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 प्राइवेट चिकित्सकों की मदद से खोजे गये 375 क्षय रोगी

प्राइवेट चिकित्सकों की मदद से हर क्षय रोगी तक पहुंच रहा विभाग

  चल रहा है सभी क्षय रोगियों का इलाज, मिल रही सुविधाएं

कबीर बस्ती न्यूजः

संतकबीरनगर: क्षय रोग को जड़ से समाप्त करने के लिए संकल्पित क्षय रोग विभाग रोगियों के चिन्हीकरण में प्राइवेट चिकित्सकों की भी मदद ले रहा है। वर्तमान में 375 इस प्रकार के क्षय रोगियों को निजी चिकित्सकों की मदद से खोजने के साथ ही उनका इलाज भी कराया जा रहा है। उन्हें विभाग की तरफ से हर सुविधा भी मिल रही है।

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ एस डी ओझा ने बताया टीबी से लड़ने के लिए सरकारी और गैर-सरकारी दोनों तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। जगह-जगह डॉट्स सेंटर बनाए हैं, जहां टीबी की निःशुल्क जाँच और उपचार किया जाता है। वहीं, सरकार पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल के तहत भी टीबी के इलाज को बढ़ावा दे रही है। अभी तक टीबी के खात्मे के संबंध में निजी चिकित्सकों व केमिस्टों से ही चुनौती मिलती थी, क्योंकि इन मरीजों का स्वास्थ्य विभाग के पास कोई डेटा नहीं होता था। काफी मरीज तो ऐसे होते थे जो बीच में इलाज छोड़ देते थे। मगर चिकित्सक-केमिस्ट खुद मरीजों का चिह्नांकन करने में सहयोग करने लगे हैं । इससे हजारों टीबी रोगियों की पहचान कर उपचार पर लिया जा चुका है। पिछले साल जहां 325 रोगी चिन्हित किए गए थे। वहीं जागरुकता के चलते वर्तमान में 375 इस प्रकार के चिन्हित किए गए रोगी हैं। इनकी निरन्तर निगरानी की जा रही है तथा सरकारी कार्यक्रमों से जोड़ा गया है।

पुरानी व्यवस्था से छूट रहे थे मरीज 

क्षय रोग के जिला कार्यक्रम समन्वयक अमित आनन्द बताते हैं कि पूर्व में क्षय रोग विभाग के पास बलगम जांच केंद्र व  टीबी यूनिट पर जांच कराने आए मरीजों का ही डेटा हुआ करता था।  जिले में  आठ क्षय रोग यूनिट है। इनमें 17 माइक्रोस्पकोपिक सेंटर, दो एलइडी माइक्रोस्कोप, 1 सीबीनाट मशीन तथा 4 ट्रूनाट मशीन है , जिनके जरिए मरीज की जांच की जा रही है। टीबी मरीज की समय से पहचान हो जाए और पूर्ण इलाज हो तो वह स्वस्थ हो सकता है । सरकार इसकी पूरी दवा निःशुल्क उपलब्ध कराती है ।  अधिक से अधिक मरीजों की खोज के लिए सरकार एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान भी चला रही है। अब प्राइवेट चिकित्सकों की मदद से इसमें बेहतर काम हुआ है।

प्राइवेट चिकित्सकों को मिलती है प्रोत्साहन राशि

टीबी रोग से ग्रसित मरीजों के इलाज को लेकर जागरूकता लाने के लिए निजी चिकित्सकों की नोटिफिकेशन कार्यक्रम से जोड़ा गया है। अगर कोई निजी चिकित्सक टीवी से ग्रसित किसी मरीज का इलाज अपने स्तर पर करते है, तो सरकार द्वारा नोटिफिकेशन के समय प्रति मरीज 500 का भुगतान चिकित्सक के खाते में  किया जाएगा।  मरीज के आखिरी इलाज के दौरान निजी चिकित्सक को 500 की राशि का भुगतान किया जाएगा।

निरन्तर कर रहे हैं सहयोग – डॉ अशरफ अली

प्राइवेट चिकित्सक डॉ अशरफ अली बताते हैं कि विभाग के सहयोग से हम निरन्तर क्षय रोगियों की खोज में लगे हुए हैं। जब भी कोइ संभावित क्षय रोगी आता है तो उसकी जिले के क्षय जांच केन्द्रों से जांच करायी जाती है। विभाग के द्वारा दवा से लेकर हर तरह की सुविधा मरीजों को दी जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक विश्व की कुल आबादी का एक चौथाई हिस्सा टीबी से संक्रमित है। जानकारी के अभाव और समय पर जाँच न हो पाने के कारण आज भी हमारे बीच टीबी का वायरस बना हुआ है। इसके समाप्ति के लिए हम निरन्तर प्रयासरत हैं।