लिखित समझौते पर माने किसान, मजदूर, गोविन्दनगर सुगर मिल पर किसान महापंचायत स्थगित
अपर जिलाधिकारी ने दिया दो माह के भीतर भुगतान कराने का आश्वासन
कबीर बस्ती न्यूजः
बस्ती । गोविन्दनगर सुगर मिल गेट पर भारतीय किसान यूनियन की महापंचायत में किसानों, श्रमिकों के मुद्दे प्रभावशाली ढंग से उठी। देर शाम अपर जिलाधिकारी अभय कुमार मिश्र के इस घोषणा से किसान पंचायत स्थगित हुई कि एक माह के भीतर श्रमिकों और दो माह के भीतर गन्ना किसानों का बकाया भुगतान करा दिया जायेगा। उप जिलाधिकारी सदर, जिला गन्ना अधिकारी संजू सिंह, उप श्रमाधिकारी ने किसानों, श्रमिकों से लगभग तीन घंटे की मैराथन बैठक के बाद निष्कर्ष निकाला और किसान, मजदूर लिखित समझौते पर ही माने।
इसके पूर्व भाकियू पदाधिकारियों ने कहा कि यह हैरानी की बात है कि एक उद्योगपति गन्ना किसानों, श्रमिकांें का 62 करोड़ से अधिक रूपया हजम कर गया और प्रशासन, सरकार के लोग मूकदर्शक बने रहे। देर शाम तक किसान नेताओं ने जहां खाद, बिजली, मंहगे डीजल, गन्ना मूल्य भुगतान, धान गेहूं खरीदारी, आवारा पशुओं से फसलों के नुकसान का मुद्दा उठाया वहीं प्रशासन और पुलिस की सांसे अटकी रहीं। प्रशासन इस बात को लेकर भी सशंकित रहा कि यदि किसानों ने चीनी मिल के निकट स्थित रेलवे टेªक पर धरना शुरू कर दिया तो स्थितियां कैसे संभाली जायेंगी।
किसान पंचायत को भाकियू राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बलराम सिंह लम्बरदार, राष्ट्रीय सचिव घनश्याम वर्मा, प्रदेश सचिव दीवान चन्द पटेल, प्रदेश उपाध्यक्ष अनूप कुमार चौधरी, राम सिंह चौधरी, रामकुमार पटेल, प्रदेश संगठन मंत्री जयराम चौधरी, सुभाष चन्द्र किसान आदि ने किसान समस्याओं के सभी विन्दुओं पर विस्तार से चर्चा किया। कहा कि भाजपा की सरकार किसान नहीं उद्योगपतियों की हितैषी है। गोविन्दनगर सुगर मिल पर गन्ना किसानों का पिछले दो वर्ष का लगभग 52 करोड़ रूपया, श्रमिकों का लगभग 10 करोड़ रूपया बकाया है किन्तु किसानों, मजदूरों की जायज मांगों को लगातार अनसुना किया जा रहा है। भाकियू नेताओं ने प्रशासन को खुली चेतावनी दिया कि यदि दो माह के भीतर समस्या का निस्तारण न हुआ तो निर्णायक संघर्ष किया जायेगा।
भारतीय किसान यूनियन के किसान महापंचायत में मण्डल उपाध्यक्ष राम मनोहर चौधरी, शोभाराम ठाकुर, राम चन्द्र चौधरी, डा. आर.पी. वर्मा, बंधू चौधरी, जिला महासचिव हृदयराम वर्मा, ब्लाक अध्यक्ष त्रिवेनी चौधरी, राम महीपत, श्रीराम, राम कल्प, गनीराम, अंगद वर्मा, सन्तोष कुमार सिंह, राम लखन शुक्ल, कमलेश पटेल, वीरेन्द्र चौधरी, पारसनाथ, राम सुरेमन के साथ ही अनेक पदाधिकारी कार्यकर्ता शामिल रहे।