Logo
ब्रेकिंग न्यूज़
भाजपा की सरकार में उपेक्षित हैं विश्वकर्मा समाज के लोग-राम आसरे विश्वकर्मा 700 से अधिक वादकारियों ने सीएम को भेजा पत्र, त्वरित न्याय प्रदान करने के लिए प्रभावी कार्रवाई कराने ... जयन्ती पर याद किये गये पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. चौधरी अजित सिंह कुपोषण और एनीमिया से बचाव के लिए कृमि मुक्ति की दवा का सेवन अनिवार्य-सीएमओ पूजन अर्चन के साथ भगवान श्रीराममय हुआ कैली का डायलसिस यूनिट योगी सरकार के जीरो टेलरेंस नीति पर खौलता पानी डाल रही है बस्ती पुलिस सम्पूर्ण समाधान दिवस में 98 मामलें में 06 का निस्तारण जेण्डर रेसियों बढाने के लिए घर-घर सर्वे करके भरवायें मतदाता फार्म: मण्डलायुक्त डीएम एसपी से मिले अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य, संचालित योजनाओं पर चर्चा भाजपा नेता बलराम ने किया पब्लिक डायग्नोसिस सेन्टर के जांच की मांग

एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामलों में अभियुक्त को सजा मिलने के बाद वादी को दिया जाए मुआवजा: एचसी

कबीर बस्ती न्यूज:

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज मामलों में पीड़ित को अभियुक्त की दोषसिद्धि के बाद ही मुआवजा दिया जाए। कोर्ट ने कहा कि अक्सर यह देखने में आ रहा है कि एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामलों में पीड़ित मुआवजा मिलने के बाद अभियुक्त से समझौता कर लेते हैं। यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने इसरार उर्फ इसरार अहमद व अन्य की याचिका पर दिया।

याचियों ने उनके खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत रायबरेली जनपद की विशेष अदालत में दाखिल चार्जशीट और पूरे मुकदमे को खारिज किए जाने की मांग की थी। याचियों का कहना था कि इस मामले में उनकी वादी के साथ सुलह हो चुकी है। वहीं मामले के वादी ने भी याचियों का समर्थन करते हुए सुलह हो जाने की बात कही।

हाईकोर्ट ने याचिका को स्वीकार कर लिया। हालांकि इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इस मामले में वादी को राज्य सरकार से मुआवजा के तौर पर 75 हजार रुपये मिल चुके हैं। एससी-एसटी एक्ट में मुआवजे का पैसा मिलने के बाद पीड़ित द्वारा अभियुक्त से सुलह कर लेने का उदाहरण प्रतिदिन इस कोर्ट के समक्ष आ रहा है। इस प्रकार से मुआवजा बांटकर टैक्स देने वाले लोगों के पैसों का दुरुपयोग किया जा रहा है। लिहाजा उचित यही होगा कि एससी-एसटी एक्ट के तहत अभियुक्त की दोषसिद्धि होने पर ही पीड़ित को मुआवजा प्रदान किया जाए, न कि एफआईआर दर्ज होने या मात्र चार्जशीट दाखिल होने पर दी।

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में यह भी राय दिया है कि जिन मामलों में मुआवजा दिया जा चुका है और वादी व अभियुक्त के बीच समझौते के आधार पर हाईकोर्ट द्वारा चार्जशीट खारिज की जा चुकी है, ऐसे मामलों में सरकार मुआवजे की रकम को वादी अथवा पीड़ित से वापस लेने को स्वतंत्र है।