सीएम योगी आदित्यनाथ अयोध्या से लडेंगे चुनाव, बस औपचारिक घोषणा होना है बाकी
दिल्ली में हुई बीजेपी बैठक के दौरान सीएम योगी को अयोध्या से लड़ाने का फैसला
कबीर बस्ती न्यूज:
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के अयोध्या से चुनाव लड़ने की खबर अब लगभग पक्की हो चुकी है। इस बारे में कई मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से दावा किया गया कि दिल्ली में हुई बीजेपी बैठक के दौरान सीएम योगी को अयोध्या से लड़ाने का फैसला हो चुका है, अब औपचारिक ऐलान ही बाकी है। ये फैसला बीजेपी ने क्यों लिया, इसके पीछे के समीकरण क्या हैं, ये सब जानने से पहले एक नजर डालते हैं एबीपी न्यूज-सी वोटर के सर्वे पर। इस सर्वे में जब लोगों से सवाल पूछा गया कि क्या सीएम योगी के अयोध्या से चुनाव लड़ने से बीजेपी को फायदा होगा तो 56 प्रतिशत ने हां में जवाब दिया, जबकि 31 प्रतिशत लोगों ने कहा कि इससे पार्टी को लाभ नहीं मिलेगा। 13 प्रतिशल लोगों ने इस सवाल के जवाब में कहा कि वे कुछ नहीं सकते हैं।
सीएम योगी बयान बताता है बीजेपी की रणनीति है क्या
”20 फीसदी हमेशा विरोध किए हैं, विरोध करेंगे, लेकिन सत्ता बीजेपी की आएगी। मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं… चुनाव 80 बनाम 20 का होगा। 80 फीसदी समर्थन एक तरफ होगा, 20 फीसदी दूसरी तरफ होगा।” यूपी चुनाव 2022 की रणभेरी बजते ही सीएम योगी आदित्यनाथ ने 80 बनाम 20 का बयान दिया तो विपक्ष बीजेपी को मुस्लिम विरोधी बताने लगा, लेकिन हकीकत में ’80 बनाम 20′ ही यूपी में बीजेपी का कोर एजेंडा है। यही RSS का मंत्र है, यही अयोध्या से योगी आदित्यनाथ के चुनाव लड़ने के पीछे का गणित है।
यही है राम नाम के नाम चुना लड़ने का पूरा समीकरण
उत्तर प्रदेश में हिंदुओं की आबादी करीब 79.73 प्रतिशत है, जबकि मुस्लिम जनसंख्या 19.26 फीसदी है। बीजेपी यूपी में इसी 80 प्रतिशत वोट संगठित करना चाहती है, यादव, कुर्मी, ब्राह्मण, जाटव, दलित, ओबीसी आदि सभी को एक जगह लाना है और कैसे लाना है- ‘राम नाम’ पर लाना है। अयोध्या राम की नगरी, जहां बीजेपी के राज में बरसों के संघर्ष के बाद राम मंदिर बन रहा है। भगवा चोलाधारी योगी आदित्यनाथ राम नाम पर ही यूपी में हिंदू वोटों को संगठित कर सत्ता के यज्ञ में विजय आहूति डालना चाहते हैं।
गोरखपुर से चुनाव नहीं लड़ने की ये है बड़ी वजह
अयोध्या से योगी आदित्यनाथ का चुनाव लड़ना करीब-करीब तय है, बस आधिकारिक घोषणा ही बाकी है। ऐसे में पहला सवाल यह उठ रहा है कि अयोध्या क्यों, गोरखपुर क्यों नहीं? योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से पांच बार सांसद रहे हैं। गोरखपुर को उनका गढ़ माना जाता है। ऐसे में अयोध्या क्यों? इसका जवाब है कि अयोध्या बीजेपी के ब्रैंड हिंदुत्व को ज्यादा सूट करती है। अयोध्या में राम मंदिर बन रहा है। बीजेपी का ये कोर एजेंडा रहा है। ऐसे में योगी आदित्यनाथ का अयोध्या से लड़ना हिंदू एजेंडे को ज्यादा मजबूत करेगा। दूसरा अहम कारण यह है कि गोरखपुर में योगी आदित्यनाथ का जो जनधार है, वह तो बरसों से उनके नाम पर वोट कर ही रहा है। उसके खिसकने की संभावना नहीं है। इसके अलावा बनारस में पीएम मोदी की मौजूदगी भी पूर्वांचल में बीजेपी को मजबूत स्थिति दे रही है।
अवध में विकास की रफ्तार रही धीमी, राम नाम के सहारे बेड़ा पार करेगी बीजेपी
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, बायोगैस आधारित विद्युत उत्पादन संयंत्र, दुग्ध उत्पादन सहकारी संघ संयंत्र जैसे कार्यों के जरिए पीएम मोदी पूर्वांचल को साधे हुए हैं, लेकिन अवध में विकास कार्यों की रफ्तार उतनी तेज नहीं हो पाई, जितनी पूर्वांचल में रही। यही वजह से सीएम योगी आदित्यनाथ को अयोध्या से उतारकर न केवल अवध बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में राम के नाम पर हिंदू वोटों को एकजुट करने के लिए बीजेपी अयोध्या का सहारा ले रही है।
अयोध्या पर पहले से रही है सीएम योगी की नजर
सीएम योगी आदित्यनाथ ने पांच साल में 42 बार अयोध्या का दौरा किया। अवध क्षेत्र की 82 विधानसभा सीटों को सीएम योगी अयोध्या पर केंद्रित कर साध सकते हैं। अवध क्षेत्र के आसपास के ऐसे कई जिले हैं, जहां पर प्रचंड मोदी लहर भी बीजेपी को जीत नहीं दिला सकी थी। इनमें अंबेडकरनगर, आजमगढ़, जौनपुर और रायबरेली शामिल हैं। ये इलाके बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती हैं।
बीजेपी छोड़कर सपा के साथ गए ओपी राजभर, स्वामी प्रसाद मौर्य, लालजी वर्मा और दारा सिंह चौहान इन सभी नेताओं का प्रभाव इन्हीं इलाकों में हैं। ऐसे में अयोध्या और अवध को साधे बिना सीएम योगी दूसरी बार सत्ता पर काबिज नहीं हो सकते हैं। अवध और पूर्वांचल के इलाके उत्तर प्रदेश के ऐसे क्षेत्र हैं, जहां पर जाति आज भी राजनीति का संपूर्ण सत्य है और अगर बीजेपी के पास जाति के इस कार्ड की कोई काट है तो वो है- राम का नाम। यही वो नाम जो बीजेपी बरसों से जप रही है और विभिन्न जातियों को इसी राम के नाम पर बीजेपी एकजुट कर सकती है। यही चुनावी हिंदुत्व का मूल मंत्र है- सभी हिंदू जातियों को राम नाम पर एक करो और चुनावी वैतरणी को पार करो।