Logo
ब्रेकिंग न्यूज़
स्वास्थ्य सेवाओं मे उत्कृष्ठ योगदान के लिए सम्मानित किये गये डा0 अजय कुमार चौधरी बिना पीएनडीटी के जी.सी.अल्ट्रासाउंड सेन्टर संचालक चला रहा है स्वास्थ्य विभाग के सीने पर हथौडा अहिल्याबाई होलकर के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को जीवन्त कर रहे हैं मोदी, योगी-डॉ. रमापति राम त्रिपाठी योजनाओं एवं चिकित्सीय सुविधाओं के संबंध में गुणात्मक सुधार लायें  अधिकारी- मण्डलायुक्त शिकायतों पर आकृति डायग्नोस्टिक सेन्टर सील, संचालक को थमाया नोटिश, हडकम्प रेलवे ओवरब्रिज का निर्माण शुरू होने पर प्रसन्नताः व्यापारियों ने बांटी मिठाई महिला उत्पीड़न से सम्बन्धित मामलों की आयोग की सदस्या ने की सुनवाई एंटी रैबीज सीरम लगाये जाने को लेकर मण्डलीय कार्यशाला सम्पन्न विश्व हिन्दू महासंघ ने सौंपा ज्ञापन, गोहत्यारों के विरूद्ध कार्रवाई की मांग एक देश एक चुनाव’ पर प्रबुद्ध समागम में चर्चा

जेइ एइएस से दिव्यांग बच्चों की संवार रहे हैं जिन्दगी

−   2015 से अब तक सैकड़ो बच्चों को मिली दिव्यांगता से निजात, मिल रही सुविधाएं  

−   दिव्यांग पुनर्वास केन्द्र के फिजियोथैरेपिस्ट डॉ. बी. के. चौधरी निरन्तर लगे सेवा में

कबीर बस्ती न्यूज,संतकबीरनगर।उ0प्र0।

अमावा गांव की निवासी तीन साल की नौशीन खातून को चार माह पूर्व तीव्र ज्वर हुआ। इस दौरान एर्इएस की शिकायत सामने आर्इ। उसे मेडिकल कालेज भेजा गया। इलाज के उपरान्त उसकी बीमारी ठीक हो गर्इ। लेकिन उसके शरीर का एक हिस्सा दिव्यांग हो गया। वहां से चिकित्सकों ने उन्हें जिला चिकित्सालय के दिव्यांग पुनर्वास केन्द्र जाने की सलाह दी। गत 24 नवम्बर को उसके पिता शाहाबुद्दीन उसे दिव्यांग पुनर्वास केन्द्र में लाए। वहां पर केन्द्र के प्रभारी डॉ बी.के. चौधरी के निर्देशन में उसकी फिजियोथैरिपी की जा रही है। जिसका नतीजा यह हुआ कि महीने भर में वह अपने पैरों पर खड़ी ही नहीं हुर्इ, बल्कि चलने भी लगी है। डॉ चौधरी बताते हैं कि अभी 15 दिन में वह पूरी तरह से रिकवर हो जाएगी तथा सामान्य बच्चों की तरह से चलने लगेगी।

केवल नौशीन ही नहीं बल्कि सैकड़ों बच्चों को इस दिव्यांग पुनर्वास केन्द्र से नया जीवन मिल चुका है। पुरैना निवासी छः साल के पीयूष तथा मोलनापुर निवासी दो साल के अंगद तो पूरी तरह से स्वस्थ हो चुके हैं तथा उनकी अन्तिम फिजियोथैरेपी इसी सप्ताह समाप्त हुर्इ है। डॉ. चौधरी बताते हैं कि जेर्इ तथा एर्इएस के चलते बच्चे दिव्यांगता का शिकार हो जाते हैं। इन दिव्यांग बच्चों को पुनर्वास केन्द्र में फिजियोथैरेपी के विभिन्न माध्यमों के जरिए ठीक किया जाता है। इन्हें नियमित अन्तराल पर केन्द्र पर बुलाया जाता है। सब कुछ निशुल्क होता है। अभी तक सैकड़ों बच्चों को नया जीवन मिल चुका है। वे सामान्य बच्चों की तरह से जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

नियम से आएं तो दिखेंगे परिणाम

डॉ चौधरी बताते हैं कि केन्द्र में बच्चों की फिजियोथैरेपी नियमित तौर पर की जाती है। एक निश्चित अन्तराल के बाद बच्चों को बुलाया जाता है। कतिपय बच्चों के परिजन लापवाही करते हैं। इसलिए उनसे अनुरोध है कि उन्हें जब बुलाया जाय तब वे जरुर आएं। अगर वे लापरवाही करेंगे तो अपेक्षित परिणाम नहीं आएंगे।

कुपोषित बच्चों की भी होती है थैरेपी

डॉ चौधरी बताते हैं कि कुपोषण के चलते भी कभी कभी बच्चों के अन्दर दिव्यांगता आ जाती है। अगर किसी बच्चे का समय के साथ विकास नहीं हो पा रहा हो, या फिर उसका कोर्इ अंग यथा हाथ, पैर, गरदन, कमर आदि असामान्य लग रही है तो उन्हें भी लाएं। फिजियोथैरेपी से वे बच्चे भी बिना किसी दवा के ठीक हो जाएंगे।