कांग्रेस प्रत्याशी अम्बिका सिंह, देवेन्द्र श्रीवास्तव का दावाः जन सहयोग से मिलेगी जीत
कबीर बस्ती न्यूजः
बस्ती। बुधवार को जिला कांग्रेस कमेटी कार्यालय पर कांग्रेस पार्टी प्रत्याशी 310 सदर विधानसभा क्षेत्र से देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव और 308 कप्तानगंज विधानसभा क्षेत्र से अंबिका सिंह ने पत्रकारों से वार्ता किया। दावा किया कि वे पार्टी के नीति कार्यक्रम और कार्यकर्ताओें की ताकत, मतदाताओं के सहयोग से जीत दर्ज करेंगे। कांग्रेस अध्यक्ष अंकुर वर्मा ने कहा कि पार्टी ने निष्ठावान कार्यकर्ताओं को अवसर दिया है। इससे पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं में भी उत्साह है और भाजपा से ऊबे मतदाता कांग्रेस के जीत का मार्ग प्रशस्त करेंगे।
पत्रकारों के प्रश्नों का उत्तर ेदेते हुये कप्तानगंज से प्रत्याशी पूर्व विधायक अम्बिका सिंह ने कहा कि उन्होने कप्तानगंज सीट से 8 वीं और 9 वीं विधानसभा का चुनाव जीतकर 1985-90 में क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है। े कहा जब हम पहली बार विधायक हुये तो हमें टूटाफूटा कप्तानगंज मिला था, क्षेत्र में सड़कें नही थीं, बाढ़ से जनजीवन की भारी तबाही होती थी, हमने सड़कों का जाल बिछाया, बांध बनवाकर क्षेत्रीय जनता को बाढ़ से राहत दी। आंगनवाड़ी सेंण्टर बनवाये और ग्राम पंचायतों को मजबूत किया। कप्तानगंज में पहना वाटर हेंड टैंक बनवाया। पिछले 30 साल से कप्तानगंज का विकास ठप है। सड़कें खस्ताहाल हैं, सरकार ने गड्ढामुक्त सड़कों का जितना अखबारों में विज्ञापन छपवाया उतने बजट से सड़ें गड्ढामुक्त हो सकती थीं।
बस्ती सदर से कांग्रेस प्रत्याशी देवेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा कि वे एक साल से लगातार जनता के बीच जा रहे हैं। चौपाल, पदयात्रा और डोर टु डोर कैंपन के जरिये लाखों लोगों से मिल चुके हैं। हर तरफ भाजपा नेताओं को लेकर जनता में गुस्सा है। पिछले 5 साल से सिर्फ नफरत फैलाई जा रही है। सत्ताधारी दल के नेता बुनियादी सवालों और मुद्दों पर बातचीत करने से भाग रहे हैं। उन्होने कहा भाजपा में लोकतंत्र नही है, वहां नेताओं को मौन करा दिया जाता है। कहा कि जिन्हे जनता ने चुनकर भेजा वे 5 साल तक अपनी बात सदन में नही रख पाये। इक्का दुक्का नेताओं ने मुंह खोला तो पूरे कार्यकाल तानाशाहों के निशाने पर रहे। कांग्रेस नेता ने कहा हमे इस बात का फक्र है कि पार्टी में हमारी बातें सुनी जाती हैं। उन्होने सदर विधानसभा की बदहाली बयां करते हुये कहा सड़कें पैदल चलने लायक भी नही रह गयी हैं, गावों में बने सरकारी भवनों में भूसा रखा जा रहा है। आधे अधूरे शौचालय येजना को मुंह चिढ़ा रहे हैं। जिले में बने अधिकांश सामुदायिक शौचालयों में ताला लटक रहा है।