कथा प्रसंगों की लय ने कराया श्रीराम की उपस्थिति का अहसास
स्वर,संवाद से मंच हुआ विह्वल, हर नयन सजल*
– छात्रा रिद्धि के भावप्रणव अभिनय से मंत्रमुग्ध हुआ सभागार
कबीर बस्ती न्यूजः
बस्ती: सनातन धर्म संस्था द्वारा आयोजित श्री रामलीला महोत्सव के पंचम दिवस का शुभारंभ राम झांकी की आरती के साथ प्रारम्भ हुआ। आरती में मुख्य रूप से वीरेंद्र मिश्र, आलोक त्रिपाठी, कर्नल के0 सी0 मिश्र प्रमोद श्रीवास्तव, कंचन माला श्रीवास्तव ,धर्मेंद्र त्रिपाठी, डॉ0 प्रमोद कुमार उपाध्याय, इन्द्रमती देवी, राजेश्वरी उपाध्याय,दिलीप भट्ट, रमेश चंद्र मिश्र व वीरेंद्र पाण्डेय उपस्थित रहे। प्रथम चरण का मंचन सरस्वती बालिका विद्या मंदिर रामबाग द्वारा किया गया। कार्यक्रम में पधारे समस्त दर्शकों का अभिवादन शक्ति संगठन की कात्यायिनी, पूजा की टीम द्वारा तिलक लगाकर किया गया। प्रसंग में राजा दशरथ प्रभु राम के वन गमन के वियोग में विलाप करते मंच पर प्रस्तुत हुए जहां उनकी रानियां महाराज दशरथ के द्रवित मन को समझाने मनाने का कार्य कर रहीं है। *राम राम कहि राम कहि राम राम कहि राम, तनु परिहरि रघुबर, बरहं राउ गयउ सुर धाम* राजा दशरथ हे राम, हे राम का करुण पुकार कर धरती पर अचेत हो जाते हैं और देह त्याग देते हैं।इस समय सभा स्थल पर उपस्थित समस्त श्रोता अपने नेत्रों के विरल प्रवाह को न रोक सके जो नेत्रों से अविरल बहे जा रहे थे। दूत ये संदेश भरत के पास लेकर जाता है जो सुन भरत करुण क्रंदन करते आयोध्या की ओर प्रस्थान करते हैं। भरत के अयोध्या आगमन पर जब अपनी माता से भेंट होती है तो भरत अपनी माता पर भयंकर रूप से कुपित हो जाते हैं। *सुख के सब साथी दुख में न कोई* मार्मिक गीत के साथ समूचा पंडाल शोक ग्रस्त हो जाता है। भरत प्रभु राम से मिलने वन की ओर प्रस्थान करते हैं। *भरत चले चित्रकूट हो रामा राम को मनाने* इसी क्रम में वन में भरत का मिलन निषादराज से होता है जिनके साथ वो आगे प्रस्थान करते हैं। भरत को सेना साथ आते देख लक्ष्मण कुपित हो जाते हैं और प्रभु श्रीराम से शिकायत करते हुए युद्ध के लिए तैयार हो जाते हैं प्रभु श्री राम उनको मनाने का भरपूर प्रयास करते हैं तभी आकाशवाणी होती है जिसमें यह स्पष्ट किया जाता है कि भरत का मंतव्य आक्रमण करना नहीं अपितु अपने भाई के शरण में आना है। भरत अपने भ्राता श्री राम के चरणों में दंडवत हो जाते हैं और उनसे पुनः अयोध्या वापसी का निवेदन करते हैं प्रभु उनको मर्यादाओं का न्यायोचित उचित उदाहरण देते वापस आने से मना कर देते हैं भरत की हटके आगे विवश होकर वह अपनी चरण पादुका देते हैं जिसको अपने मस्तक पर धारण करते हुए भरत अयोध्या वापस आते हैं समूचे प्रांगण में *राम भक्त ले चला रे राम की निशानी* गीत के मार्मिक गीत में भाव विभोर हो जाता है।। तत्पश्चात भारत सिंहासन पर प्रभु के चरण पादुका को रख अपने प्रभु की प्रतीक्षा करते हैं। इस प्रसंग में भरत की भूमिका में ऋद्धि मिश्रा जो स्वयं पूरे मंचन के समय सजल नेत्रों से अभिनय करतीं रहीं वहीं समूचे पंडाल में कमोवेश सभी अपने सजल नेत्रों को सम्हालते नज़र आये। इस मंचन ने सभी की भावनाओं को मानो स्तब्ध से कर दिया हो।
कार्यक्रम के द्वितीय भाग में जी वी एम कॉन्वेंट स्कूल के छात्र-छात्राओं द्वारा मंचन किया गया जिसमें प्रभु राम का वन में निवास दर्शाया गया और वन वासियों के कल्याण हेतु कार्यक्रमों को दर्शाया गया आगे चलकर प्रभु श्री राम की भेंट वनवासी सुतीक्ष्ण से होती है जो प्रभु को पंचवटी में निवास करने की सलाह देते हैं जहां प्रभु माता सीता और लक्ष्मण सहित निवास हेतु प्रस्थान करते हैं। श्री धनुषधारी अवध आदर्श रामलीला, टेढ़ी बाजार, अयोध्या मंडल के मुखिया विश्राम पाण्डेय के निर्देशन और व्यास राजा बाबू के कुशल नेतृत्व में यह मंचन होता आ रहा है। मंच संचालन शुभाष शुक्ल, बृजेश सिंह मुन्ना द्वारा किया जा रहा है कार्यक्रम संयोजन कैलाश नाथ दूबे,अखिलेश दूबे, पंकज त्रिपाठी , अनुराग शुक्ल,अभय,अंकित, आशीष शुक्ल, जॉन पाण्डेय अजय पाण्डेय, सत्यम मिश्र, हरीश त्रिपाठी, , महेंद्र, राजवंत पाण्डेय द्वारा किया गया। कार्यक्रम में सैकड़ों की संख्या में आम जन मानस उपस्थित रहा।