आगरा: 35 फीट तक नीचे गिर गया पोस्ट मानसून और प्री-मानसून के आठ माह के अंदर भूगर्भ जलस्तर
फतेहाबाद, अछनेरा, खंदौली, जैतपुर और शहरी इलाकों में पानी पाताल तक पहुंच गया
कबीर बस्ती न्यूज:
आगरा: जिले में बीते वर्ष तालाबों की खुदाई और 1200 से ज्यादा स्कूलों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग किए जाने के दावे किए गए, लेकिन इनका असर नजर नहीं आया। बीते वर्ष मानसून के बाद और इस साल मानसून से पहले जून के अंत में भूगर्भ जलस्तर की गई जांच के बाद चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।
पोस्ट मानसून और प्री-मानसून के आठ माह के अंदर भूगर्भ जलस्तर 35 फीट तक नीचे गिर गया। ज्यादातर केंद्रों पर दो से चार मीटर तक की गिरावट भूगर्भ जल स्तर में दर्ज की गई है। बारिश के पानी को रेन वाटर हार्वेस्टिंग और तालाबों के जरिये न सहेजने से बाह, फतेहाबाद, अछनेरा, खंदौली, जैतपुर और शहरी इलाकों में पानी पाताल तक पहुंच गया।
शहर में इनर रिंग रोड और बाईपास के कारण सबसे ज्यादा इमारतें और कॉलोनियों का निर्माण हो रहा है, उन जगहों पर भूगर्भ जलनिकासी सबसे ज्यादा है। सबसे ज्यादा गिरावट कुआंखेड़ा में रही, जहां फतेहाबाद रोड से इनर रिंग रोड, एक्सप्रेसवे के रूट के कारण होटल, कॉलानियां आदि बनाए जा रहे हैं। इनमें भूगर्भ जल का जबरदस्त इस्तेमाल हो रहा है। यही हाल खंदौली का है, जहां एक्सप्रेसवे के कारण बड़े पैमाने पर कॉलोनियां और इमारतें बन रही हैं। खंदौली में 8 मीटर यानी 25 फुट तक जलस्तर नीचे पहुंचा है।
10 जगह सबसे अधिक गिरावट