जब दोनों ने आपसी रजामंदी से शादी कर ली है तो दुष्कर्म का मामला नहीं बनता: हाईकोर्ट
कबीर बस्ती न्यूज।
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि जब दोनों ने आपसी रजामंदी से शादी कर ली है तो दुष्कर्म का मामला नहीं बनता है। कोर्ट ने आरोपी को राहत देते हुए उसके खिलाफ जिला बरेली के बारादरी थाने में पॉस्को एक्ट, दुष्कर्म में दर्ज प्राथमिकी सहित पूरी कानूनी प्रक्रिया को रद्द कर दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल ने आरोपी की ओर से दाखिल याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।
याची के खिलाफ बरेली के बारादरी थाने में 2016 में दुष्कर्म सहित पॉक्सो एक्ट में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। याची की ओर से कहा गया कि मामले में पुलिस द्वारा 25 सितंबर 2016 को दाखिल आरोप पत्र को न्यायिक सत्र न्यायालय ने दिनांक 10 फरवरी 2017 को संज्ञान ले लिया है। याची के खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी कर दिया गया है। याची ने प्राथमिकी सहित सत्र न्यायालय में चल रही पूरी कानूनी कार्रवाई को हाईकोर्ट में चुनौती दी।
याची की ओर से कहा गया कि उसने पीडि़ता की रजामंदी से उसके साथ शादी की है। पीडि़ता ने अपने बयान में यह बात स्वीकार की है। रिकॉर्ड पर दुष्कर्म से जुड़ा कोई ऐसा प्रमाण नहीं है। पीडि़ता की उम्र 18 साल से अधिक है। इस पर कोर्ट ने पहले पॉक्सो एक्ट की धारा को रद्द कर दिया। इसके बाद कहा कि जब पीडि़ता बालिग है। अपनी इच्छा से आरोपी से शादी की है। दोनों के बीच आपसी समझौता भी है। निचली अदालत ने इसकी पुष्टि कर दी है लिहाजा, प्राथमिकी रद्द किए जाने योग्य है।