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कुपोषण की हुई पहचान  तो तीन माह में सुपोषित हुए चार बच्चे

बाल शिशु गृह में वजन दिवस पर चिन्हित किये गये थे बच्चे
एशियन सहयोगी संस्था इंडिया की सक्रियता से एनआरसी में कराए गए थे भर्ती

कबीर बस्ती न्यूजः

गोरखपुर: महानगर के बाल शिशु गृह में लक्षणों और वजन के आधार पर कुपोषण की पहचान हुई तो तीन माह में चार बच्चे सुपोषित हो गये । यह सभी बच्चे सितम्बर 2021 में वजन दिवस में चिन्हित किए गए  थे । बाल शिशु गृह का संचालन कर रही एशियन सहयोगी संस्था इंडिया की सक्रियता से यह सभी बच्चे पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में भर्ती कराये गये थे और अब पूरी तरह स्वस्थ हो गये ।

गत सितम्बर में हुए वजन दिवस में रिया (2 वर्ष 10 माह), रोहित (सात माह), अन्नू (नौ माह) और लक्ष्मी (3 वर्ष) का वजन (सभी बच्चों के नाम काल्पनिक) उम्र के सापेक्ष कम पाया गया था । संस्था की संचालिका उषा दास का कहना है कि बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग (आईसीडीएस) के अलावा उनके स्टॉफ नर्स ने भी  46 बच्चों का वजन किया था जिनमें से यह चार बच्चे काफी कमजोर थे। आईसीडीएस की तरफ से उम्र के सापेक्ष वजन के बारे में जानकारी भी दी गयी थी। चिन्हित किये गये चार बच्चों में से रोहित और अन्नू ठीक से खड़े नहीं हो पाते थे । रिया और लक्ष्मी भी कमजोर थीं । इन बच्चों को बीआरडी मेडिकल कालेज में चिकित्सक को दिखाया गया तो एनआरसी ले जाने की सलाह मिली ।

सबसे पहले रिया को एनआरसी में भर्ती कराया गया । आठ अक्टूबर को भर्ती कराते समय रिया का वजन 8.5 किलोग्राम  था । संस्था की तरफ से स्टॉफ नर्स शिप्रा और अनीता मसीह को भी एनआरसी में लगाया गया और पर्यवेक्षण का काम विकास कुमार श्रीवास्तव ने किया । एनआरसी में रिया की सघन देखरेख हुई। पौष्टिक भोजन मिला और इलाज भी हुआ । वहां की सुविधाएं काफी अच्छी थीं । चौदह दिन बाद 21 अक्टूबर को रिया को डिस्चार्ज किया गया और तब तक उसका वजन 9.5 किलोग्राम हो चुका था । एनआरसी में बच्चों की सेहत के सकारात्मक प्रभावों को देखते हुए अन्य बच्चों को भी भर्ती करवाने का निर्णय लिया गया ।

तीन किलोग्राम वजन के साथ रोहित को 21 अक्टूबर को भर्ती कराया गया और नौ नवम्बर को डिस्चार्ज होते समय उसका वजन चार किलोग्राम था । चार किलोग्राम वजन की अन्नू और आठ किलो वजन की लक्ष्मी को 24 नवम्बर को एनआरसी में भर्ती कराया गया । 10 दिसम्बर को अन्नू पांच किलो वजन के साथ डिस्चार्ज हुई जबकि नौ दिसम्बर को लक्ष्मी 10 किलो वजन के साथ डिस्चार्ज हुई ।

समय से कदम उठाना आवश्यक

उषा दास का कहना है कि वजन के सापेक्ष समय से कुपोषण की पहचान करना और समय से चिकित्सक को दिखाना आवश्यक है । चिकित्सक अगर सलाह देते हैं तो बिना देर किये एनआरसी में भर्ती करवा देना चाहिए । वहां बच्चों को इलाज के साथ-साथ दूध, दलिया, हलवा, अंडा, केला और सेब जैसे पौष्टिक आहार दिये गये । संस्था की तरफ से अभिभावक के तौर पर एक नर्स दिन में और एक नर्स रात में वहां रहती थीं । एनआरसी के चिकित्सकों व स्टॉफ ने भी समुचित आहार और दवाइयों के साथ-साथ बच्चों को भरपूर स्नेह दिया और वह स्वस्थ हो सके ।

एनआरसी को जानिये

•       इसका संचालन बीआरडी मेडिकल कालेज में हो रहा है
• चिकित्सक की सलाह पर यहां कुपोषित बच्चे भर्ती होते हैं
• भर्ती होने के दौरान बच्चे की मां या एक अभिभावक को निशुल्क पौष्टिक आहार मिलता है
•         बच्चे को दवा, दूध, खाना-पीना सब नि:शुल्क है
•         बच्चे की हर तरह की चिकित्सकीय जांच व दवा की निशुल्क सुविधा मिलती है
•         बाल रोग विशेषज्ञ बच्चे की नियमित जांच करते हैं
•         घर ले जाने से पहले बच्चे के खानपान से संबंधित काउंसिलिंग की जाती है

समय-समय पर होते हैं वजन

आईसीडीएस विभाग की मदद से जिले में समय-समय पर वजन दिवस मनाया जाता है । इस दिवस पर कुपोषित बच्चों की पहचान की जाती है और उनके संरक्षक को चिकित्सक से मदद लेने की सलाह दी जाती है । चिकित्सक के सलाह के अनुसार कुपोषित बच्चों का फॉलो अप होता है और आवश्यकतानुसार एनआरसी में भर्ती कराने के लिए भी प्रेरित किया जाता है ।

हेमंत सिंह, जिला कार्यक्रम अधिकारी