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चार साल में धन दोगुना और 13 साल में दस गुना करने वाली तीन कम्पनियां करोडोें रूपये लेकर फुर्र, अब एजेण्टों के जान पर आफत

साजिश के साथ बडी धोखाधडी

एस्पेन ग्रुप ऑफ कंपनीज की तीन कंपनियों ने लालच देकर करीब 20 हजार लोगों को छला

जमाकर्ताओं को धन वापस दिलाने के लिए पीडित न्याय मंच ने शुरू किया कानूनी लडाई

देवरिया के अलावा कुशीनगर, महराजगंज तथा बिहार के सिवान, गोपालगंज के लोग भी हुए ठगी के शिकार 

जमाकर्ताओं ने कम्पनियों के खिलाफ दर्ज कराया मुकदमा लेकिन नतीजा शून्य

कबीर बस्ती न्यूजः

लखनऊ: एस्पेन ग्रुप ऑफ कंपनीज की तीन कंपनियों ने 13 साल में धन दस गुना होने का लालच देकर करीब 20 हजार लोगों को छला। देवरिया के अलावा कुशीनगर, महराजगंज तथा बिहार के सिवान, गोपालगंज के लोग भी ठगी के शिकार हुए। तीनों कंपनियों ने लोगों को करोड़ों रुपये का चूना लगाया।

वर्ष-2013 में एस्पेन ग्रुप की एस्पेन इंडस्ट्रीज लिमिटेड, एस्पेन निर्माण इंडिया लि. तथा एस्पेन प्रोजेक्ट इंडिया लि. के नाम से जिले में आधा दर्जन से अधिक शाखाएं खोलकर लोगों से विभिन्न योजनाओं में पैसा जमा कराने लगे। शहर के सिविल लाइन रोड के अलावा रुद्रपुर, बरहज, सलेमपुर और पथरदेवा में एस्पेन ग्रुप ऑफ कम्पनी से सैकड़ों महिलाएं एजेंट के रूप में जुड़ीं। इसमें अधिकांश महिलाएं किसी स्वयं सहायता समूह से जुड़ी थीं या कामकाजी थीं, जिन पर परिवार के जीविकोपार्जन की जिम्मेदारी थी। चार से 13 साल में जमा पैसा कई गुना होने तथा जमा राशि पर कमीशन की मोटी रकम का तत्काल भुगतान के लाचल में लोग कंपनी के एजेंट बनते गए। कई पैसा जमा कराने वाले एजेंट बन गए और अपने परिचितों, रिश्तेदारों का पैसा जमा कराने लगे। कम समय में पैसा बढ़ने के चक्कर में अधिकांश एजेंट ने कमीशन के अलावा अपनी जमा पूंजी भी कंपनी के हवाले कर दी। कंपनी ने चार साल में धन दोगुना और 13 साल में दस गुना करने की स्कीम चलाई थी। कंपनी वाले राशि नगद जमा कराते और नगद ही भुगतान भी करते थे। लेकिन वर्ष 2017 में एक-एक कर शाखायें बंद हो गईं और निवेशकों के करोड़ों रुपये लेकर कंपनी चंपत हो गई। एजेंटों, निवेशकों ने कंपनी के खिलाफ करीब एक दर्जन मुकदमे दर्ज कराए। लेकिन उसमें कोई आगे कार्रवाई नहीं हो सकी।

20 फीसदी कमीशन के लालच में बन गए थे 6 सौ एजेंट

अधिकाधिक लोगों का पैसा जमा कराने को कंपनी ने कम समय में धन कई गुना करने के लालच के साथ ही एजेंटों का 20 फीसदी कमीशन भी देती थी। पैसा जमा कराते समय ही कमीशन का नगद भुगतान हो जाता था। इससे जिले में ही करीब 600 एजेंट तथा सैकड़ों सब एजेंट बन गए। उन्होंने छोटे दुकानदारों से लेकर अपने परिचितों, रिश्तेदारों, मुहल्ले के लोगों का पैसा जमा कराया।

