प्राइवेट आयुष चिकित्सक भी पाएंगे टीबी मरीज खोजने पर प्रोत्साहन भत्ता
– प्रोत्साहन भत्ता के रुप में दिए जाएंगे प्रति मरीज 500 रुपए
– क्षय रोग को जड़ से समाप्त करने के लिए शासन की नयी पहल
कबीर बस्ती न्यूज:
संतकबीरनगर। क्षय रोग को 2025 तक भारत से जड़ से समाप्त करने के लिए शासन ने नई पहल की है। इसके तहत अगर कोई प्राइवेट आयुष ( होम्योपैथिक, आयुर्वेदिक या यूनानी ) चिकित्सक किसी क्षय रोगी की खोज करेंगे तो उन्हें प्रोत्साहन भत्ते के रुप में 500 रुपए दिए जाएंगे। साथ ही रोगी का निःशुल्क इलाज करने के साथ ही उसे निक्षय पोषण भत्ता भी दिया जाएगा।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ एस डी ओझा ने यह जानकारी देते हुए बताया कि प्राइवेट होम्योपैथिक, आयुर्वेदिक व यूनानी चिकित्सकों के लिए शासन ने यह नई योजना शुरु की है। हर तरह के मरीज इन चिकित्सकों के यहां जाते हैं। लक्षणों को देखकर अगर उन्हें लगता है कि उस व्यक्ति को क्षय रोग हो सकता है, तो वह ऐसे मरीजों को क्षय रोग विभाग को रेफर करें। क्षय रोग विभाग उस व्यक्ति की जांच कराएगा और अगर उसके अन्दर क्षय रोग की पुष्टि होती है तो उस चिकित्सक को प्रति रेफरल के हिसाब से 500 रुपए प्रोत्साहन भत्ते के रुप में प्रदान किए जाएंगे। इसके लिए सभी प्राइवेट होम्योपैथिक, आयुर्वेदिक व यूनानी चिकित्सकों की सूची तैयार की जा रही है। उन्होने सभी चिकित्सकों से यह अनुरोध किया कि वह अधिक से अधिक क्षय रोग के लक्षण वाले मरीजों को जिला क्षय रोग विभाग या फिर नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर भेजें तथा क्षय रोग को जड़ से समाप्त करने की मुहिम में विभाग का सहयोग करें। निजी क्षेत्र के आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक, यूनानी डॉक्टर को टीबी मरीजों की सूचना भी निःक्षय पोर्टल पर दर्ज करनी होगी, ताकि मरीज को जरूरी इलाज के साथ निगरानी की जा सके।
एमबीबीएस चिकित्सकों को भी मिलता है प्रोत्साहन भत्ता
क्षय रोग विभाग के जिला कार्यक्रम समन्वयक अमित आनन्द बताते हैं कि अगर किसी प्राइवेट एमबीबीएस चिकित्सक के यहां यदि किसी मरीज में क्षय रोग की पुष्टि होती है और वह उस मरीज को क्षय रोग विभाग में पंजीकृत कराता है तो उस चिकित्सक को 500 रुपए प्रोत्साहन राशि के तौर पर दिए जाते हैं। अगर वह चिकित्सक उस मरीज का इलाज खुद करना चाहता है तो वह कर सकता है, लेकिन अगर मरीज अपनी पहचान उजागर नहीं करना चाहता या फिर आर्थिक तौर पर कमजोर है तो क्षय रोग विभाग उस चिकित्सक तक दवा भी पहुंचा देगा। उस दवा की डोज वह चिकित्सक मरीज को दे देगा। जब वह मरीज पूरी तरह से ठीक हो जाता है तथा अन्तिम रिपोर्ट निगेटिव आ जाती है तो उस चिकित्सक को 500 रुपए और प्रोत्साहन भत्ते के रुप में दिए जाते हैं। खोजा गया मरीज नया टीबी मरीज होना चाहिए।
क्षय रोग के ये हैं लक्षय
खांसी आना – टीबी सबसे ज्यादा फेफड़ो को प्रभावित करती है, इसलिए शुरुआती लक्षण खांसी आना है। पहले तो सूखी खांसी आती है लेकिन बाद में खांसी के साथ बलगम और खून भी आने लगता है। दो हफ्ते या उससे ज्यादा खांसी आए तो टीबी की जांच करा लेनी चाहिए।
पसीना आना – पसीना आना टीबी होने का लक्षण है। मरीज को रात में सोते समय पसीना आता है। वहीं, मौसम चाहे जैसा भी हो रात को पसीना आता है। टीबी के मरीज को अधिक ठंड होने के बावजूद भी पसीना आता है।
बुखार रहना – जिन लोगों को टीबी होती है, उन्हें लगातार बुखार रहता है। शुरुआत में लो-ग्रेड में बुखार रहता है लेकिन बाद संक्रमण ज्यादा फैलने पर बुखार तेज होता चला जाता है।
थकावट होना – टीबी के मरीज की बीमारी से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है, जिसके कारण उसकी ताकत कम होने लगती है। वहीं, मरीज के कम काम करने पर अधिक थकावट होने लगती है।
वजन घटना – टीबी हो जाने के बाद लगातार वजन घटने लगता है। खानपान पर ध्यान देने के बाद भी वजन कम होता रहता है। वहीं, टीबी के मरीज की खाने के प्रति रुचि कम होने लगती है।
सांस लेने में परेशानी – टीबी हो जाने पर खांसी आती है, जिसके कारण सांस लेने में परेशानी होती है। अधिक खांसी आने से सांस भी फूलने लगती है।