Logo
ब्रेकिंग न्यूज़
भाजपा की सरकार में उपेक्षित हैं विश्वकर्मा समाज के लोग-राम आसरे विश्वकर्मा 700 से अधिक वादकारियों ने सीएम को भेजा पत्र, त्वरित न्याय प्रदान करने के लिए प्रभावी कार्रवाई कराने ... जयन्ती पर याद किये गये पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. चौधरी अजित सिंह कुपोषण और एनीमिया से बचाव के लिए कृमि मुक्ति की दवा का सेवन अनिवार्य-सीएमओ पूजन अर्चन के साथ भगवान श्रीराममय हुआ कैली का डायलसिस यूनिट योगी सरकार के जीरो टेलरेंस नीति पर खौलता पानी डाल रही है बस्ती पुलिस सम्पूर्ण समाधान दिवस में 98 मामलें में 06 का निस्तारण जेण्डर रेसियों बढाने के लिए घर-घर सर्वे करके भरवायें मतदाता फार्म: मण्डलायुक्त डीएम एसपी से मिले अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य, संचालित योजनाओं पर चर्चा भाजपा नेता बलराम ने किया पब्लिक डायग्नोसिस सेन्टर के जांच की मांग

दोहरे मापदंड को लेकर ज़िला प्रशासन सवालों के घेरे में

आचार संहिता लागू होने के बाद भी किया गया कटेश्वर पार्क का उद्घाटन

बस्ती। दोहरे मापदंड पर काम करना जिला प्रशासन के लिये कोई नई बात नही हे। पूरे कोरोना काल में प्रशासन इसको लेकर सुर्खियों में रहा। सत्ताधारी दल के अनेक कार्यक्रम हुये जिसमे सैकड़ों हजारों लोग इकट्ठा हुये, कोरोना को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय के गाइडलाइन की ऐसी तैसी होती रही। वहीं विपक्ष या सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कोई आयोजन करना चाहा तो वे प्रशासन के निशाने पर रहे और जगह जगह बेइज्जत होते रहे।
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव सिर पर है, जिला प्रशासन एक बार फिर दोहरे मापदंड को लेकर चर्चा में है। दरअसल 28 मार्च को शहर के गांधीनगर क्षेत्र में बालबिहार कटेश्वरपार्क का सांसद ने उद्घाटन किया। इससे पहले चुनाव आचार संहिता लागू हो चुकी थी। उद्घाटन के दौरान कोरोना को लेकर जारी गाइडलाइन और जनपद में लागू धारा 144 की जमकर धज्जियां उड़ाई गयीं। मामला शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है। कोई सवाल उठाये इससे पहले अनेक मीडिया संस्थानों को भारी भरकम विज्ञापन देकर चुप करा दिया गया।
सवाल पूछने पर अफसर अब ये बताने में लगे हैं कि पंचायत चुनाव गांव का चुनाव है, इसलिये शहरी क्षेत्र में आचार संहिता नही लागू होती है। सवाल ये है कि शहर में काय्रक्रम हुये, अखबारों में छपा, गांव गांव पहुंचा, प्रचार हुआ, किसी राजनीति दल या नेता को इसे भुनाने का अवसर मिला या नही ? यदि मिला तो यही तो आचार संहिता का उल्लंघन है। सवाल ये भी है कि कोई ग्राम पंचायत नही है जहां के सैकड़ों लोग जिला मुख्यालय पर न आते हों। यदि शहर में होर्डिंग लगे या पोस्टर बैनर बांटे जायें तो ये आचार संहिता का उल्लंघन नही हे ? यदि नही तो गांव से सैकड़ों लोगों बुलाकर शहरी क्षेत्र में पोस्टर बैनर, बिल्ला बांटा जा सकता है, कोई ऐसा करता है तो उसे भी रोका नही जाना चाहिये।
इस बावत नगरपालिका के ईओ से बात की गयी, उन्होने कहा गांव का चुनाव है, इसमे नगर पंचायतों या नगरीय क्षेत्र में चुनाव आचार संहिता प्रभावी नही होती। सदर तहसीलदार से पूछा गया तो उन्होने उप जिलाधिकारी से बात करने को कहा और जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया। उप जिलाधिकारी सदर ने भी यही तरीका अख्तियार किया। उन्होने कहा आयोजन नगरपालिका का था, पहले उनसे पूछो, उन्होने क्यों किया। फिलहाल शहर से लेकर गांव तक एक बार प्रशासन की दोहरा मापदंड फिर सुर्खियां बटोर रहा है। आम जनमानस का कहना है कि अभी पूरा चुनाव पड़ा है, शुरूआत में ये रवैया तो चुनाव के दौरान क्या होगा, निष्पक्षता, पारदर्शिता और सभी दलों और प्रत्याशियों के लिये समान व्यवस्था लागू होगी या फिर दल और चेहरे देखकर निर्णय लिये जायेंगे।