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कई स्थानों पर कटान के साथ बढ़ रहा सरयू का जलस्तर, दहशत मे ग्रामीण

  • कटान के मुहाने पर टकटकवा व अनुसूचित बस्ती

  – अतिसंवेदनशील तटबंध कटरिया-चांदपुर और गौरा-सैफाबाद के तटबंधों पर बढ़ा दबाव

कबीर बस्ती न्यूज,बस्ती। सरयू नदी का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। पिछले 24 घंटे में नदी का जलस्तर छह सेमी बढ़ा है। विक्रमजोत के कल्यानपुर ग्राम पंचायत का पड़ाव मजरे, दलित बस्ती व खजांचीपुर, बिशुनदासपुर की अनुसूचित बस्ती और बैरागल का टकटकवा मजरे के पास कटान हो रहा है। इससे यहां बसे लोग सहमे हुए हैं।
केंद्रीय जल आयोग अयोध्या के अनुसार शुक्रवार को दिन में करीब तीन बजे जलस्तर 92.120 मीटर दर्ज किया गया। यह मंगलवार की तुलना में छह सेमी अधिक है। कटान स्थल विक्रमजोत ब्लॉक क्षेत्र के कल्यानपुर ग्राम पंचायत का पड़ाव मजरे में 25 घर हैं।
मजरा निवासी प्रेम कुमार, शिव कुमार, फूल कुमारी, गायत्री, अवध राज, नींबू लाल, चंदे, विद्यासागर, शत्रुघ्न, सुनील आदि ने बताया कि बाढ़खंड कटान रोकने का कोई उपाय नहीं कर रहा है। समय रहते यदि रिंगबांध को पूरा कर लिया जाता मजरा सुरक्षित रहता।
दुबौलिया क्षेत्र मे जलस्तर बढ़ने से अतिसंवेदनशील तटबंध कटरिया-चांदपुर व गौरा-सैफाबाद पर पानी का दबाव बना हुआ है। कटरिया-चांदपुर तटबंध पर बोल्डर पिचिंग का कार्य शुक्रवार को भी जारी रहा। बिशुनदासपुर की दलित बस्ती व खजांचीपुर के पास हल्का कटान हुआ। खलवा गांव से चांदपुर तक तटबंध पर पानी का दबाव बना हुआ है।
गौरा-सैफाबाद तटबंध पर दलपतपुर गांव के सामने हल्का कटान हुआ है। कैथोलिया व पहड़वापुर गांव के सामने बने ठोकरों के नोज पर पानी का तेज दबाव बना हुआ है। बाढ़खंड कटे नोज की मरम्मत में जुटा है। गौरा-सैफाबाद तटबंध एसडीओ हरिश्चंद्र ने बताया कि टकटकवा ठोकर पर निर्माण कार्य किया जा रहा है। तटबंध पूरी तरह से सुरक्षित है कटरिया-चांदपुर तटबंध के एसडीओ जितेंद्र कुमार ने बताया कि बोल्डर पिचिंग का काम किया जा रहा है।
इधर दुबौलिया ब्लॉक क्षेत्र के ग्राम पंचायत बिशुनदासपुर की अनुसूचित बस्ती और बैरागल का टकटकवा मजरा कटान के मुहाने पर पहुंच गया है। जून में ही कटान शुरू होने से भयभीत ग्रामीण घरों को तोड़ने की तैयारी कर रहे हैं।
विशुनदासपुर के मजरे में करीब 24 घर हैं। यहां रहने वाले सूरज, लालबहादुर, रामचरण, त्रिभुवन, राम अवध, अदालत आदि ने बताया कि जन प्रतिनिधि चुनाव के समय सुरक्षित स्थान पर विस्थापित करने का वादा करते हैं।
जीत के बाद सारे वादे कोरे साबित होते हैं। नदी कटान करती हुई गांव से महज 200 मीटर दूर बह रही है। प्रधान प्रतिनिधि नीरज सिंह ने बताया कि बिशुनदासपुर की अनुसूचित बस्ती को विस्थापित करने के लिए जमीन की तलाश पूरी हो चुकी है। राजस्व विभाग विभाग इसकी पैमाइश नहीं कर रहा है। दूसरी ओर से नदी और तटबंध के बीच बसा टकटकवा भी कटान के मुहाने पर पहुंच गया है। करीब 24 घरों का यह मजरा पिछले साल से ही अपने अस्तित्व को बचाए रखने की लड़ाई लड़ रहा है। मनरेगा से गांव की सुरक्षा के लिए कुछ साल पहले एक रिंगबाध का निर्माण कराया गया था लेकिन पिछले साल हुए भीषण कटान के कारण अब यह गांव को बचाने में सक्षम नहीं रहा। ऊपर से गांव के बगल बन रहा ठोकर अभी निर्माणाधीन है।
यहां के बबलू, राम जियावन ,झिनकू, शिवकुमार आदि ने बताया कि मजरा कभी भी कट सकता है। ऐसे में अब सामान समेटने की तैयारी चल रही है। गौरा-सैफाबाद तटबंध एसडीओ हरिश्चंद्र ने बताया कि टकटकवा रिंगबाध बाढ़खंड का नहीं है। फिर भी गांव को बचाने का प्रयास किया जाएगा। बैरागल प्रधान प्रतिनिधि नबी अहमद ने बताया कि मजरे की स्थिति के बारे में लेखपाल को अवगत करा दिया गया है। विधायक सीए चंद्र प्रकाश शुक्ल ने बताया कि बाढ़ से निपटने के लिए तटबंधों पर तेजी से काम चल रहा है। बाढ़ पीड़ितों की समस्याओं का तुरंत निदान किया जाएगा। कटान की जद मे आए मजरों को सुरक्षित स्थान पर विस्थापित कराकर प्रशासनिक सहायता दिलाई जाएगी।