बलिया पर्चा लीक मामला: शासन का आदेश बलिया के डीएम व एसपी के ठेंगे पर, मंत्री दयाशंकर बोले-पत्रकारों के खिलाफ कार्रवाई निंदनीय
बलिया में हर साल होते हैं पेपर आउट, सामूहिक नकल आम बात
कबीर बस्ती न्यूज:
लखनऊ: प्रदेश मे ऐसे कई आई.ए.एस. अधिकारी ऐसे हैं जिनपर सरकारों का कोई अंकुश नही हैं ऐसे लोग अपने मनमानियों से बाज नही आते हैं। वे दुनियां की सबसे बडी हस्ती अपने आपको समझते हैं। ऐसे मनमानियों के अनेकों कारनामें प्रदेश के विभिन्न जनपदों मे आये दिन देखने को मिलते हैं। बलिया मे प्रश्न पत्र लीक होने के मामले मे पत्रकारों के साथ किया गया बर्बरता और जेल भेजने की कार्यवाही यक्ष प्रश्न की तरह लोगों के सामने हैं। इस मामले मे मुख्यमंत्री योगी की चुप्पी भी प्रदेश सरकार के निष्पक्षता पर बार—बार सवाल खडा कर रहा है। बलिया के डीएम इंद्रविक्रम सिंह और एसपी राजकरन नय्यर सरकारी आदेश को भी नहीं मानते। पर्चा लीक प्रकरण में उनके कारनामे इस तथ्य को जाहिर कर रहे हैं। बोर्ड परीक्षाएं शुरू होने से पहले 22 मार्च को जारी सरकारी विज्ञप्ति के मुुताबिक, प्रश्नपत्र लीक होने की सूचना अधिकारियों को देने पर संबंधित व्यक्ति को दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण मिलेगा, लेकिन 29-30 मार्च को जिला विद्यालय निरीक्षक व जिलाधिकारी को संस्कृत व अंग्रेजी के वायरल पर्चे भेजने पर पत्रकारों को ही गिरफ्तार कर लिया गया।
पत्रकार अजीत ओझा ने जनहित में ही जिला विद्यालय निरीक्षक व डीएम को वायरल पेपर भेजे थे। पत्रकार का मकसद छात्रहित में नकल व नकल माफिया पर अंकुश लगवाना ही था। फिर भी, सरकारी आदेश को दरकिनार करते हुए पत्रकार अजीत ओझा समेत दो अन्य पत्रकारों को गिरफ्तार किया गया।
डीएम इंद्रविक्रम सिंह और तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक बृजेश मिश्र को कार्रवाई के लिए भेजे व्हाट्सएप संदेश। सिंह ने तो खुद फोन कर मांगे थे वायरल पर्चे। फिर भी संस्कृत का प्रश्नपत्र लीक होने की सूचना सरकार को नहीं दी। जाहिर है, नकल माफिया को मिला इसका लाभ।
बलिया में तो हर साल होते हैं पेपर आउट, सामूहिक नकल आम बात