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राजकीय महाविद्यालय रुधौली में हुआ ऑनलाइन काव्य पाठ तथा संगोष्ठी का आयोजन

बस्ती (रुधौली) – राजकीय महाविद्यालय रुधौली में शुक्रवार को हिंदी विभाग की ओर से साहित्यकार पुरोध,प्रख्यात कवयित्री,छायावाद की दीपशिखा और समाज दिग्दर्शिका महादेवी वर्मा जी की जयंती के अवसर पर *”मैं नीर भरी दुख की बदली स्पन्दन में चिर निस्पन्द बसा क्रन्दन में आहत विश्व हँसा नयनों में दीपक से जलते पलकों में निर्झारिणी मचली”* व अन्य पंक्तियों के साथ इनके व्यक्तित्व व कृतित्व को शब्दों में उतारते हुए जूम प्लेटफार्म के माध्यम से ऑनलाइन काव्य पाठ तथा संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें महाविद्यालय की छत्राएँ सुषमा ने नीर भरी दुख की बदली पूजा ने दीपशिखा,गीता ने निहार,तथा रेनु ने यामा संग्रह से काव्य पाठ किया।अजय तथा दीपक ने महादेवी वर्मा जी के कृतित्व और व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महादेवी वर्मा छायावाद युग के रहस्यवाद के प्रमुख कवियों में से एक हैं।हिंदुस्तानी स्त्री की उदारता,करुणा,दया,सात्विकता,आधुनिकता,बौद्धिकता,,गंभीरता,सरलता महादेवी वर्मा के व्यक्तित्व में समाविष्ट हैं महादेवी जी कवयित्री होने के साथ-साथ एक विशिष्ट गद्यकार थीं।यामा में उनके प्रथम काव्य संग्रहों की कविताओं का एक साथ संकलन हुआ है।हिंदी की विभागाध्यक्ष डॉ.शैलजा पांडेय ने महादेवी वर्मा जी व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर आधारित स्वरचित कविताओं *”निहार कर रश्मि को नीरजा मुस्कुरा उठी,सांध्य के गीत से दीपशिखा जल उठी”* का पाठ करते हुए कहा कि टूटते हुए मनोबल को सम्बल तो प्रदान करती हैं महादेवी वर्मा की कविता ।साथ ही उन्होने कहा स्त्री संघर्ष, उसकी पीड़ा के साथ ही दृढ़ विचार से पोषित हैं महादेवी वर्मा जी की रचनाएँ और वह कठिनाइयों से घबराने की नही अपितु आत्मबल से उससे लड़ने की बात करती हैं।डॉ शैलजा ने कहा कि रचनाओं में इनका सबसे प्रिय प्रतीक *दीप* रहा है,दीप अकेले ही जलता है लेकिन संकल्प के साथ वह मंदिर के इष्टदेव को अंधेरे में नही रखना चाहता है, दीप साधक का प्रतीक है ।जहाँ तक मैं समझती हूँ कि जीवन में अगर साधना करनी है तो बाह्य आडम्बर ,सजावट की ओर ध्यान आकर्षित नही होना चाहिए अपितु अभीष्ट पर ध्यान केंद्रित होना चाहिए। हमें दीप बनना चाहिए। यही नहीं महादेवी जी की रचनाएं जीव-जंतुओं के प्रति मानवीय संवेदना की अभिव्यक्ति करती हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य डॉ.राजेश कुमार शर्मा जी ने महादेवी वर्मा जी के जीवन दर्शन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनका जीवन महात्मा बुद्ध जी के जीवन दर्शन बहुत प्राभावित था और महात्मा गांधी जी के कहने पर उन्होंने काव्य संसार का मार्ग चुना।और इनकी सप्तपर्ण की जो रचनाएं हैं।पूरी तरह से सम्पूर्ण भारतीय संस्कृति को जोड़ने का कार्य करती हैं।इन्होंने कहा कि मेरी दृष्टि में महादेवी वर्मा जी की जो रचनाए हैं वे जीवन मूल्यों को ऊपर उठाने का कार्य करती हैं साथ ही साथ समाज को एक नई दिशा या आयाम प्रदान करती हैं। कार्यक्रम का संचालन सुषमा सिंह ने किया।समाजशास्त्र के विभागाध्यक्ष डॉ.जगदीश प्रसाद ने कार्य्रकम का ह्रदय से आभार ज्ञापन किया।कार्यक्रम के दौरान राजनीतिशास्त्र की विभागाध्यक्ष डॉ.अंकिता मद्धेशिया, समस्त छात्र/छत्राएँ अजय,गोरखनाथ,हरिकेष, नेहा,पूजा,संजय रेनु सहित समस्त उपस्थित रहें।