विश्व हिन्दी दिवस पर संगोष्ठी में विमर्शःहिन्दी भारतीय संस्कृति की आत्मा
कबीर बस्ती न्यूज:
बस्ती: सोमवार को प्रेमचन्द साहित्य एवं जन कल्याण संस्थान द्वारा वरिष्ठ साहित्यकार सत्येन्द्रनाथ मतवाला के संयोजन में विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर कलेक्टेªट परिसर में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि डा. रामदल पाण्डेय ने कहा कि हिंदी भारतीय संस्कृति की आत्मा है। भारत क्षेत्रफल तथा जनसंख्या की दृष्टि से एक वृहद तथा विशाल देश है। यहां अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग भाषाएं तथा बोलियां बोली जाती है, किन्तु संपूर्ण राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोने वाली हिंदी भाषा ही है।
वरिष्ठ साहित्यकार सत्येन्द्रनाथ मतवाला ने कहा कि इतिहास में विभिन्न काल खंडों विदेशी आक्रमणकारियों के भारत देश में आ जाने से तथा भारत में ही बस जाने से हिंदी भाषा को समृद्ध तथा विकासवान होने का अवसर मिला। विदेशी भाषा के कई शब्द हिंदी में ऐसे घुल मिल गए हैं, जैसे वह मूलतः हिंदी के शब्द हों , किंतु अंग्रेजों के आने से अंग्रेजी भाषा ने ना केवल अंग्रेजी को भारत में संपूर्ण रुप स्थापित तथा प्रचलित करने भरसक प्रयास किया, बल्कि हिंदी के मूल स्वरूप को छिन्न-भिन्न करने हिंदी के कलेवर को नष्ट करने का प्रयास किया। हमें हिन्दी की विकास यात्रा के साथ उसके व्याकरण की शुद्धता को बचाये रखना होगा।
वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम प्रकाश शर्मा ने कहा कि हिंदी के पास ना तो शब्दों की कमी है, और ना ही बोलने वालों की, ऐसे में हिंदी के बोलचाल के विशुद्ध शब्दों का उपयोग ज्यादा से ज्यादा जनमानस को किया जाना चाहिए,जिससे हिंदी भाषा के अस्तित्व की रक्षा हो कर आने वाली पीढ़ी हिंदी को अच्छे से समझ कर पढ़ना तथा लिखना सीखेगी।
संचालन करते हुये वरिष्ठ साहित्यकार डा. रामकृष्ण लाल जगमग ने कहा कि अंग्रेजी हुकूमत की गुलामी के चलते भारत वासियों ने हिंदी के मूल स्वरूप को बचा तो लिया पर इसमें अंग्रेजी भाषा के अनावश्यक हस्तक्षेप को रोक पाने में सफल नहीं हो पाए, जिसके कारण हिंदी को इंग्लिश भाषा की तुलना में निम्नस्तर माना जाने लगा। इस प्रवृत्ति को बदलना होगा। हिन्दी विश्व व्यापी बन रही है किन्तु उसके स्वरूप की रक्षा आवश्यक है।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से ओम प्रकाश धर द्विवेदी, दीपक सिंह प्रेमी, डा. वी.के. वर्मा, ओम प्रकाशनाथ मिश्रा, शाद अहमद ‘ शाद’ जगदम्बा प्रसाद भावुक, हरीश दरवेश, पेेशकार मिश्र, नीरज कुमार वर्मा, असद बस्तवी, नीरज कुमार पाण्डेय, फरहान अख्तर, डा. पंकज सोनी, सामईन फारूकी, गणेश, दीनानाथ, जय प्रकाश गोस्वामी, प्रदीप श्रीवास्तव, सन्तोष कुमार श्रीवास्तव, विनय कुमार श्रीवास्तव आदि शामिल रहे।