा के प्रति उदासीन लोग हैं। मंगलवार से आगामी दो सितम्बर तक मॉप अप राउंड चलेगा, इसमें दवा के प्रति उदासीन लोगों की काउंसिल कराकर उन्हें व छूटे हुए लोगों को दवा खिलाई जा रही है।

गौर ब्लॉक के घनघटा गांव में एक परिवार फाइलेरिया से बचाव की दवा नहीं खा रहा था। भ्रमण के दौरान वहां पहुंचे स्वास्थ्य विभाग की सहयोगी संस्था पीसीआई के ब्लॉक मॉनीटर रमाशंकर तिवारी व आशा वर्कर सुशीला यादव के समझाने के बाद संतराम, उनकी पत्नी व अन्य पांच लोगों ने दवा खा ली। उनका कहना था कि अब वह हर साल दवा खाएंगे। गांव में सभी लोग दवा खा रहे हैं।

रमाशंकर तिवारी ने ग्रामीणों को बताया कि फाइलेरिया एक ऐसा रोग है, जो एक बार हो गया तो फिर दुनिया में किसी इलाज से ठीक नहीं होगा। पोस्टर आदि दिखाकर बताया कि अगर पांव में हो गया तो पैर मोटा हो जाता है, जिसे हाथीपांव के नाम से जाना जाता है। साल में एक बार दवा खाने से रोग से बचाव होता है। केवल दवा का जब असर होता है तो चक्कर व मिचली जैसी छोटी समस्या हो सकती हैं।

एसीएमओ वेक्टर बार्न डिजीज डॉ. एके मिश्रा ने बताया कि फाइलेरिया एक बार होने पर यह व्यक्ति को स्थायी रूप से अपंग बना सकता है। यह पैर, अंडकोष (हाइड्रोसील), स्तन कहीं भी शरीर के लटकने वाले भाग में हो सकता है। यह संक्रमित मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। पांच साल लगातार, साल में एक बार दवा खाने से शरीर में पनप रहे फाइलेरिया के परजीवी मर जाते हैं। पैर या अंडकोष में सूजन, पैर में चित्तीदार दाग या लाल चकत्ते, स्तन के आकार में अंतर हो तो इसकी जानकारी स्वास्थ्य कर्मी को दें।