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सेरेब्रल पाल्सी पीड़ित जान्ह्वी को फिजियोथैरेपी से मिली नयी जिन्दगी

− सेरेब्रल पाल्सी में दवा से अधिक कारगर है फिजियोथैरेपी

− समय से पहचान करके इस प्रकार के बच्चों का कराएं इलाज

कबीर बस्ती न्यूजः

संतकबीरनगर: सेरेब्रल पाल्सी ( आंशिक दिव्यांगता )  के इलाज में दवा के साथ फिजियोथैरेपी की अहम भूमिका है। अगर समय से पहचान करके शुरुआती दौर में ही इस प्रकार के बच्चों का इलाज कर दिया जाय तो वह पूरी तरह से स्वस्थ होकर सामान्य बच्चों के जैसा व्यवहार शुरु कर देते हैं।

यह कहना है जिले के दिव्यांग पुनर्वास केन्द्र के फिजियोथैरेपिस्ट डॉ. बी. के. चौधरी का, जिन्होने सेरेब्रल पाल्सी के दर्जनों बच्चों का जीवन संवारा है। वह बताते हैं कि जिले के बेलहर कला गांव के शिवदयाल की छह  साल की पुत्री जान्ह्वी शुरुआती दौर से ही काफी सुस्त रहती थी। शिव दयाल बताते हैं कि दो साल के बाद भी वह ठीक से चल नहीं पाती थी। गोरखपुर में उन्होने चार साल पहले एक चिकित्सक को दिखाया तो उन्होने कुछ दवाएं दीं, लेकिन उनका कुछ असर नहीं हुआ। इसके बाद उनको इलाज के लिए पिता शिवदयाल मुम्बइ ले गए। लेकिन वहां भी उसे राहत नहीं मिली। दो साल तक वहां का भी इलाज कराया, लेकिन लाभ नहीं हुआ। वह पांच साल की हो गयी, लेकिन न तो वह चल पा रही थी, न ही ज्यादा समय तक बिना किसी सहारे के खड़ी ही हो पा रही थी। उन्हें गांव की आशा कार्यकर्ता ने दिव्यांग पुनर्वास केन्द्र जाने की सलाह दी। इसके बाद वे जिला अस्पताल में स्थित दिव्यांग पुनर्वास केन्द्र में लाए। केन्द्र के फिजियोथैरेपिस्ट डॉ. बी. के. चौधरी ने जान्हवी को देखा तो उन्होने उसकी फिजियोथैरेपी शुरु की। कुछ व्यायाम बताए साथ ही सप्ताह में दो बार सेंटर पर लाने की सलाह दी। इसके अपेक्षित परिणाम सामने आए। पिता शिवदयाल भी बुलाए गए । समय पर 42 किमी दूर से उसे अस्पताल लाते रहे। परिणाम यह रहा कि आज वह खड़ी होने लगी है तथा उसका लार टपकना बन्द हो गया है। उसके अंग धीरे धीरे काम करने लगे हैं। शरीर की मसल्स सक्रिय हो गयी हैं। वह चलती भी है। कुछ इसी प्रकार की स्थिति धनघटा के राकेश के तीन बर्षीय पुत्र ओमवीर की थी। वह पैदा हुआ तो उसकी हालत खराब थी तथा वह 10 दिन तक गहन चिकित्सा केन्द्र में रहा। बाद में जब समय के साथ उसने चलना नहीं शुरु किया तो उसकी मां अनीता उसे लेकर स्थानीय प्राइवेट चिकित्सक के यहां गयी। वहां पर उसे छह माह तक चिकित्सक ने दवा तो दी लेकिन सुधार नहीं हुआ। फिर उसे वह विगत 14 नवम्बर को जिला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ सुनील कुमार के पास ले गयी। डॉ सुनील कुमार ने उसे दिव्यांग पुनर्वास केन्द्र में भेजा। इसके बाद उसकी भी फिजियोथैरेपी हुइ। नतीजा यह है कि आज वह भी चलना शुरु कर दिया है। उसकी फिजियोथैरेपी जारी है। फिजियोथैरेपिस्ट डॉ. बी. के. चौधरी बताते हैं कि वह एक माह में पूरी तरह से स्वस्थ हो जाएगा।

क्या है सेरेब्रल पाल्सी

सेरेब्रल पाल्सी  एक प्रकार से दिव्यांगता है जिसमें बच्चे का समय के साथ विकास नहीं हो पाता है। उसके अंग शिथिल हो जाते हैं। उसके अंग सामन्य रुप से प्रक्रिया नहीं करते हैं तथा उन्हें लार आदि टपकता रहता है। यही नहीं वे सामान्य रुप से चल भी नहीं पाते हैं। नतीजा तो यहां तक होता है कि वे ब्रेन डेड भी हो सकते हैं।

क्या हैं इसके कारण

इसका प्रमुख कारणों में बच्चे का समय से पूर्व हो जाना। जन्म के समय पीलिया या अन्य रोगों की चपेट में आ जाना तथा जन्म के समय बच्चे को पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन न मिलना होता है। बच्चा जब पैदा होता है तो वह रोता है। रोने से उसके शरीर में आक्सीजन का प्रवाह पर्याप्त मात्रा में होता है तथा शरीर का हर अंग आक्सीजन से संतृप्त हो जाता है।

क्या हैं इसके लक्षण
बच्चा पैदा होने के समय अगर रोए न तो इस बात की पर्याप्त संभावना है कि वह सेरेब्रल पाल्सी का शिकार हो गया है। यही नहीं उसे पीलिया भी हो गया हो तो उसकी गतिविधियों पर ध्यान देने की आवाश्यकता होती है। बच्चे 6 माह का होने के बाद भी सामान्य रुप से करवट न ले पा रहा हो, या फिर लार अधिक मात्रा में टपक रही हो। साल भर का होने के बाद भी ख़डे होने में परेशानी हो तो उसे चिकित्सक से अवश्य दिखा लेना चाहिए। समय के साथ यह गंभीर रुप ले लेता है।