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24 आशा कार्यकर्ताओं की टीम के साथ 2000 से अधिक  को टीकाकरण के लिए किया प्रेरित

सतर्कता और समर्पण की मिसाल बनीं आशा संगिनी अनिता
बिना छुट्टी लिये करती रहीं कोविड और कोविड टीकाकरण की ड्यूटी
कोविड प्रोटोकाल का पालन कर खुद को और परिवार को बचाया

कबीर बस्ती न्यूज:

गोरखपुर: खोराबार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) से जुड़ीं आशा संगिनी अनिता (38) कोविड के प्रति सतर्कता और कोविड टीकाकरण ड्यूटी के प्रति समर्पण की दोहरी मिसाल पेश कर रही हैं । जब से कोविड की शुरूआत हुई तब से वह बिना छुट्टी लिये कार्य कर रही हैं । पहले कोविड ड्यूटी किया और फिर कोविड टीकाकरण कीड्यूटी में जुटी  हैं। कोविड प्रोटोकाल का सख्ती से पालन कर उन्होंने खुद को और परिवार को कोविड से बचाए रखा।  24 आशा कार्यकर्ताओं की टीम के साथ मिलकर समुदाय को प्रेरित किया और दो हजार से अधिक ऐसे लोगों को टीका लगवाया जो कोविड टीका लगवाने के लिए तैयार नहीं थे।

वर्ष 2006 में आशा कार्यकर्ता के तौर पर शुरूआत करने वाली अनिता के पति प्राइवेट फर्म में नौकरी करते हैं। घर में दो बच्चे भी हैं । पारिवारिक दायित्वों से तालमेलबनातेहुए अनिता ने स्वास्थ्य कार्यक्रमों को सुदृढ़ करने का बेहतर प्रयास किया जिसके कारण उऩ्हें वर्ष 2014 में आशा संगिनी बना दिया गया । संगिनी के तौर पर वह खोराबार, जंगल सिकरी और जंगल अयोध्या प्रसाद क्षेत्र को देखती हैं । उनका मुख्य कार्य आशा कार्यकर्ताओं को क्षेत्र में सहयोग करना, उन्हें कार्यक्रमों के बारे में जानकारी देना और चुनौती आने पर साथ जाकर उसका समाधान करवाना है ।

अनिता बताती हैं कि कोविड में कांन्टैक्ट ट्रेसिंग के दौरान मास्क, दो गज की दूरी, हाथों की स्वच्छता समेत सभी प्रोटोकॉल का पालन किया  जिसके कारण वह कोविड से बची रहीं और उनका परिवार भी सुरक्षित रहा । जब कोविड टीकाकरण शुरू हुआ तो उन्हें वेरिफायर की भी जिम्मेदारी दी गयी । रूटीन के कार्यक्रमों के साथ ही यह अतिरिक्त जिम्मेदारी उनके द्वारा निभायी जा रही है । इस दौरान जब लोगों द्वारा शुरूआती दौर में टीका लगवाने से मना किया जाता था तो वह आशा कार्यकर्ता के साथ क्षेत्र में जाती थीं और अपना खुद का उदाहरण देकर बताती थीं कि उन्हें भी कोविड का टीका लगा है लेकिन वह सुरक्षित हैं । उनकी टीम ने इस तरह से हजारों लोगों को प्रेरित कर टीका लगवाया और घर-घर जाकर भी टीकाकरण कार्यक्रम चलाया ।

अनिता का कहना है कि प्रभारी चिकित्सा अधिकारी, स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी (एचईओ), बीसीपीएम समय-समय पर उनका सहयोग और मार्गदर्शन करते हैं और आवश्यकता पड़ने पर क्षेत्र में भी आकर मदद करते हैं । एक वेरिफायर के तौर पर पहले उन्हें प्रतिदिन 300-400 लोगों का टीकाकरण वेरिफाई करना पड़ता था लेकिन अब यह काम हल्का हुआ है। सबसे ज्यादा चुनौती आशा कार्यकर्ताओं को झेलनी पड़ती है क्योंकि अगर प्रसव के दौरान किसी  बच्चे की मौत हो जाती है तो इसके लिए भी लोग आशा को जिम्मेदार बताने लगते हैं। ऐसे लोगों को क्षेत्र में जाकर प्रेरित करना पड़ता है ।

अनिता का कहना है कि उनके कार्य में उनके पति उनका सबसे ज्यादा सहयोग करते हैं। वह आवश्यकता पड़ने पर उन्हें दूरस्थ क्षेत्रों में कार्यस्थल तक ले जाते हैं और देर हो जाने पर उन्हें वापस भी ले आते हैं । उनका एक बेटा इंटर में पढ़ता है जबकि बेटी कक्षा छह में पढ़ती है। कोविड ड्यूटी के दौरान उनके पति और बच्चों ने उनका पूरा सहयोग किया ।

खोराबार पीएचसी की स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी श्वेता पांडेय उनकी भूमिका को सराहते हुए कहती हैं कि आशा संगिनी अनिता और उनकी टीम बेहतर कार्य कर रही है । अनिता एक साथ दो-दो जिम्मेदारियों को निभा रही हैं । उन्होंने बिना छुट्टी लिये लगातार कार्य किया है । टीकाकरण के कार्य के साथ-साथ परिवार नियोजन, बाल स्वास्थ्य, मातृ स्वास्थ्य और शिशु स्वास्थ्य जैसी सेवाओं में भी उनका योगदान अनुकरणीय है ।

संगिनी की भूमिका अहम

आशा कार्यकर्ता स्वास्थ्य कार्यक्रमों की धुरी हैं और उनके मार्गदर्शन की निकटम भूमिका संगिनी द्वारा निभायी जाती है । अगर संगिनी का संचार सही हो तो स्वास्थ्य कार्यक्रमों को सफल बनाया जा सकता है। अच्छा कार्य करने वाली आशा और संगिनी का अनुकरण सभी को करना चाहिए।