क्रिकेट सट्टेबाजी के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्यवाही के बीच अचानक हुआ थाना प्रभारी का ट्रांसफर ग्रामीण थाना की चर्चित कार्यप्रणाली भी काफी समय से शंकास्पद
01- क्रिकेट सट्टेबाजी पर अचानक हो रही कार्रवाई के पीछे कारण क्या
02 ताबड़तोड़ कार्रवाई के पीछे प्रशासनिक दबाव या राजनीतिक दबाव ?
03 लगातार हो रही कार्रवाई के बीच अचानक ट्रांसफर क्यों..?
04 लंबे समय से अपराधियों पर किसका संरक्षण था.?
05 ग्रामीण थाने की छवि खराब करने में किसका हाथ उच्च अधिकारी या नीचे के कर्मचारीयो का
06 हालांकि ट्रांसफर सूची ने पूरे जिले भर को प्रभावित किया है।
07क्या ट्रांसफर सूची से सुधरेगा भाटापारा.??
भाटापारा । सामान्य प्रक्रिया के तहत समय-समय पर थाना प्रभारी एवं अन्य स्टाफ का स्थानांतरण होते रहता है। हाल ही में हुए जिले में स्थानांतरण प्रक्रिया भी उसी में शामिल हो सकती है । परंतु शहर एवं ग्रामीण थाना भाटापारा की कार्यप्रणाली कुछ दिनों से अचंभित करने वाली चल रही थी, इसलिए इस स्थानांतरण को उस से जोड़कर देखा जा रहा है । शहर एवं ग्रामीण थाना अपनी कार्यप्रणाली के नाम से हमेशा चर्चा में बना रहता है। कभी सुस्ती के लिए, तो कभी अचानक से ताबड़तोड़ कार्यवाही के लिए।
टीआई महेश ध्रुव की छवि कोरोनाकाल में सक्रियता से दमदार थानेदार के रूप मेें निखरी थी।24 घंटा गंभीरता से ड्यूटी कर उन्होंने लोगों में अच्छी छवि बनाई थी। हालांकि चोरी, अवैध शराब, जुआ, सट्टा के कारोबारियों में कोई विशेष कमी तो नजर नहीं आई थी, लेकिन समय-समय पर इन कामों से जुड़े छोटे लोगों पर जरूर शिकंजा कसता दिखता था। चुनाव के दौरान,अवैध शराब के कुछ बड़े कारोबारियों के साथ पुलिस की सांठगांठ भी चर्चा में रही।
आईपीएल क्रिकेट सट्टा शुरू होते ही शहर थाना अचानक मुस्तैद हो गया और क्रिकेट सट्टा खिलाने वाले सटोरियों पर शिकंजा कसने लगा। करीब आधा दर्जन क्रिकेट सटोरियों पर पुलिस ने शिकंजा कसा। वही शंका के आधार पर दर्जनभर लोगों को थाने में बुलाकर पूछताछ की। बुलाए लोगों के पक्ष में कुछ लोगों ने अपना विरोध भी प्रकट किया और चर्चा की माने तो कुछ लेनदेन करके मामले को भी निपटाया गया ।
इस दौरान कुछ राजनैतिक लोगों की एप्रोच भी लगी पर उनकी कितनी सुनी गई यह स्पष्ट नही हो पाया। यह सब खेल चल ही रहा था कि अचानक तबादले की सूची आई और पता चला कि शहर -ग्रामीण थाने के दोनों प्रभारियों का तबादला हो चुका है।
उधर ग्रामीण थाना में प्रशिक्षु प्रभारी के आने के बाद से थाने के हवलदार और सिपाहियों की चांदी हो रखी थी। जुआ-सट्टे, चोरी व अन्य मामलों में लोगों को बचाने और फ़साने के एवज में मोटी रकम की मांग खुलेआम की जा रही थी, जिस बात की शिकायत क्षेत्र के नेताओं और पत्रकारों से ग्रामीण जन लगातार कर रहे थे। सोचनीय विषय यह है कि प्रशिक्षु होने का फायदा कौन उठा रहा था। ऐसे ही महिला प्रशिक्षु की कार्यप्रणाली भी चुनाव के समय काफी चर्चा का विषय बनी हुई थी।
अवैध शराब कारोबारी, क्रिकेट सट्टा ,जुआ में बड़े-बड़े लोगों की धड़- पकड़ की गई थी।हालांकि वो बात अलग है कि कुछ अवैध शराब कारोबारी व क्रिकेट सटोरिए की मैडम का जन्मदिन मनाते फोटो नजर आती दिखी थी।