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फाइलेरिया, कालाजार व कुष्ठ रोग पर किया जागरूक

एम्स ने वर्चुअल कार्यक्रम कर मनाया विश्व एन टी डी दिन मनाया गया जिसमें

विश्व स्वास्थ्य संगठन और पाथ संस्था के सहयोग से हुआ संवेदीकरण

कबीर बस्ती न्यूजः

गोरखपुर: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गोरखपुर ने सोमवार की शाम वर्चुअल कार्यक्रम कर नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल  डिजीज (एनटीडी) डे मनाया । विश्व स्वास्थ्य संगठन और पाथ संस्था के सहयोग से हुए इस कार्यक्रम में एम्स के साथ-साथ गोरखपुर मंडल के स्वास्थ्य विभाग से जुड़े अधिकारी और स्वास्थ्यकर्मियों ने भी  प्रतिभाग किया । कार्यक्रम की अध्यक्षता कार्यकारी निदेशक डॉ. सुरेखा किशोर ने की ।

एम्स के कम्युनिटी मेडिसिन अवं  फैमिली मेडिसिन विभाग से  सह आचार्य डॉ. अनिल कोपकर ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की । इसके बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन के एनटीडी प्रोग्राम के जोनल कोआर्डिनेटर डॉ. सागर घोड़ेकर ने कुष्ठ रोग और फाइलेरिया कार्यक्रम के बारे में विस्तार से जानकारी दी । उन्होंने बताया लक्षण उपचार और  प्रोग्राममे बारेमे  जानकारी दी जबकि सरकारी क्षेत्र में यह दवा निःशुल्क होती है । कुष्ठ से दिव्यांग हुए रोगियों को 2500 रुपये प्रतिमाह पेंशन भी दी जाती  है । अंगों में आई विकृति की निःशुल्क सर्जरी की जाती है।

डॉ. सागर ने बताया कि फाइलेरिया के कारण हाथीपांव  झेल रहे मरीजों को उनकी देखभाल के लिए एमएमडीपी किट भी दी जाती है । हर साल फाइलेरिया के रोगियों मलरिया विभाग मे उप्लब्ध है और सामान्य जनता निरोगी और रोगी को को इस बीमारी से बचाव के लिए साल मे एक बार निःशुल्क दवा सामुहिक दवा सेवन (MDA)द्वारा दवा खिलाई जाती है ।  हाइड्रोसील मरीज का शस्त्रक्रिया अवं  फाइलेरिया रोधी दवा लेना होगा और (chyluria )धात रोग फाइलेरिया होता है , ये लोगो को जानकारी नही है.
कुष्ठ और फाइलेरिया राष्ट्रीय कार्यक्रमों का अंग है और इन बीमारियों के मरीजों का नोटिफिकेशन अनिवार्य है। अगर ऐसे मरीज मिलते हैं तो मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय/ मलरिया विभाग और कुष्ठ विभाग   को सूचना दी जानी चाहिए।

पाथ संस्था के प्रोग्राम ऑफिसर डॉ. ज्ञान ने कालाजार के बारे में प्रस्तुति दी । उन्होंने बताया कि कालाजार का इलाज जहां निजी क्षेत्र में लाखों रुपये का है, वहीं सरकारी क्षेत्र में यह निःशुल्क है । अगर समय से इस बीमारी की पहचान कर इलाज कराया जाए तो जटिलताओं से बचा जा सकता है । कालाजार प्रभावित जिलों में मरीजों को पक्का मकान देने की योजना भी सरकार द्वारा चलाई जा रही है । सरकारी अस्पताल में इलाज करवाने पर कालाजार के सामान्य मरीज को 500 रुपये और चमड़ी वाले कालाजार मरीज को 4000 रुपये उसके खाते में देने का प्रावधान है ।
कार्यक्रम में एम्स के कम्युनिटी एवं फैमिली मेडिसीन डिपार्टमेंट से डॉ. आनंद मोहन दीक्षित, डॉ. प्रदीप खरैया, डॉ. रमाशंकर रथ, डॉ. बिजित विश्वास और डॉ. यू वैंकटेश मौजूद रहे । विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष डॉ. विवेक मिश्रा, डॉ. सुनील गुप्ता, डॉ. संगीता गुप्ता, डॉ. मनोज पृथ्वीराज और डॉ. प्रीतिवाला ने कार्यक्रम में भौतिक रूप से प्रतिभाग किया । एमबीबीएस 2019 और 2020 के विद्यार्थियों ने वर्चुअली कार्यक्रम में हिस्सा लिया ।

कुष्ठ रोग के लक्षण
• शरीर में कोई ऐसा दाग-धब्बा जो सुन्न रहता है वह कुष्ठ रोग हो सकता है।
• यह रोग लैपरी नामक माइक्रो बैक्टेरिया से होता है जो बहुत धीमी गति से इंफेक्शन करता है।
• अगर समय रहते इसकी पहचान हो जाए तो इलाज हो सकता है।
• यह हेल्दी कान्टैक्ट से नहीं फैलता है। इसका इंफेक्शन एक व्यक्ति से दूसरे में तभी होता है जबकि वह 16-18 घंटा प्रतिदिन कई महीनों तक रोगी के निकट संपर्क में रहे।

कालाजार के लक्षण
• वेक्टर जनित रोग कालाजार की वाहक बालू मक्खी कालाजार रोग के परजीवी लीशमेनिया डोनोवानी को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलाती है ।
• कालाजार एंडेमिक जनपदों में यदि किसी व्यक्ति को दो सप्ताह से ज्यादा से बुखार हो और वह मलेरिया या अन्य उपचार से ठीक न हो तो उसे कालाजार हो सकता है ।
• कालाजार की वाहक बालू मक्खी के काटने के बाद मरीज बीमार हो जाता है। उसे बुखार होता है और रुक-रुक कर बुखार चढ़ता-उतरता है।
• इस बीमारी में मरीज का पेट फूल जाता है। भूख कम लगती है। शरीर पर काला चकत्ता पड़ जाता है।

फाइलेरिया के लक्षण

• हाथ, पैर और महिलाओं के स्तन में  सूजन । पुरुषों में हाइड्रोसील की परेशानी भी होती है ।
• यह क्यूलेक्स नामक मच्छर के काटने से होता है जो गंदे पानी में पैदा होते हैं
• फाइलेरिया जैसी बीमारी में सामान्य तौर पर  मौत तो नहीं होती लेकिन होने वले विकलांगता से जिंदगी मौत से भी बदतर हो जाती है
• साल भर में एक बार चलने वाले मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) राउंड में दवा के सेवन से होता है ।