ओवर रेट शराब बिक्री- बड़े पैमाने पर हो रही लूट पर सभी की मौन सहमति, ठगी जा रही जनता सरकार द्वारा संचालित शराब दुकान में किस की सहमति से बिक रही ₹10 से लेकर ₹400 तक और रेट में शराब
भाटापारा। बलौदाबाजार- भाटापारा जिले की समस्त सरकारी शराब दुकानों में ओवर रेट शराब बिकने की काफी समय से लगातार शिकायत मिल रही है। ना जाने ऐसा कौन सा कारण है, जिस वजह से ओवर रेट बिक्री बंद होने का नाम ही नहीं ले रही है। जब सरकार ही शराब बेच रही है, तो ओवर रेट पर और किस की सहमति हो सकती है। सवाल उठता है कि छोटे-छोटे मुद्दों पर विपक्ष सरकार को घेरने का मौका नहीं छोड़ता, तो फिर पूरे जिले में अवैध रूप से शराब की और रेट वसूली पर विपक्ष इतना खामोश और मौन क्यों नजर आ रहा है। इस विषय पर जिले के जांबाज प्रशासनिक अधिकारी भी मुख दर्शक नजर आ रहे हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ओवर रेट शराब बिक्री स्तर में और कितनों के आशीर्वाद से चल रही है।
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भाटापारा कि दोनों शराब का हाल तो और भी बुरा है। बिना डर, भय और खौफ के ओवर रेट में धड़ल्ले से शराब बेची जा रही है। इसके अलावा भी शराब की अफरा-तफरी भी बड़े पैमाने पर की जा रही है । इस परिस्थिति को देखते हुए कुछ दिन पूर्व शराब दुकान के बाहर पंडाल लगाकर धरना प्रदर्शन भी हो चुका है। उसके उपरांत भी ओवर रेट में शराब बिक्री में कोई कमी नजर नहीं आ रही है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार रहते कांग्रेसियों द्वारा ओवर रेट के लिए धरना प्रदर्शन, वहीं कांग्रेस के भाटापारा ब्लॉक अध्यक्ष द्वारा ओवर रेट की शिकायत पर अपना नंबर जारी करना उनकी बेबसी को जाहिर करता है। प्रतिदिन लाखो रुपए की ओवर रेट की कमाई का हिस्सा किन-किन लोगों में बट रहा है? आम जनता के लिए समझना मुश्किल नहीं होगा! जिले के बड़े प्रशासनिक अधिकारी,आबकारी विभाग के अधिकारी, क्षेत्र के विपक्ष के नेताओ तथा सत्ता पक्ष के नेताओं सभी की मौन सहमति ओवर रेट के भ्रष्टाचार को और बढ़ावा दे रही है। ₹10 से लेकर ₹400 तक शराब में अधिक मूल्य वसूला जा रहा है। दोनों सरकारी दुकानों के बाहर सरकार की मूल्य सूची नदारद रहती है। जिससे ग्राहकों को उचित मूल्य का पता ही नहीं चल पाता है। ग्राहकों को किसी प्रकार का बिल भी नहीं दिया जा रहा है। वही वर्षों से जमे कर्मचारियों से मिलीभगत के चलते उनका ट्रांसफर नहीं होना। इस बात को स्पष्ट साबित करता है कि, बड़े पैमाने पर हो रहे लूट पर सभी एक है, बस ठगी जा रही है तो जनता।