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कोविड, बुखार, टीबी और कुपोषण के खिलाफ फिर होगी दस्तक

प्रदेश में 12 जुलाई से 25 जुलाई तक चलेगा दस्तक अभियान

आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की टीम घर-घर जाएंगी

आईएलआई, बुखार रोगी, टीबी के लक्षण वालों और कुपोषित बच्चों की बनेगी सूची

कबीर बस्ती न्यूज,गोरखपुर। जुलाई माह में कोविड, बुखार, टीबी और कुपोषण के खिलाफ दस्तक अभियान चलाया जाएगा। आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता 12 जुलाई से 25 जुलाई तक घर-घर जाकर लोगों का हाल पूछेंगी और उन्हें इन बीमारियों के प्रति जागरूक करेंगी। इंफ्लूएंजा लाइक इलनेस (आईएलआई) के मरीजों, बुखार के मरीजों, क्षय रोग के लक्षण वाले मरीजों और कुपोषित बच्चों की सूची तैयार कर एएनएम के माध्यम से ब्लॉक मुख्यालय को भेजा जाएगा। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुधाकर पांडेय ने बताया कि इस संबंध में मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश सरकार राजेंद्र कुमार तिवारी और प्रशासन के स्तर से विस्तृत दिशा-निर्देश प्राप्त हुए हैं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि दस्तक अभियान में आशा कार्यकर्ता की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। वह दिमागी बुखार के संबंध में समुदाय को संवेदीकृत करेंगी और कोविड व दिमागी बुखार से बचाव के लिए बेहतर व्यवहारों के प्रति समुदाय को प्रेरित करेंगी। लोगों के बीच यह मुख्य संदेश प्रसारित करना है कि बुखार में देरी नुकसानदायक साबित होगी। लोगों को यह बताना है कि अगर किसी को स्वास्थ्य संबंधित दिक्कत है तो वह चिकित्सक से संपर्क करे और न तो खुद से इलाज करे और न ही किसी झोलाछाप के चक्कर में आए। वह लोगों को मच्छरों का प्रजनन रोकने के बारे में जागरूक करेंगी और पेयजल की सफाई के लिए क्लोरिनेशन का डेमो भी देंगी। मातृ समूह की बैठक, समय-समय पर स्कूल का भ्रमण, शिक्षकों द्वारा बच्चों के बीच जागरूकता बढ़ाने में मदद करना, दिमागी बुखार के संबंध में स्वयं सहायता समूह की बैठक कराना और विलेज हेल्थ न्यूट्रिशन और सेनिटेशन कमेटी (वीएचएसएनसी) की बैठकों के आयोजन में भी आशा कार्यकर्ता को योगदान देना होगा।

रिपोर्ट के आधार पर होगी कार्यवाही

डॉ. सुधाकर पांडेय ने बताया कि दस्तक अभियान के दौरान जो टीबी के संभावित रोगी मिलेंगे, उनकी जांच कराई जाएगी और पुष्ट होने पर इलाज शुरू कराया जाएगा। बुखार के रोगियों की जांच करा कर देखा जाएगा कि उनमें कहीं इंसेफेलाइटिस, कोविड, मलेरिया, डेंगू आदि के लक्षण तो नहीं है। लक्षण आधारित जांच करा कर उपचार किया जाएगा। जो भी कुपोषित बच्चे मिलेंगे उनका भी इलाज शुरू कराया जाएगा और आवश्यकता पड़ने पर उन्हें पोषण पुनर्वास केंद्र भेजा जाएगा। आईएलआई के मरीजों की कोविड जांच होगी और उन्हें भी उपचार प्रदान किया जाएगा। दस्तक अभियान कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए चलेगा।