अज्ञानी नहीं ज्ञानी बनो
बाबा साहब जयन्ती पर लेख- डा. वी.के. वर्मा
कबीर बस्ती न्यूज:
महान समाज सुधारक, महान देशभक्त, महान विचारक, महान दार्शनिक, महान अर्थशास्त्री, महान विधिवेत्ता, महान राजनीतिज्ञ, स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री, विश्वरत्न, ज्ञान के प्रतीक, भारत रत्न, शोषित, वंचित, पिछड़ों और पीड़ितों के मसीहा, नारी मुक्तिदाता, भारतीय संविधान निर्माता, परम पूज्य, बोधिसत्व बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी की जयंती पर शत शत नमन।
बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 में मध्यप्रदेश के मोह जिले में हुआ था। उनके पिता का नाम रामजी सकपाल और माता का नाम भीमाजी सकपाल था। अंबेडकर के पिता आर्मी अफसर थे, जोकि सुबेदार के पद पर तैनात थो 1906 में महज 15 साल की उम्र में अंबेडकर का विवाह नौ साल की रामाबाई से हुआ था। उनके बेटे का नाम यशवंत अंबेडकर था।
अंबेडकर ने 1912 में बंबई यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र और राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की। 1913 में अंबेडकर को अमेरिका स्थित कैमब्रिज विश्वविद्यालय में स्कॉलरशिप मिल गयी, जिसके बाद वो आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका चले गए।
अंबेडकर ने 1915 में अर्थशास्त्र, इतिहास, दर्शनशास्त्र और समाजशास्त्र से मास्टर्स किया। 1917 में उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की। जिसके बाद उन्होंने लंदन विश्वविद्यालय से ही कानून में डिग्री हासिल की भारत वापसी के बाद अंबेडकर ने अपना खुद का व्यापार शुरू करने का फैसला किया। हालांकि निवेशकर्ताओं को जैसे ही अंबेडकर के दलित होने का पता चला उन्होंने निवेश करने से इंकार कर दिया और अंबेडकर का बिजनेस ठप पड़ गया।
कुछ समय बाद अंबेडकर को बबई स्थित एक कॉलेज में प्रोफेसर के तौर पर नियुक्त कियागया। अंबेडकर एक बेहतरीन शिक्षक होने के साथ-साथ छात्रों के बेहद करीब थे, लेकिन कॉलेज के अन्य अध्यापकों ने अंबेडकर के साथ पानी का नल साझा करने से इंकार कर दिया।
1925 में अंबेडकर साइमन कमीशन का भी हिस्सा रहे 1927 में अंबेडकर ने छुआछूत के खिलाफ एक जनआंदोलन शुरु करने का फैसला किया जिसके तहत उन्होंने सार्वजनिक स्थानों मसलन पानी का नल, पार्क आदि में दलितों के प्रवेश का मुद्दा उठाया।
आजाद भारत के संविधान निर्माता बने अंबेडकर
15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ। पंडित जवाहरलाल नेहरु देश के पहले प्रधानमंत्री बने। हालांकि इस दौरान देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती आजाद भारत का संविधान तैयार करने की थी और अंबेडकर इस भूमिका में बिल्कुल सटीक बैठ रहे थे। लिहाजा बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर को देश का पहला कानून मंत्री बनाते हुए देश के संविधान का खाका तैयार करने का दारोमदार सौंपा गया। संविधान की प्रारूप समिति के अध्यक्ष अंबेडकर के नेतृत्व में कुल दो साल ग्यारह महीने और अठारह दिनों में दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान बनकर तैयार हो गया। जिसे 26 जनवरी 1950 के दिन लागू किया गया। मूल अधिकार, मूल कर्तव्य, राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों और संशोधन की शक्ति के साथ सर्वसम्मति के स्वीक किए जाने वाला भारतीय संविधान दुनिया का सबसे लम्बा लिखित संविधान है। इसी संविधान की नींव पर आजादी के 70 साल बाद भी आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। मृत्यु
अंबेडकर 1948 से ही मधुमेह के मरीज थे। 1955 में अचानक उनका स्वास्थ्य खराब होने लगा। आखिरकार दिल्ली में 6 दिसम्बर 1956 की रात सोते समय ही अंबेडकर की मृत्यु हो गयी। 7 दिसम्बर को मुंबई के दादर में स्थित चौपाटी बीच पर बौद्ध रीति रिवाज के साथ अंबेडकर का अंतिम संस्कार किया गया अंबेडकर भले ही इस दुनिया से चले गए लेकिन भारतीय इतिहास में उनका नाम हमेशा के लिए सुनहरे अक्षरों के साथ हो गया।
अज्ञानता से भय पैदा होता है भय से अंधविश्वास पैदा होता है अंधविश्वास से अंधभक्ति पैदा होती है अंधभक्ति से व्यक्ति का विवेक शून्य हो जाता है और जिसका विवेक शून्य हो जाता है वह इंसान नहीं मानसिक गुलाम होता है इसलिए अज्ञानी नहीं, ज्ञानी बनो ! शिक्षित बनो ! संगठित बनो ! संघर्ष करो ! – डॉ० बी० आर० अम्बेडकर।
लेखक सामाजिक कार्यकर्ता/आयुष चिकित्साधिकारी बस्ती हैं।