मातृ शिशु स्वास्थ्य सेवाओं के लिए वरदान है एमसीपी कार्ड
गर्भावस्था का पता चलते ही आशा से सम्पर्क कर प्रसव पूर्व जांच के साथ बनवा सकते हैं कार्ड
देश के किसी भी कोने में कार्ड के जरिये जारी रख सकते हैं सेवाएं
जिले में 1.25 लाख गर्भवती
एमसीपी कार्ड के माध्यम से प्राप्त कर रही हैं सुविधाएं
कबीर बस्ती न्यूज:
गोरखपुर: कैम्पियरगंज के परसौनी गांव की रहने वाली गुड़िया (22) पति के साथ अमृतसर रहती थीं। उनके पति रमेश वहीं पर पेंटिंग का काम करते थे । जुलाई 2020 में उनकी बेटी राधिका पैदा हुई जो अब तीन साल की हो चुकी है । गुड़िया ने गर्भावस्था का पता चलते ही वहां की आशा कार्यकर्ता की मदद से अपनी जांच करवा ली थी और जांच के दौरान ही मातृ शिशु सुरक्षा कार्ड यानी एमसीपी कार्ड बन गया था। गुड़िया और उनकी बेटी को स्वास्थ्य सुविधाएं वहीं मिलती रहीं। कोविड महामारी के दौरान दिसम्बर 2020 में गुड़िया को वापस कैम्पियरंगज आना पड़ा । यहां आशा कार्यकर्ता कौशिल्या से मिलीं और पूछा की बच्ची का बाकी टीका कैसे लगेगा। कौशिल्या ने बताया कि अमृतसर में बने कार्ड पर ही गोरखपुर में भी सेवाएं मिल जाएंगी। इस कार्ड से देश में कहीं भी मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य की सेवाएं ली जा सकती हैं। वर्तमान में गुड़िया व उनकी बेटी जनपद में ही स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ ले रही हैं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे बताते हैं कि जिले में 1.25 लाख गर्भवती का एमसीपी कार्ड बन चुका है और वह भी कहीं से भी सुविधा का लाभ ले सकती हैं । आशा और एएनएम की मदद से छाया वीएचएसएनडी सत्रों पर और सभी सरकारी अस्पतालों पर गर्भवती का पंजीकरण कर यह कार्ड बनाया जाता है। कार्ड पर गर्भवती के सभी जांचों को विवरण होता है और उनके टीकाकरण की स्थिति भी अंकित होती है। इसे लेकर किसी नयी चिकित्सा इकाई पर पहुंचने से प्राप्त की जा चुकी सुविधा से आगे की सेवाएं भी प्राप्त की जा सकती हैं। यही नहीं जब बच्चा पैदा हो जाता है तो इसी कार्ड पर बच्चे के टीकाकरण का विवरण भी अंकित किया जाता है। अगर प्रवास के कारण बच्चे के कुछ टीके बच गये हैं तो किसी भी चिकित्सा इकाई पर कार्ड दिखा कर आगे का टीकाकरण करवाया जा सकता है। सभी लोगों को यह कार्ड संभाल कर रखना चाहिए।
कैम्पियरगंज की गुड़िया बताती हैं कि अमृतसर में प्रसव से पूर्व उनकी सभी जांचें हुई थीं और आशा कार्यकर्ता की मदद से सरकारी अस्पताल में ही सुरक्षित प्रसव हुआ था। प्रसव के बाद से सरकारी अस्पताल में ही टीकाकरण की सुविधा मिल रही थी । घर वापस आने के बाद भी पंजाब में बना यह कार्ड काम आ रहा है। गुड़िया की तरह ही बबिता (23) के पति सोनू गाजियाबाद में इलेक्ट्रिशियन का कार्य करते थे। दंपत्ति फरवरी 2022 में गोरखपुर लौट आया। घर लौटने के पहले से ही बबिता गर्भवती थीं और उनका एमसीपी कार्ड गाजियाबाद में बना था। वहां प्रसव पूर्व जांच शुरू हो चुकी थी और टीका भी लग चुका था। कैम्पियरगंज स्थित अपने गांव कंचनपुर आने के बाद उसी कार्ड से प्रसव पूर्व चौथी जांच महराजगंज जनपद स्थित उनके मायके में हुई और अप्रैल 2022 में वहीं सरकारी अस्पताल पर प्रसव हुआ। वह बताती हैं कि बच्चे के जन्म के बाद कंचनपुर की आशा कार्यकर्ता उर्मिला ने उन्हें बताया कि इस कार्ड से बच्चे का नियमित टीकाकरण कैम्पिरयगंज में ही हो जाएगा । गाजियाबाद में बने कार्ड से उन्हें महराजगंज जनपद में सुविधा मिली और अब गोरखपुर जिले में उनके बच्चे को भी टीकाकरण की सुविधा मिल रही है।
40 पन्नों को होता है कार्ड
कैम्पियरगंज के ब्लॉक प्रोग्राम मैनेजर मो अकीब बताते हैं कि एमसीपी कार्ड 40 पन्नों का होता है । लाभार्थी को बताया जाता है कि वह जब भी अस्पताल या छाया वीएचएसएनडी सत्र पर आएं तो साथ में यह कार्ड अवश्य लाएं। कार्ड में विभागीय योजनाओं के बारे में, गर्भावस्था के दौरान देखभाल के बारे में और बच्चों के स्वास्थ्य की निगरानी के बारे में भी आवश्यक जानकारियां रहती हैं। मां बच्चे के आहार और पोषण से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां भी अंकित रहती हैं । यह कार्ड एक प्रकार से मातृ शिशु स्वास्थ्य सुरक्षा की कुंडली है ।
कार्ड की जानकारियों का करें अनुसरण
सीएमओ का कहना है कि एमसीपी कार्ड का महत्व सिर्फ स्वास्थ्य सेवाएं हासिल करने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें दर्ज जानकारियों का अनुसरण करने से मातृ शिशु मृत्यु दर एवं कुपोषण को कम किया जा सकता है। अगर घर में कोई गर्भवती है तो परिवार के जिम्मेवार लोगों को यह कार्ड पढ़ना चाहिए और सम्मिलित प्रयास होना चाहिए कि सभी नियमों को पालन हो । गर्भावस्था में पोषक आहार मिले और सभी टीके लगें। बच्चों का तय समय पर टीकाकरण हो और उनके विकास पर गहरी नजर रखी जाए। कार्ड पर अगले टीकाकरण व अन्य सेवाओं की ड्यू डेट भी अंकित की जाती हैं ।