Logo
ब्रेकिंग न्यूज़
भाजपा की सरकार में उपेक्षित हैं विश्वकर्मा समाज के लोग-राम आसरे विश्वकर्मा 700 से अधिक वादकारियों ने सीएम को भेजा पत्र, त्वरित न्याय प्रदान करने के लिए प्रभावी कार्रवाई कराने ... जयन्ती पर याद किये गये पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. चौधरी अजित सिंह कुपोषण और एनीमिया से बचाव के लिए कृमि मुक्ति की दवा का सेवन अनिवार्य-सीएमओ पूजन अर्चन के साथ भगवान श्रीराममय हुआ कैली का डायलसिस यूनिट योगी सरकार के जीरो टेलरेंस नीति पर खौलता पानी डाल रही है बस्ती पुलिस सम्पूर्ण समाधान दिवस में 98 मामलें में 06 का निस्तारण जेण्डर रेसियों बढाने के लिए घर-घर सर्वे करके भरवायें मतदाता फार्म: मण्डलायुक्त डीएम एसपी से मिले अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य, संचालित योजनाओं पर चर्चा भाजपा नेता बलराम ने किया पब्लिक डायग्नोसिस सेन्टर के जांच की मांग

याद किये गये जयन्ती पर महात्मा कबीर

कबीर बस्ती न्यूज:

बस्ती। मंगलवार को ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन कबीर साहित्य सेवा संस्थान द्वारा महात्मा कबीर को उनकी जयंती पर कलेक्टेªट परिसर में याद किया गया। मुख्य अतिथि डा. वी.के. वर्मा ने कहा कि संत कबीर सिर्फ कवि ही नहीं, बल्कि कुशल शिल्पकार भी थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन समाज की बुराइयों को दूर करने में लगा दिया। दोहे के रूप में उनकी रचनाएं आज भी गाये जाते हैं। कबीर दास जी का जन्म काशी में 1398 में हुआ था, जबकि उनका निधन 1518 में मगहर में हुआ था। उनके दोहे आज भी लोगों की जुबान पर हैं और समाज को दिशा देते हैं। कबीरदास ने जात-पात, समाजिक भेद-भाव का भी जम कर विरोध किया। ‘हिन्दू कहें मोहि राम पियारा, तुर्क कहें रहमाना, आपस में दोउ लड़ी-लड़ी मुए, मरम न कोउ जाना’।
अध्यक्षता करते हुये वरिष्ठ साहित्यकार सत्येन्द्रनाथ ‘मतवाला’ ने कहा कि कबीर दास ने अपने दोहों, विचारों और जीवनवृत्त के माध्यम से मध्यकालीन भारत के सामाजिक और धार्मिक, आध्यात्मिक जीवन में क्रांति का सूत्रपात किया था। उन्होंने हमेशा तत्कालीन समाज के अंधविश्वास, रूढ़िवाद, पाखण्ड का घोर विरोध किया। उन्होनें उस काल में भारतीय समाज में विभिन्न धर्मों और समाज के मेल-जोल का मार्ग दिखाया। हिंदू, इस्लाम सभी धर्मों में व्याप्त कुरीतियों और पाखण्डों पर कड़ा प्रहार किया। वे बड़े समाज सुधारक थे।
संचालन करते हुये श्याम प्रकाश शर्मा ने महात्मा कबीर के जीवन से जुड़े अनेक सन्दर्भो पर विस्तार से प्रकाश डाला। कहा कि कबीर दास सिर्फ एक समाज सुधारक ही नहीं बल्कि, वे आध्यात्मिक रहस्यवाद के उच्चकोटी के कवि और संत भी थे। आज ऐसे सन्तों की बहुत आवश्कता है जो नफरत के बीच प्रेम की वर्षा कर सके।
वरिष्ठ कवि अनुरोध कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि संत कबीर दास ने समाज में स्वर्ग और नर्क को लेकर कायम मिथकों को तोड़ने के लिए एक बड़ी मिसाल पेश की। अपना पूरा जीवन काशी में बिताने वाले कबीर दास ने अपने आखिरी वक्त के लिए एक ऐसी जगह को चुना, जिसे लेकर उन दिनों अंधविश्वास बना हुआ था कि उस जगह जो व्यक्ति मरता है वो नरक में जाता है। कबीर दास जी ने लोगों को इस भ्रम को तोड़ने के लिए अपना आखिरी समय मगहर में बिताया, जो उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के पास स्थित एक जगहा है। उन्होंने वहीं पर अपना देह त्यागा।
कार्यक्रम में सरदार जगबीर सिंह, बी.के. मिश्रा, राजेन्द्र प्रसाद, सुधीर श्रीवास्तव, दीनानाथ यादव, राजेन्द्र प्रसाद बरनवाल, शिवशंकर आदि ने महात्मा कबीर के जीवन वृत्त पर प्रकाश डाला।
कबीर साहित्य सेवा संस्थान के अध्यक्ष सामईन फारूकी ने उपस्थित लोगों के प्रति आभार व्यक्त करते हुये कहा कि कबीर के मार्ग पर चलकर ही देश वर्तमान चुनौतियों का सामना कर सकता है। मुख्य रूप से गणेश प्रसाद, राजेश पाण्डेय, ओम प्रकाश धर द्विवेदी, राम विलास कसौधन, पेशकार मिश्र, कृष्णचन्द्र पाण्डेय, सीताशरण आदि उपस्थित रहे।