किसी का मकान बिका, किसी ने छोड़ा घर

हजारों जमाकर्ताओं के करोड़ों रुपये लेकर कंपनी के भाग जाने के बाद एजेंटों पर आफत आ गयी। उन्होंने जिनका पैसा जमा कराया था वह उनके घर आकर पैसा वापस करने का तगादा करने लगे। इससे परेशान होकर कइयों को घर छोड़ना पड़ा। एक एजेंट अपना मकान बेचकर कहीं चला गया। वहीं एक महिला एजेंट का पैसा जमा करने वाला भैंस खोलकर ले जाने की धमकी देने लगा। वहीं एक एजेंट का खेत बिकवाने का भी दबाव पड़ने लगा। कुछ ने अपनी पत्नी के गहने बेचकर लोगों को पैसा दिया। इनमें कुछ तो आज भी कंपनी के दिए दंश से उबर नहीं पाए हैं।

एक महिला एजेंट को पति ने घर से निकाला, दूसरी घर में छिपी रही महीनों

एस्पेन ग्रुप ऑफ कम्पनी में निवेश कराने वाली अनेक महिलाओं कोजीवन में काफी कटु अनुभवों का सामना करना पड़ा। कुछ को बहुत जलालत झेलनी पड़ी और ताने भी सुनने पड़े। एक महिला के पति ने तो आए दिन तगादे से तंग आकर अपनी पत्नी को यह कहते हुए घर से निकाल दिया कि तुमने पैसा जमा कराया है तुम ही जानो। वहीं शहर के एक मुहल्ले में रहने वाली महिला एजेंट जमाकर्ताओं के तगादे, ताने से परेशान होकर घर से निकलना बंद कर दिया। वह महीनों तक घर में रही।

कानून पीड़ित न्याय मंच लड़ रहा हजारों निवेशकों की लड़ाई

हजारों जमाकर्ताओं का करोड़ों रुपया एस्पेन ग्रुप की कंपनियों द्वारा लेकर चंपत हो जाने के बाद कइयों ने एफआईआर दर्ज कराई। लेकिन कोई कार्रवाई होती न देख कानून पीड़ित न्याय मंच उनकी लड़ाई लड़ने को आगे आया। मंच के फाउंडर शमीम इकबाल और सचिव अविनाश कुमार सिंह ने पीड़ित एजेंटों, निवेशकों डिटेल दर्ज किया। उन्होंने महीनों तक मेहनत कर करीब 20 हजार जमाकर्ताओं धन वापसी को फाइल सेबी को भेजी। इसमें देवरिया के अलावा, गोरखपुर, कुशीनगर, महराजगंज, लखनऊ, कानपुर तथा बिहारी गोपालगंज, सिवान के भी शामिल हैं। शमीम इकबाल ने बताया कि कंपनी वालों ने अधिकांश उन महिलाओं को एजेंट बनाया जो पोस्ट ऑफिस एजेंट और छोटे निवेश समूह से जुड़ी थीं। वे नहीं जानती थीं कि सिक्योर्ड क्या है, तथा कौन कम्पनी सेबी में लिस्टेड है एवं इस निवेश की वैधता है अथवा नहीं। अब निवेशकों का पैसा वापस कराने की लड़ाई मुकाम पर पहुंच गई है। सेबी और सरकार अगर सख्ती करे तो निवेशकों को पैसा जल्दी मिल सकता है।

बोले पीड़ित

हमने कंपनी की आकर्षक योजना और एजेंट के झांसे में आकर 10 हजार रुपये जमा करा दिए। लेकिन भुगतान का समय पूरा होने से पहले ही कंपनी पैसा लेकर फरार हो गई। इसके चलते काफी तांने, व्यंग्यवाण सुनने पड़े।

संगीता देवी,  रजला

एस्पेन ग्रुप की कंपनी में निवेश करना काफी महंगा पड़ा। कम समय में पैसा अधिक होने की लालच में पूरी पूंजी ही डूब गई। परिवारवालों का काफी ताना सुनना पड़ा। पैसा नहीं मिलने से तनावग्रस्त भी हो गई।

प्रभावती देवी, महुआपाटन

शुरू में कम समय में पैसा दोगुना होने के लालच में आकर हजारों रुपये जमा कर दिए। बाद में कंपनी वालों के कहने पर एजेंट बनकर अपने लोगों का पैसा जमा कराया। कंपनी के भाग जाने पर कइयों को अपने पास से भरपाई करनी पड़ी।

ज्ञानती गुप्ता, कुशहरी

कंपनी की आकर्षक योजनाओं के चक्कर में अपनी अपने पैसे के अलावा मायके वालों, रिश्तेदारों, परिचितों का पैसा जमा करा दिया। भुगतान के समय कंपनी कन्वर्जन का खेल करने लगी। कंपनी के भागने पर लोगों से विवाद होने लगा, अपने भी बैरी हो गए।