क्षय रोगियों के चिन्हीकरण तथा इलाज के साथ पोषण में करें सहयोग– डॉ ओझा
क्षय रोग को जड़ से समाप्त करने में महत्वपूर्ण है टीपीटी की भूमिका – सीएमओ
टीपीटी ( टीबी प्रिवेंटिव थैरेपी ) के सम्बन्ध में चिकित्सकों की कार्यशाला
कबीर बस्ती न्यूज:
संतकबीरनगर: मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ इन्द्र विजय विश्वकर्मा ने कहा कि केंद्र सरकारवर्ष2025 तक क्षय रोग को भारत से समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। ऐसी दशा में यह जरुरी है कि क्षय रोग के उन्मूलन के लिए चलाए जाने वाले कार्यक्रमों में समाज के लोगों के साथ ही चिकित्सक भी पूरी तरह से सहयोग करें। क्षय रोग के प्रसार को रोकने के लिए ही टीपीटी ( टीबी प्रिवेंटिव थैरेपी ) कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम को सुचारु रुप से चलाने में प्राइवेट चिकित्सकों की भूमिका अति महत्वपूर्ण है।
यह बातें उन्होने सीएचआरआई ( सेण्टर फार हेल्थ रिसर्च एण्ड इनोवेशन ) व क्षय रोग विभाग के तत्वावधान में टीबी प्रिवेंटिव थैरेपी कार्यक्रम पर आयोजित प्राइवेट चिकित्सकों की कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए बतौर मुख्य अतिथि कहीं। इस अवसर पर जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ एस डी ओझा ने कहा कि क्षय रोग को समाप्त करने में स्वास्थ्य विभाग के साथ ही सामाजिक संगठनों, आम जन, प्राइवेट चिकित्सकों तथा अन्य लोगों को समन्वित रुप से आगे आना होगा। क्षय रोगियों के इलाज के साथ ही उनके पोषण में भी सहयोग आवश्यक है, तभी इस रोग को जड़ से समाप्त किया जा सकता है। इस दौरान रोटरी क्लब के अध्यक्ष डॉ ए के सिन्हा ने कहा कि क्षय रोग को जड़ से समाप्त करने के लिए समाजसेवी संस्थाओं के द्वारा निरन्तर प्रयास किया जा रहा है। इन प्रयासों में और भी तेजी लाने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर क्षय रोग उन्मूलन अभियान में विश्व स्वास्थ्य संगठन की मण्डलीय सलाहकार डॉ पी एस प्रीति, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बघौली के अधीक्षक डॉ सियाराम यादव, रामबास विश्वकर्मा, अमित आनन्द, ईश्वर चन्द्र चौधरी के साथ ही साथ प्राइवेट चिकित्सकगण भी मौजूद रहे।
क्या है टीपीटी कार्यक्रम
क्षय रोग उन्मूलन अभियान के तहत टीपीटी कार्यक्रम चलाया जाता है। इसके तहत क्षय रोगी के परिवार के लोगों को छह महीने तक क्षय रोग की प्रतिरोधी दवाएं मौजूद परिवार के सदस्यों के आयु वय के हिसाब से दी जाती हैं।
टीपीटी कार्यक्रम के बारे में विस्तार से दी जानकारी
विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से क्षय रोग उन्मूलन अभियान की मण्डलीय सलाहकार डॉ. पी. एस. प्रीति ने इस अवसर पर उपस्थित प्राइवेट चिकित्सकों व स्वास्थ्य विभाग के लोगों को टीपीटी माडल के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होने चिकित्सकों को दवाओं की डोज के साथ ही बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में भी जानकारी प्रदान की। उन्होने पावर प्वाइंट प्रस्तुतिकरण के जरिए उपस्थित चिकित्सकों को यह भी बताया कि टीपीटी कार्यक्रम के दौरान वह किस तरह से परिवार के लोगों की जांच कराएं। ग्राफिक्स के माध्यम से उन्होने क्षय रोगियों के बारे में तुलनात्मक जानकारी दी।
क्षय रोगी 15 व्यक्तियों तक करता है रोग प्रसार
क्षय रोग उन्मूलन अभियान के जिला कार्यक्रम समन्वयक अमित आनन्द बताते हैं कि यदि किसी आदमी को फेफड़े की टीबी है तो वह कम से कम 15 व्यक्तियों को टीबी फैलाता है। इसलिए टीबी मरीजों के परिवार के लोगों के उपर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
टीपीटी कार्यक्रम को अपनाएंगे चिकित्सक
कार्यशाला में आए हुए प्राइवेट चिकित्सक डॉ अशरफ अली बताते हैं कि क्षय रोग के टीपीटी कार्यक्रम को अपनाकर ही क्षय रोग को समाप्त किया जा सकता है। डॉ सोनी सिंह ने कहा कि आज क्षय रोग को जड़ से समाप्त करने के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रमों को ध्यान में रखते हुए बेहतर कार्य करने की जरुरत है। डॉ मंजीत ने कहा कि वह इस बात के लिए लोगों को जागरुक करेंगे कि अगर किसी के अन्दर क्षय रोग की पुष्टि हो तो उसे टीपीटी कार्यक्रम से जोड़ें।