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इलाहाबाद हाईकोर्ट का मुख्य सुरक्षा आयुक्त पर चला चाबुक,26 अप्रैल तक कोर्ट ने दिया आदेश का अनुपालन का समय

कबीर बस्ती न्यूज:
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्य सुरक्षा आयुक्त, रेलवे पुलिस बल पूर्वोत्तर रेलवे गोरखपुर सुनील कुमार श्रीवास्तव को आदेश का अनुपालन करने के लिए एक हफ्ते का अतिरिक्त समय दिया है। कोर्ट पहले ही इन्हें कोर्ट की अवमानना का दोषी ठहरा चुकी है। अपर सालिसिटर जनरल भारत सरकार शशि प्रकाश सिंह ने कोर्ट को बताया कि आदेश के अनुपालन की कार्रवाई की जा रही है।
कुछ का पालन कर दिया गया है और बाकी के पालन की कार्रवाई की जा रही है। एक हफ्ते में आदेश का पूरी तरह से अनुपालन कर दिया जाएगा। इस पर कोर्ट ने 26 अप्रैल तक का समय दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने आरपीएफ कांस्टेबल कृत्यानंद राय की अवमानना याचिका पर दिया है। कोर्ट के आदेश पर मुख्य सुरक्षा आयुक्त हाजिर थे।
कोर्ट ने याची की सेवा बहाली के साथ बकाया वेतन और सभी सेवा जनित परिलाभों के भुगतान का निर्देश दिया था। आवास भत्ता और डीए न देने पर कोर्ट ने गंभीर रुख अपनाते हुए अवमानना का दोषी करार दिया था। एएसजीआई के अनुरोध पर 24 घंटे का समय दिया था।
मालूम हो कि हाईकोर्ट ने याची की बर्खास्तगी को अनुच्छेद 311 (1) के विपरीत होने के कारण 11 अगस्त, 2015 को रद्द कर दिया। सेवा में बहाली सहित सभी सेवा जनित परिलाभों का भुगतान करने का निर्देश दिया। इसका पालन नहीं किया गया, तो 2016 में अवमानना याचिका दायर की गई।
पांच साल बाद कोर्ट के कड़े रुख पर याची को सेवा में बहाल किया गया। मगर, परिलाभों का भुगतान नहीं किया गया। कोर्ट ने मुख्य सुरक्षा आयुक्त के खिलाफ अवमानना आरोप निर्मित कर कारण बताओ नोटिस दी कि क्यों न आदेश की अवहेलना करने पर सजा सुनाई जाए।
 इसके बाद हलफनामा दाखिल कर कहा कि पूरा भुगतान कर दिया गया है। जिस पर याची अधिवक्ता ने आपत्ति की और कहा कि केवल बकाया वेतन व डियरनेस भत्ते का ही भुगतान किया गया है। आवास किराया और डीए का भुगतान नहीं किया गया है। जो आदेश का पूरी तरह से पालन नहीं है।
एएसजीआई शशि प्रकाश सिंह ने नियमावली के हवाले से कहा कि जितने का हक था, भुगतान कर दिया गया है। इस पर कोर्ट ने पूछा कि क्या किराया और डीए सेवा जनित परिलाभों में शामिल नहीं है। और क्या किसी नियम से बहाल कर्मचारी को भुगतान करने पर रोक लगी है। नियमावली में इन भत्तों को अलग नहीं किया गया है। भुगतान करने में कोई अवरोध भी नहीं है। यह नहीं है कि बर्खास्तगी से बहाल कर्मी आवास किराया और डीए का हकदार नहीं है। इसलिए भुगतान न करना आदेश की अवहेलना करना है।