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काल के क्रूर हाथों ने मार्ग दुर्घटना मे छीन लीं चार जिंदगिंयां, एक साथ उठी चारों की अर्थी यह देख नम हो गयीं सबकी आंखें

कबीर बस्ती न्यूज:

कानपुर: राजस्थान में सड़के हादसे में मृत जीजा-साले समेत चार लोगों के शव मंगलवार रात जैसे ही घर पहुंचे तो कोहराम मच गया। परिजनों का रोना देख हर किसी की आंख नम हो गई। ढांढस बंधाने पहुंच रहे मोहल्ले वाले भी अपने आंसू नहीं रोक पाए। मृतकों में कर्मेंद्र चतुर्वेदी, आकाश सोनी, नीरज उर्फ पंकज नौबस्ता के संजय गांधी नगर में ही रहते थे। इस वजह से मोहल्ले के कई घरों में सुबह चूल्हा नहीं जला। बुधवार सुबह सभी का भैरोघाट में अंतिम संस्कार किया गया। गोपाल नगर निवासी आकाश के साले शानू का भी अंतिम संस्कार इसी घाट पर हुआ। बहन-बहनोई के आने के बाद दोपहर को कर्मेंद्र चतुर्वेदी का अंतिम संस्कार किया गया। छोटे भाई अभिषेक चतुर्वेदी ने मुखाग्नि दी।

हादसे में जान गंवाने वाले चारों दोस्त हर माह खाटू श्याम दर्शन को जाते थे। पति आकाश वर्मा व भाई शानू वर्मा व भतीजे पंकज को खो चुकी आकांक्षा का धैर्य टूट गया और वह अपने आपको रोक नहीं पाईं और वह फूट-फूटकर रोने लगीं। आकांक्षा का तो रो-रोकर बुरा हाल था।वह बार-बार पुकार रही थी कि मुझे मेरे पति व भाई से एक बार तो मिलवा दो। हार्ट पेसेंट पिता रमेश वर्मा और कैंसर पीड़ित मां रानी की आंखों में जहां आंसू थे वहीं उनके कांपते होठ बयां कर रहे थे कि उनकी हंसती-खेलती बगिया उजड़ गई है और भगवान उन्हें ये कैसे दिन दिखा रहा है। पिता रमेश एक कोने में गुम-सुम बैठे हुए थे, जबकि उनकी मां रानी देवी बार-बार रोते हुए कह रही थी कि भगवान तूने मेरा सब कुछ छीन लिया। रिश्तेदार और मौहल्ले के लोग परिजनों का चीख पुकार सुनकर अपने आंसू नहीं रोक पाए। तीनों शवों का दोपहर में अंतिम संस्कार कर दिया गया। पुलिस हादसे की जांच-पड़ताल कर रही है।

एक ही स्थान पर हुआ अंतिम संस्कार 
बुधवार की सुबह चारों के घर में सांत्वना देने हजारों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। सुबह करीब आठ बजे संजय गांधी नगर निवासी आकाश और उनके भतीजे पंकज के शव एक साथ उनके घरों से अंतिम संस्कार के लिए भैरव घाट पहुंचे।इधर मोहल्ले से जब तीनों शव उठे तो मानों वहां मौजूद हर शख्स रो पड़ा। इधर गोपाल नगर निवासी शानू वर्मा का भी शव भैरव घाट पहुंच गया। जहां आकाश के बड़े भाई विकास ने दोनों को मुखग्नि दी। वहीं शानू को उनके चाचा ने।

दोपहर बाद उठी कर्मेंद्र की अर्थी
कार्मेंद्र की बहन प्रिया व बहनोई व मझला भाई टिटू अहमदाबाद में रहते हैं। उनके बहनोई गुजरात पुलिस में तैनात है। उनके आने के बाद  दोपहर बाद भैरव घाट पर उनका दाह संस्कार किया गया। मोहल्ले वालों का कहना था कि चारों आपस में गहरे दोस्त थे। किसी ने सोचा तक नहीं था कि चारों दोस्तों की यह दोस्ती अंतिम समय तक साथ रहेगी।एक साथ चारों की मौत और एक साथ अंतिम संस्कार होने की बात भी किसी ने सोची तक नहीं थी। मोहल्ले के लोगों ने बताया कि ये उनके लिए बड़े ही दुख की घड़ी है। ऐसा दर्दनाक माहौल पहली बार देखने मिला है। इससे पूरा मोहल्ला सहम गया।एक साथ चारों की मौत और एक साथ अंतिम संस्कार होने की बात भी किसी ने सोची तक नहीं थी। मोहल्ले के लोगों ने बताया कि ये उनके लिए बड़े ही दुख की घड़ी है। ऐसा दर्दनाक माहौल पहली बार देखने मिला है। इससे पूरा मोहल्ला सहम गया।

परिजनों के मार्मिक विलाप से पूरा मोहल्ला शोक में डूबा
चारों मृतकों में तीन सराफा कारोबार से जुड़े थे, जबकि कर्मेंद्र प्राइवेट जॉब करते थे। इसमें से तीन लोगों का परिवार 50 मीटर की दूरी पर रहता है। एक साथ तीन अर्थी उठने पर पूरा मोहल्ला फफक पड़ा। काल के क्रूर हाथों से बुजुर्ग माता-पिता का सहारा, पत्नी का जीवन साथी व बच्चों के सपने छिन जाने पर दुखी परिजनों के मार्मिक विलाप से पूरा मोहल्ला शोक में डूबा रहा।