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पूरे प्रदेश में शराब अधिक मूल्य पर बेची जा रही, शराब दुकानों में दो कैश काउंटर एक काउंटर का पैसा सरकारी खजाने में दूसरे का दो नंबर का पैसा जेब में जा रहा- विधायक शिवरतन शर्मा

भाटापारा।ओवर रेट शराब बिक्री पर छत्तीसगढ़ ताजा खबर से चर्चा करते हुए भाटापारा विधायक शिवरतन शर्मा ने कहा कि पूरे प्रदेश में शराब अधिक मूल्य पर बेची जा रही है। इससे छत्तीसगढ़ का कोई भी जिला अछूता नहीं है। एक ही परमिट से तीन चार बार शराब की सप्लाई हो रही है ।शराब पर एक्साइज ड्यूटी 45% लगती है, अगर एक ही परमिट से तीन चार बार सप्लाई होती है, तो सरकार को बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है इसका फायदा दो नंबर की रकम से हो रहा है। सरकारी शराब दुकानों में दो कैश काउंटर बनाए गए हैं, एक का पैसा सरकारी खजाने में जाता है ,तो दूसरे का पैसा दो नंबर का होता है।
बलौदाबाजार- भाटापारा जिले की समस्त सरकारी शराब दुकानों में ओवर रेट शराब बिकने की काफी समय से लगातार शिकायत मिल रही है। ना जाने ऐसा कौन सा कारण है, जिस वजह से ओवर रेट बिक्री बंद होने का नाम ही नहीं ले रही है। जब सरकार ही शराब बेच रही है, तो ओवर रेट पर और किस की सहमति हो सकती है। सवाल उठता है कि छोटे-छोटे मुद्दों पर विपक्ष सरकार को घेरने का मौका नहीं छोड़ता, तो फिर पूरे जिले में अवैध रूप से शराब की और रेट वसूली पर विपक्ष इतना खामोश और मौन क्यों नजर आ रहा है। इस विषय पर जिले के जांबाज प्रशासनिक अधिकारी भी मुख दर्शक नजर आ रहे हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ओवर रेट शराब बिक्री स्तर में और कितनों के आशीर्वाद से चल रही है।
भाटापारा कि दोनों शराब का हाल तो और भी बुरा है। बिना डर, भय और खौफ के ओवर रेट में धड़ल्ले से शराब बेची जा रही है। इसके अलावा भी शराब की अफरा-तफरी भी बड़े पैमाने पर की जा रही है। प्रतिदिन लाखो रुपए की ओवर रेट की कमाई का हिस्सा किन-किन लोगों में बट रहा है? आम जनता के लिए समझना मुश्किल नहीं होगा! जिले के बड़े प्रशासनिक अधिकारी,आबकारी विभाग के अधिकारी, क्षेत्र के विपक्ष के नेताओ तथा सत्ता पक्ष के नेताओं सभी की मौन सहमति ओवर रेट के भ्रष्टाचार को और बढ़ावा दे रही है। ₹10 से लेकर ₹400 तक शराब में अधिक मूल्य वसूला जा रहा है। दोनों सरकारी दुकानों के बाहर सरकार की मूल्य सूची नदारद रहती है। जिससे ग्राहकों को उचित मूल्य का पता ही नहीं चल पाता है। ग्राहकों को किसी प्रकार का बिल भी नहीं दिया जा रहा है। वही वर्षों से जमे कर्मचारियों से मिलीभगत के चलते उनका ट्रांसफर नहीं होना। इस बात को स्पष्ट साबित करता है कि, बड़े पैमाने पर हो रहे लूट पर सभी एक है, बस ठगी जा रही है तो जनता।