रोटरी क्लब 138 बाल क्षय रोगियों की निभाएगा जिम्मेदारी
– 19 वर्ष से कम आयु के 138 टीबी ग्रसित बच्चों की करेगा निगरानी, दवा खिलाने का रखेगा ख्याल
– स्वास्थ्य विभाग कर चुका है संस्थाओं के साथ बैठक, तय हुई रणनीति
कबीर बस्ती न्यूज
संतकबीरनगर: जिले का रोटरी क्लब 138 टीबी ग्रसित बच्चों की जिम्मेदारी ली है। वह इन बच्चों की निरन्तर निगरानी के साथ ही उनको दवा तो खिलांएगे ही, उनके पोषण का भी ख्याल रखेंगे। जिला क्षय रोग कार्यालय में उन्होने सहर्ष इस दायित्व को ग्रहण किया तथा इन बच्चों को गोद लिया।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ एसडी ओझा ने बताया कि टीबी ग्रसित बच्चों की स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर राज्यपाल काफी संवेदनशील हैं। देश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त बनाना है। इसे ध्यान में रखते हुए राज्यपाल की पहल पर 19 वर्ष से कम आयु के टीबी रोगियों को स्वयंसेवी संस्थाएं गोद लेने को आगे आ रहीं हैं | स्वयंसेवी यह भी देखें कि टीबी की दवाएं बच्चे नियमानुसार खा रहे हैं कि नहीं, साथ ही उन्हें पर्याप्त पोषण मिल रहा है या नहीं। टीबी रोगियों को पर्याप्त पोषण मिलेगा तो उनका टीबी रोग दूर होगा। इसके साथ ही बीमारी का प्रसार भी नहीं होगा । 19 वर्ष से कम आयु के जिले के 138 टीबी रोगियों को रोटरी क्लब ने गोद लिया है । रोगियों को इस प्रकार से बांटा गया है कि स्वयंसेवियों के घर से उनके घर की दूरी ज्यादा न हो ताकि उनको निगरानी करने में असुविधा न हो सके। इस अवसर पर रोटरी क्लब के अध्यक्ष व जिले के पूर्व सर्विलांस अधिकारी डॉ ए के सिन्हा, डॉ विशाल यादव, जिला कार्यक्रम समन्वयक रामबास विश्वकर्मा, कविता पाठक, रेनू सिंह समेत अन्य लोग उपस्थित रहे।
स्वयंसेवियों में जिम्मेदारी को लेकर उत्साह
रोटरी क्लब के अध्यक्ष डॉ ए के सिन्हा, विपिन जायसवाल, डॉ विजय कुमार राय, अनिल कुमार श्रीवास्तव, उमाशंकर पांडेय , डॉ सोनी सिंह, विवेक छापड़िया, जसबीर सिंह, डॉ अजय कुमार पांडेय के अन्दर इसे लेकर काफी उत्साह देखा गया। अध्यक्ष डाँ ए के सिन्हा कहते हैं कि रोटरी ओर सेवा एक दूसरे के पर्याय हैं, यह गौरव की बात है कि हमें पीडि़त मानवता की सेवा का अवसर मिल रहा है।
क्या होंगी स्वयंसेवियों की जिम्मेदारी
क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के जिला समन्वयक अमित आनन्द बताते हैं कि स्वयंसेवियों की जिम्मेदारी यह होगी कि वह जिस टीबी रोगी को गोद लिए हुए हैं उनको अपने सामने नियमित दवाओं की डोज दिलवाएं। उनके लिए पोषण भत्ते के साथ ही पोषक आहार की भी व्यवस्था करें। अगर पोषण की कमी के चलते किसी अन्य बीमारी जैसे बुखार, टायफाइड, मलेरिया आदि की चपेट में आ जाएं तो उनका इलाज करवाएं। कुल मिलाकर एक अभिभावक की भूमिका अदा करनी है।
युवा टीबी रोगियों पर क्यों है जोर
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ एस डी ओझा बताते हैं कि एक टीबी रोगी के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह समय से दवाओं की डोज ले। साथ ही उसे बेहतर पोषण मिले। इन्हीं दो बातों पर फोकस है। 19 साल से कम आयु के जिले में कुल 138 क्षय रोगी हैं। दवा और अन्य सहयोग जिला क्षय रोग विभाग के द्वारा निरन्तर किया जा रहा है। 19 वर्ष से कम आयु के टीबी रोगियों पर यह जोर इसलिए दिया जा रहा है कि ऐसे टीबी रोगियों की दिनचर्या काफी अनियमित होती हैं और दवाओं को खाने में भी लापरवाही बरतते हैं, इसलिए इन्हीं पर काफी जोर दिया जा रहा है। ताकि यह शीघ्र ही स्वस्थ हो सकें और समाज निर्माण में अपनी भूमिका अदा कर सकें।