प्रदेश भर के आयुष चिकित्सकों संग हुई सीएम की वर्चुअल मीटिंग
- बड़े पैमाने पर जागरूकता और प्राकृतिक उपचारों की मदद से कोरोना को हराया जा सकता है।
बस्ती। प्रदेश भर के आयुष चिकित्सकों संग हुई मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की वर्चुअल मीटिंग में जो सबसे खास बात निकलकर सामने आई वह यह है कि बड़े पैमाने पर जागरूकता और प्राकृतिक उपचारों की मदद से कोरोना को हराया जा सकता है। वर्चुअल मीटिंग में प्रदेश के करीब पांच सौ आयुष चिकित्सकों ने हिस्सा लिया। बस्ती के जिला अस्पताल में तैनात आयुष चिकित्साधिकारी एवं जिले के आयुष विभाग के नोडल डा. वी.के. वर्मा ने कहा होमियोपैथी, आयुर्वेद, एक्यूप्रेशर, यूनानी तथा प्राकृतिक उपचारों में कोरोना जैसे खतरनाक वायरस से लड़ने की क्षमता है।
बशर्ते व्यक्ति संयमित होकर नियमित तरीके से इन उपचारों को अपनाये और खुद के स्तर से किये जाने वाले प्रयासों में भी पीछे न रहे। संक्रमण चाहे कोरोना वायरस से हो या फिर सामान्य वायरल, ऐसे मामलों में खुद का संयमित होना बहुत जरूरी होता है। लापरवाही और अनुशासनहीनता के कारण सामान्य और आसानी से ठीक होने वाला रोग भी जानलेवा हो सकता है। इसलिये कोरोना को हराना है कि खुद को संयमित रखना होगा। मास्क का नियमित प्रयोग, दो गज की दूरी और बार बार साबुन से हाथ धुलना, बार बार हाथ, मुंह और आखों पर हाथ न फेरना, सार्वजनिक स्थानों पर न थूकना, आयुष काढ़ा पीना, रोजाना 30 मिनट तक योगा करना, छींकते या खासते समय टिशू पेपर या रूमाल का इस्तेमाल करना ऐसे उपाय हैं जो आपको संक्रमण से बचाते हैं।
ये सारी सावधानियां नियमित रूप से एक संयमित व्यक्ति ही अपना सकता है। ऐसा करने पर यदि आप जाने अंजाने संक्रमित व्यक्ति के निकट भी चले जाते हैं तो आप सुरक्षित रहेंगे। इन सिद्धान्तों को जानने वाले बहुत हैं लेकिन इन्हे अपनी दिनचर्या में शामिल करने वाले बहुत कम। यही कारण है कि कोरोना की दूसरी लहर बेकाबू होती जा रही है। अगर किसी मरीज की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है तो घबराने की जरूरत नहीं है. शुरुआत के चार दिनों में इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है. इन चार दिनों में वायरस आपके गले में रहता है और शरीर में फैलने की कोशिश करता है. वायरस इस समय सबसे ज्यादा शक्तिशाली होता है।
ऐसे में सेहतमंद खाना खायें, भाप लें, एक्सरसाइज से अपने फेफड़ों को दुरुस्त रखने की कोशिश करें. आयुष काढ़ा लेते रहें। ऑक्सीजन लेवल, बीपी और टेंपरेचर मॉनिटर करना न भूलें। आयुष विभाग के नोडल अधिकारी डा. वीके वर्मा ने कहा कि होमियोपैथी में कोरोना वायरस को हराने की पूरी शक्ति है। उन्होंने बताया कि इस बार का संक्रमण फेफडों को ज्यादा प्रभावित कर रहा है जिससे रोगियों में ऑक्सीजन की कमी हो जा रही है और उन्हें कृत्रिम ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है। डॉ. वर्मा का कहना है कि कोरोना बीमारी में सबसे ज्यादा श्वसन तंत्र ही प्रभावित होता है। क्षतिग्रस्त श्वसनतंत्र कोरोना वॉयरस को शरीर में पनपने का उपयुक्त वातावरण उपलब्ध कराता है।
कारगर है होम्योपैथी
योग्य चिकित्सकों ने गहन विश्लेषण के बाद कुछ दवाओं को इस बीमारी के लिए चुना है। इसमें क्लोरम, ओजोनम, काली ब्रोमियम, काली क्लोरम जैसी दवाएं शामिल हैं। डा. वर्मा का कहना है कि इन दवाओं का इस्तेमाल चिकित्सक की सलाह पर ही किया जाना चाहिए। आर्सेनिक एलबम 30 इम्यूनिटी बढ़ाने में कारगर हो सकता है। आक्सीजन लेवल बनाये रखने के लिये एस्पिडोस्पर्मा कारगर हो सकता है। इस औषधि के प्रभाव से खून में यूरिया बढ़ जाती है जिसके कारण श्वास से संबन्धित अनेक रोग, दमा रोग ठीक हो जाता है। यह श्वास केन्द्रों को उत्तेजित करती है और रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है।
वरदान है आयुर्वेद
आयुष काढ़ा, गिलोय, तुलसी, अश्वगंधा आदि औषधियां कोरोना को हराने में सक्षम हैं। गिलोय पाचन दुरूस्त रखने के साथ ही सर्दी खांसी से छुटकारा दिलाता है, ज्वरनाशक होने के साथ ही इम्यूनिटी बढ़ाता है और सुगर को नियंत्रित रखता है। अश्वगंधा शरीर में रिएक्टिव ऑक्सीजन स्पीशीज का निर्माण करता है। जो कैंसर सेल्स को खत्म करने और कीमोथेरपी से होने वाले साइड इफेक्ट्स से भी बचाने का काम करता है। अश्वगंधा में मौजूद ऑक्सीडेंट आपके इम्युन सिस्टम को मजबूत बनाने का काम करता है। जो आपको सर्दी-जुकाम जैसी बीमारियों से लडने की शक्ति प्रदान करता है।
एक्सरसाइज से हारेगा कोरोना
रोजाना 30 मिनट की एक्सरसाइज आपको निरोगी काया प्रदान करती है। प्राकृतिक चिकित्सक डा. नवीन सिंह कहते हैं कि सूर्य नमस्कार मौजूदा समय में सबसे बेहतर है। यदि 20 से 25 बार सूर्य नमस्कार किया जाएगा तो इससे न केवल पाचन तंत्र बेहतर रहेगा, बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी वृद्धि होगी। इसके साथ-साथ 15 मिनट तक उज्जाई व अनुलोम विलोम प्राणायाम करना चाहिए। इन दोनों प्राणायाम से फेफड़ा मजबूत होगा है और श्वसन तंत्र बेहतर रहता है। कपालभाति से भी इंयुनिटी बेहतर होती है।
सकारात्मक सोचें
आयुष चिकित्साधिकारी डा. वर्मा कहते हैं कि नकारात्मक विचार रोगों की शक्ति को कई गुना बढ़ा देती और औषधियों का प्रभाव कम कर देती हैं। विषम परिस्थितियों में भी साहस बनाये रखना, सकारात्मक सोचना तथा आशावादी होना घातक रोगों पर विजय दिला सकता है। हमें यह नही भूलना चाहिये कि विज्ञान एवं तकनीक की दुनियां मे व्यक्ति बहुत ही शक्तिशाली हो चुका है, लेकिन इसकी भी एक सीमा है, एक समय ऐसा आता है जब सारे प्रयास बेनतीजा होने लगते हैं और व्यक्ति की अपनी हिम्मत, उसके सकारात्मक विचार और उम्मीदों की रोशनी उसे नया जीवन देती है।