Logo
ब्रेकिंग न्यूज़
भाजपा की सरकार में उपेक्षित हैं विश्वकर्मा समाज के लोग-राम आसरे विश्वकर्मा 700 से अधिक वादकारियों ने सीएम को भेजा पत्र, त्वरित न्याय प्रदान करने के लिए प्रभावी कार्रवाई कराने ... जयन्ती पर याद किये गये पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. चौधरी अजित सिंह कुपोषण और एनीमिया से बचाव के लिए कृमि मुक्ति की दवा का सेवन अनिवार्य-सीएमओ पूजन अर्चन के साथ भगवान श्रीराममय हुआ कैली का डायलसिस यूनिट योगी सरकार के जीरो टेलरेंस नीति पर खौलता पानी डाल रही है बस्ती पुलिस सम्पूर्ण समाधान दिवस में 98 मामलें में 06 का निस्तारण जेण्डर रेसियों बढाने के लिए घर-घर सर्वे करके भरवायें मतदाता फार्म: मण्डलायुक्त डीएम एसपी से मिले अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य, संचालित योजनाओं पर चर्चा भाजपा नेता बलराम ने किया पब्लिक डायग्नोसिस सेन्टर के जांच की मांग

मच्छरों से बचें और लक्षण दिखे तो मलेरिया की जांच कराएं

सभी सरकारी अस्पतालों और एचडब्ल्यूसी पर मलेरिया की f निःशुल्क
समय से जांच व इलाज न होने से जानलेवा हो सकता है मलेरिया
कबीर बस्ती न्यूज:
गोरखपुर। चार से आठ घंटे के चक्र में तेज बुखार, सिरदर्द, ठंड लगना, खांसी आना, मांसपेशियों में दर्द होना, छाती व पेट में दर्द, शरीर में ऐंठन होना, मल के साथ रक्त आना, पसीना आना और उल्टी जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत प्रशिक्षित चिकित्सक को दिखा कर उनकी सलाह पर मलेरिया की जांच कराई जानी चाहिए । मच्छरों से बचाव और लक्षण दिखने पर तुरंत जांच और इलाज मलेरिया से बचाव का बेहतर उपाय है । समय से जांच व इलाज न होने से मलेरिया जानलेवा हो सकता है । जिला अस्पताल, जिला महिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी), प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) और हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स (एचडब्ल्यूसी) पर मलेरिया की जांच निःशुल्क है । यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे का । उन्होंने बताया कि कोविड काल में विश्व भर में एक करोड़ 40 लाख से अधिक मलेरिया के मामले सामने आए हैं जो देश के लिए भी सतर्क रहने का एक कारण है।
उन्होंने बताया कि मलेरिया में परजीवी संक्रमण और लाल रक्तकोशिकाओं के नष्ट होने के कारण थकान की वजह से एनीमिया, दौरा या चेतना की हानी की स्थिति बन जाती है। सेरिब्रल मलेरिया में परजीवी रक्त के जरिये मस्तिष्क तक पहुंच जाते हैं और यह शरीर के अन्य अंगों में भी पहुंच कर हानी पहुंचाते हैं । गर्भावस्था में मलेरिया का होना गर्भवती के साथ-साथ भ्रूण और नवजात के लिए भी खतरा है । यह बीमारी मादा मच्छर एनोफीलिज के काटने के कारण होती है । अगर मलेरिया का संक्रामक मच्छर काट लेता है तो स्वस्थ मनुष्य में 10 से 14 दिन बाद यह रोग विकसित होता है।
डॉ दूबे ने बताया कि मलेरिया का मच्छर सामान्यतः शाम और सुबह के बीच काटता है । यह गंदे पानी में पनपता है। अगर किसी स्वस्थ व्यक्ति को मलेरिया का संक्रमित मच्छर काटता है तो वह स्वयं तो संक्रमित होगा ही, दूसरे को भी संक्रमित कर सकता है । मच्छर के काटने के बाद इसका परजीवी लीवर के जरिये लाल रक्त कोशिकाओं तक पहुंचता है और संक्रमण पूरे शरीर में फैलने लगता है और यह रक्त कोशिकाओं को तोड़ने लगता है । संक्रमित रक्त कोशिकाएं हर 48 से 72 घंटे में फटती रहती हैं और जब भी फटती हैं बुखार, ठंड लगना और पसीना आने जैसे लक्षण भी सामने आते हैं । विश्व स्वास्थ्य संगठन का परामर्श है कि गर्भवती को मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में नहीं जाना चाहिए क्योंकि उनमें मलेरिया होने से जटिलताएं बढ़ जाती हैं ।
सीएमओ का कहना है कि जिला मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह और मलेरिया निरीक्षकों की टीम जिले में मच्छरों के लार्वा को नष्ट करने के लिए संबंधित विभागों और सामुदायिक योगदान के जरिये अभियान में जुटे हुए हैं, लेकिन लोगों की सतर्कता अधिक आवश्यक है । मलेरिया बचाव का सबसे बेहतर उपाय है कि पूरे बांह के कपड़े पहने, मच्छरदानी का इस्तेमाल करें, मच्छररोधी क्रिम लगाएं, घर में मच्छररोधी अगरबत्ती का इस्तेमाल करें । घरों में किटनाशकों का छिड़काव करें, खुली नालियों में मिट्टी का तेल डालें ताकि मच्छरों के लार्वा न पनपने पाएं, मच्छरों के काटने के समय शाम व रात को घरों और खिड़कियों के दरवाजे बंद कर लें। इन उपायों के बावजूद अगर लक्षण दिखें तो मलेरिया की जांच करवा कर इलाज करवाएं ।
कोरोना के साथ कराएं मलेरिया की जांच
सीएमओ ने बताया कि आईआईटी इंदौर के एक रिसर्च के मुताबिक कोरोना या मलेरिया के लक्षण दिखने पर कोरोना के साथ मलेरिया की भी जांच करानी चाहिए। मलेरियाग्रस्त कोरोना के मरीज को स्टेरायड देना जानलेवा हो सकता है इसलिए दोनों जांच आवश्यक है। ऐसी स्थिति में न्यूरोलॉजिकल प्रभाव भी देखने को मिलते हैं। इस वजह से सेलेब्रल मलेरिया या कोमा की स्थिति पैदा हो सकती है।
केसेज निकले, मौत नहीं
जिला मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह का कहना है कि पिछले पांच वर्षों में जिले में मलेरिया के केसेज तो निकले हैं लेकिन समय से इलाज मिलने के कारण मौत नहीं रिपोर्ट हुई है । वर्ष 2030 तक मलेरिया को उन्मूलन के चरण में लाना है, इसके लिए लक्षण दिखने पर ज्यादा से ज्यादा लोगों को जांच करवानी होगी । वर्ष 2017 में 70688 जांच के सापेक्ष 25, वर्ष 2018 में 71556 जांच के सापेक्ष पांच, वर्ष 2019 में 72833 जांच के सापेक्ष 11, वर्ष 2020 में 26058 जांच के सापेक्ष 01, वर्ष 2021 में 48126 जांच के सापेक्ष 11 और वर्ष 2022 में 16063 जांच के सापेक्ष मलेरिया के एक मरीज की पुष्टी जिले के भीतर हुई है ।