रुग्णता प्रबन्धन से फाइलेरिया रोगियों को मिलती है राहत
– जिले के 491 फाइलेरिया रोगियों को वितरित की जा रही है किट
– मच्छरदानी का प्रयोग करें फाइलेरिया के रोगी, साल भर में एक बार खाएं दवा
कबीर बस्ती न्यूजः
संतकबीरनगर । फाइलेरिया एक लाइलाज बीमारी है। इस रोग से ग्रसित मरीज के रोग को जड़ से समाप्त नहीं किया जा सकता है, लेकिन उसके दुख को कम किया जा सकता है। फाइलेरिया से ग्रसित मरीज अपने फाइलेरिया ग्रसित अंगों को स्वच्छ रखकर इसको बढ़ने से रोक सकते हैं तथा इससे होने वाले दुख से छुटकारा पा सकते हैं। फाइलेरिया का इलाज नहीं है लेकिन साल में एक बार पांच साल तक मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन यानि एमडीए राउंड के दौरान दवा के सेवन से इससे बचा जा सकता है। यह दवा रक्त में मौजूद फाइलेरिया के परजीवी को मार देती हैं।
यह बातें अपर मुख्य चिकित्साधिकारी तथा वेक्टर बार्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम के नोडल डॉ वी पी पांडेय ने फाइलेरिया मरीजों को रुग्णता प्रबन्धन एवं दिव्यांगता निवारण (एमएमडीपी) किट के वितरण के बारे में जानकारी देते हुए कहीं। उन्होने बताया कि जनपद में कुल 491 फाइलेरिया रोगी लिम्फोडमा के हैं। इन सभी रोगियों के लिए एमएमडीपी किट जिले के सभी ब्लॉक स्तरीय चिकित्सा इकाइयों पर पहुंचा दी गयी है। इसके साथ ही स्वास्थ्य इकाई के चयनित स्टॉफ को इस किट के प्रयोग की जानकारी भी दे दी गयी है। इसको वितरित करने के साथ ही प्रशिक्षण भी दिया रहा है। उन्होने यह भी बताया कि जिले में कुल 133 रोगी ऐसे हैं जो हाइड्रोसील से पीडि़त हैं। यह भी फाइलेरिया का ही रुप है। इन रोगियों के ऑपरेशन की व्यवस्था की जा रही है।
ग्रसित अंगों को साफ करने का बताया तरीका
फाइलेरिया के लक्षण
आमतौर पर फाइलेरिया के कोई लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते, लेकिन बुखार, बदन में खुजली और पुरुषों के जननांग और उसके आसपास दर्द व सूजन की समस्या दिखाई देती है। इसके अलावा पैरों और हाथों में सूजन, महिलाओं के स्तन में सूजन, हाथी पांव और हाइड्रोसिल (अंडकोषों में सूजन) भी फाइलेरिया के लक्षण हैं। कई बार फाइलेरिया संक्रमण के पंद्रह से बीस वर्षों तक इसके लक्षण नजर नहीं आते। फाइलेरिया न सिर्फ व्यक्ति को दिव्यांग बना देता है, बल्कि इससे मरीज की मानसिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।