गर्भावस्था में महिलाएं हो सकती हैं वैनिशिंग ट्विन सिंड्रोम की शिकार
– गर्भ में दो बच्चों की मौजूदगी के दौरान एक भ्रूण हो जाता है पूरी तरह समाप्त
– इस दौरान दूसरा बच्चा विकसित होता रहता है और होता है सामान्य प्रसव
कबीर बस्ती न्यूज:
संतकबीरनगर। प्रधानमन्त्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) के दौरान जिला चिकित्सालय में स्त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ विजय गुप्ता के पास गर्भावस्था के प्रथम त्रैमास में चल रही एक महिला सीमा ( बदला हुआ नाम ) आई। उसने पेट में तीव्र दर्द तथा ब्लीडिंग की शिकायत की। इसके बाद डॉ गुप्ता ने महिला का अल्ट्रासाउण्ड कराया। अल्ट्रासाउण्ड के बाद उन्होने पाया कि महिला के गर्भ में जुड़वा बच्चे थे। इसमें से एक भ्रूण का विकास रुक गया है और उसमें जीवन के लक्षण नहीं हैं। इसके बाद महिला और उसके परिजन घबराने लगे, लेकिन डॉ गुप्ता ने उन्हें बताया कि घबराने की कोई बात नहीं है, दूसरे बच्चे का गर्भ में पूर्ण विकास होगा। महिला व बच्चे के उपर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा।
डॉ विजय गुप्ता ने बताया कि हर महिला की गर्भावस्था एक जैसी नहीं होती। किसी महिला को पूरे नौ महीने कोई समस्या नहीं होती, तो कुछ महिलाओं के लिए ये नौ महीने काफी तकलीफों से भरे रहते हैं। खासकर उनके लिए जिनके गर्भ में जुड़वा बच्चे पल रहे हों। एक बच्चे की तुलना में जुड़वा बच्चों को गर्भ में पालना कोई आसान काम नहीं । अक्सर ऐसा होता है कि एक बच्चे का विकास बहुत अच्छी तरह से होता है, लेकिन दूसरा बच्चा किसी न किसी समस्या के कारण अपना भ्रूण काल पूरा नहीं कर पाता। इससे उसकी गर्भ में ही मृत्यु हो जाती है। इसे वैनिशिंग ट्विन सिंड्रोम का नाम दिया गया है। 100 में से लगभग तीन महिलाएं जिनके गर्भ में जुड़वा बच्चे होते हैं उनके साथ यह समस्या आती है।
वैनिशिंग ट्विन सिंड्रोम को जानें
गर्भ में जुड़वा बच्चों के होने की स्थिति में एक शिशु के विकास न होने के कारण उसकी मृत्यु होने की अवस्था को ही वैनिशिंग ट्विन सिंड्रोम का नाम दिया गया है। इस अवस्था और तकलीफ से कई महिलाओं को गुजरना पड़ता है। इसका कारण एक बच्चे के प्लेसेंटा में डिफेक्ट होना, उसमें ब्लड सप्लाई न होना, जेनेटिक डिफेक्ट से उसका विकास न होना है। गर्भावस्था के छठे या सातवें सप्ताह में अल्ट्रासाउंड करवाने पर पता चल जाता है कि गर्भ में जुड़वा बच्चे हैं। कुछ दिनों बाद जब सिर्फ एक ही धड़कन सुनाई दे तो समझ लीजिए कि दूसरा भ्रूण जीवित नहीं है।
दूसरा बच्चा होता है पूरी तरह स्वस्थ – डॉ रवि पाण्डेय
जिला अस्पताल के वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ रवि पाण्डेय बताते हैं कि इस प्रकार की स्थिति होने के बाद गर्भ में पल रहे दूसरे शिशु के लिए चिंता बढ़ जाती है। महिलाओं को यह डर सताने लगता है कि इस बच्चे का विकास ठीक से हो रहा है या नहीं । जन्म लेने के बाद कहीं उसके अंदर कोई शारीरिक समस्या से नहीं जन्म लेगी आदि। यह भ्रूण सूखकर अंदर चिपक जाता है। मगर दूसरा बच्चा फिर भी स्वस्थ रहता है। कारण दोनों अलग-अलग एम्नियॉटिक सैक होते हैं। प्रसव के समय दोनों बाहर निकाल दिए जाते हैं। गर्भवती को कुछ दवाएं दी जाती हैं। साथ ही उसे चिकित्सकों के सम्पर्क में रहने के लिए कहा जाता है।
वैनिशिंग ट्विन सिंड्रोम के लक्षण
डॉ गुप्ता बताते हैं कि गर्भवती को अचानक ब्लीडिंग होने लगे तो डॉक्टर से तुरंत मिलें। ऐसी स्थिति में जुड़वा बच्चों में से किसी एक का गर्भपात हो जाता है, तभी ब्लीडिंग होती है। पेट के नीचे अधिक मरोड़ होने लगे तो यह भी वैनिशिंग ट्विन सिंड्रोम के लक्षण हो सकते हैं। गर्भाशय में मरोड़ गर्भपात के संकेत हो सकते हैं। नाभि के नीचे का दर्द वैनिशिंग ट्विन सिंड्रोम का मुख्य लक्षण है। पीठ के निचले हिस्से में टीस मारने वाला दर्द गर्भपात की ओर इशारा कर सकता है। इसके अलावा बेबी बंप में संकुचन या दबाव महसूस हो तो यह वैनिशिंग ट्विन सिंड्रोम के लक्षण हो सकते हैं।
सुरक्षित मातृत्व अभियान में 205 एचआरपी चिन्हित
सुरक्षित मातृत्व अभियान की जिला परामर्शदाता संगीता बताती हैं कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अनिरुद्ध कुमार सिंह के निर्देशन में आयोजित प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व दिवस के दौरान जिले में कुल 1530 गर्भवती की जांच की गयी। इस दौरान विशेषज्ञ चिकित्सकों ने कुल 205 एचआरपी गर्भवती को चिन्हित किया तथा उन्हें हर त्रैमास के दौरान विशेषज्ञ चिकित्सकों से जांच कराने के लिए निर्देश दिए गए।