डांडिया रास, धुन्ची, गरबा पर झूमे लोगः भक्ति गीतों की धूम
सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है गरबा- डॉ. श्रेया प्रजापति
कबीर बस्ती न्यूज,बस्ती।उ0प्र0।
नवरात्रि, विजयादशमी पर्व के उपलक्ष्य में आर्ट ऑफ बस्ती के मास्टर शिव के संयोजन में आयोजित डांडिया नृत्य में भारतीय संस्कृति, कला के विविध रूप जीवन्त हुये। डांडिया रास, धुन्ची, गरबा के विभिन्न स्वरूपों को कलाकारों एवं विभिन्न परिवारों के लोगों ने साकार किया और दर्शकों ने घंटो इसका आनन्द लिया।
आर्ट ऑफ बस्ती एवं डार्क इन साइड कैफे के संयुक्त तत्वाधान में रोडवेज के निकट स्थित एक मैरेज हाल के सभागार में डांडिया रास का आयोजन किया गया जिसमें लोगों ने रंगीन सजी डंडे की जोड़ी से डांडिया, ताली और डंडे से गरबा और मिट्टी के पात्र में नारियल, जलता कोयला, कपूर और हवन सामग्री रखकर धुनुची को हाथ में पकड़कर नृत्य किया। इस दौरान महिलाएं देर रात तक गरबा नृत्य, डांडिया और धुनुची के साथ खूब झूमी सभी ने खूब मस्ती की। आयोजन में कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि मुख्य विकास अधिकारी की पत्नी एवं रिदम, अकादमी की संस्थापिका डॉ. श्रेया प्रजापति एवं राज्य ललित कला अकादमी के सदस्य डॉ नवीन श्रीवास्तव सरोज सिंह अभिषेक श्रीवास्तव ‘विरल’ सत्येंद्र श्रीवास्तव, ने दीप प्रज्ज्वलित कर एवं मां सरस्वती के प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया। कार्यक्रम का संचालन अविनाश श्रीवास्तव ने किया। शुभम गुप्ता, शालिनी, जान्हवी के द्वारा प्रस्तुत भक्ति गीतों की प्रस्तुतियों ने कार्यक्रम को ऊंचाई दी।
मुख्य अतिथि ने कहा कि गरबा सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। गरबा गुजरात से और डांडिया वृंदावन से शुरू हुई। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन होते रहने चाहिए । इससे हमारी संस्कृति के विविध स्वरूपों का विस्तार होता है। नृत्य भगवान शिव का दिया हुआ प्रसाद है जिसमें जीवन का लय और प्रलय समाहित है।