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कोविड काल और गर्मी का मौसम बढ़ा सकता है अस्थमा रोगियों की जटिलताएं

अस्थमा के रोगियों को सतर्कता बरतते हुए दवा और उपचार जारी रखना होगा
‘‘क्लोजिंग गैप्स इन अस्थमा केयर’’ है इस साल की थीम

कबीर बस्ती न्यूज:

गोरखपुर: विश्व भर में अस्थमा के प्रति जनजागरूता फैलाने के लिए मई माह के पहले मंगलवार को विश्व अस्थमा दिवस मनाया जाता है ।‘‘क्लोजिंग गैप्स इन अस्थमा केयर’’ यानि अस्थमा के इलाज में आ रही कमियों को दूर करना थीम के साथ इस साल यह दिवस तीन मई को मनाया जाएगा । इस मौके पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे, जो कि एक श्वसन रोग विशेषज्ञ भी हैं, ने सलाह दी है कि अस्थमा के रोगियों को सतर्कता बरतते हुए दवा और उपचार जारी रखना होगा । कोविड का बढ़ता प्रसार और गर्मी का मौसम इन रोगियों की जटिलताएं बढ़ा सकता है ।

सीएमओ ने बताया कि अस्थमा एक अनुवांशिक बीमारी है । इसमें रोगीं की श्वसन नलिकाएं अति संवेदनशील हो जाती हैं और कुछ कारणों से उनमें सूजन भी आ जाता है जिससे सांस लेने में कठिनाई आती है । गर्मी के मौसम में धूल, मिट्टी, अन्य प्रदूषक, परागकण, गर्म हवाएं इन कारकों में प्रमुख हैं। इनके अलावा पेपर डस्ट, रसोई का धुंआ, नमी, सीलन, मौसम में परिवर्तन, सर्दी, जुकाम, धुम्रपान, शराब, एसीडिटी, ग्रेन डस्ट, भूंसा, वनस्पतियां, माइट डस्ट, फास्टफूड, इत्र, अगरबस्ती, धूपबत्ती, वायरस और बैक्टेरिया भी वह कारक हैं जिनके चलते अस्थमा मरीज की परेशानी बढ़ जाती है । तनाव भी अस्थमा के मरीजों के लिए घातक है। बच्चों को रोएंदार खिलौने नहीं देने चाहिए, क्योंकि इससे भी अस्थमा का खतरा रहता है। कोविड के तीनों लहरों में देखा गया है कि अस्थमा के साथ कोविड होने पर जटिलताएं बढ़ जाती हैं । ऐसे में अस्थमा के रोगियों को कोविड टीके की सभी आवश्यक डोज अवश्य ले लेनी है ताकि उनका बचाव हो सके । कम से कम घर के बाहर निकलना है और जब भी घर से बाहर निकलें तो कोविड प्रोटोकाल का सख्ती से पालन करें । गंदे मास्क न पहने और श्वसन तंत्र की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें।

डॉ दूबे ने बताया कि ग्लोबल बर्डेन आफ अस्थमा की एक रिपोर्ट के मुताबिक विश्व में 30 करोड़ लोग अस्थमा से पीड़ित हैं और इनमें से तीन करोड़ की आबादी भारत में ही रहती है । खांसी आना, सांस फूलना, सीने में भारीपन, छींक, नाक बहना और सही विकास न हो पाना इसके लक्षण हैं । दो तिहाई मामलों में अस्थमा के लक्षण बचपन में ही प्रकट हो जाते हैं जबकि एक तिहाई मामलों में युवावस्था में इसके लक्षण दिखते हैं । चिकित्सक की सलाह पर अस्थमा के रोगियों को इनहेलर चिकित्सा प्रारंभ करनी चाहिए । विशेषज्ञ की सलाह पर इसका इस्तेमाल करना चाहिए।

ऐसे करें बचाव

सीएमओ ने बताया कि अस्थमा के रोगियों को श्वसन तंत्र को मजबूत बनाने के लिए 10 मिनट का प्राणायाम अवश्य करना चाहिए। अगर गर्मी में किसी चीज से एलर्जी है तो चिकित्सक की सलाह पर दवा लें। वायु प्रदूषण और धुलभरी जगहों पर जाने से बचें। खुद से उपचार में कोई बदलाव न करें और चिकित्सक की सलाह पर दवा लेते रहें। खिड़की खोल कर न सोएं और जिन चीजों से एलर्जी है उनसे दूर रहें। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वर्ष 2019 में 4.61 लाख लोगों ने अस्थमा के कारण अपनी जान गंवा दी । अगर लोग जागरूक रहें तो मौत जैसी जटिल स्थितियों से उन्हें बचाया जा सकता है । घर में खाना बनाते समय, झाड़ू लगाते समय, पूजा व हवन के समय घर से बाहर रहना चाहिए । अस्थमा रोगियों के बिस्तर को प्रत्येक सप्ताह पांच से छह घंटे धूप में डालना अनिवार्य है ।